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सिंचाई के बूते खेती को लहलहाने की होगी कोशिश, पानी की किल्लत से जूझ रहे जिलों को मिलेगी खास सुविधा

चार साल पहले हर खेत तक पानी पहुंचाने के घोषित लक्ष्य के तहत प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) शुरु की गई थी।

By Dhyanendra SinghEdited By: Updated: Wed, 22 Jan 2020 09:54 PM (IST)
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सिंचाई के बूते खेती को लहलहाने की होगी कोशिश, पानी की किल्लत से जूझ रहे जिलों को मिलेगी खास सुविधा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आगामी वित्त वर्ष में आम बजट में कृषि क्षेत्र के लिए सिंचाई सुविधाएं बढ़ाकर खेती को लहलहाने की पूरी कोशिश की जाएगी। कृषि की विकास दर को रफ्तार देने के लिए लंबित पुरानी सिंचाई परियोजनाओं को प्रोत्साहन दिया जा सकता है। देश की कई बड़ी व मझोली परियोजनाओं को पूरा करने के साथ माइक्रो इरिगेशन पर विशेष जोर दिया जा सकता है। इस मद में आवंटन भी बढ़ाये जाने की संभावना है। जल की किल्लत से जूझ रहे चिन्हित ढाई सौ से अधिक जिलों के लिए आम बजट प्रावधान होने की संभावना है।

चार साल पहले हर खेत तक पानी पहुंचाने के घोषित लक्ष्य के तहत प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) शुरु की गई थी। इसके तहत सिंचाई सुविधाएं बढ़ाने और भूजल संरक्षित करने के लिए विशेष योजना तैयार की गई है। पीएमकेएसवाई के तहत देश की लंबित 99 बड़ी और मझोली सिंचाई परियोजनाएं चिन्हित की गई थीं जिन्हें निश्चित समय में पूरा करना था।

इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए नाबार्ड से रियायती दरों पर कर्ज देने का प्रावधान किया गया था। इन परियोजनाओं के पूरा हो जाने की दशा में 76 लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन के सिंचित होने की संभावना थी। लेकिन परियोजनाओं के पिछड़ने की वजह से दिसंबर 2019 तक केवल 23.5 लाख हेक्टेयर तक ही सिंचाई सुविधाएं पहुंचाई जा सकी हैं।

सूक्ष्म सिंचाई पर दिया जा सकता है जोर

चुनौतियों से जूझ रहे कृषि क्षेत्र के लिए उसकी प्राथमिकता जरूरतें सिंचाई पर विशेष ध्यान दिया है, जिसके लिए पानी की उपलब्धता सबसे जरूरी समझा गया है। इसमें सिंचाई परियोजनाओं की निगरानी, समीक्षा और उन्हें समय पूरा करने को उच्च प्राथमिकता दी जा सकती है। इसमें माइक्रो इरिगेशन (सूक्ष्म सिंचाई) जैसी आधुनिक प्रणाली पर विशेष जोर दिया जा सकता है। सिंचाई की इस प्रणाली का प्रसार सिंचित क्षेत्र के साथ असिंचित क्षेत्रों में किया जा सकता है, जिससे जल संरक्षण में मदद मिलेगी।

256 जिलों को किया गया है चिन्हित

सरकार के जल शक्ति अभियान के तहत 256 जल की किल्लत वाले जिलों को चिन्हित किया गया है, जहां जल संरक्षण पर सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। आम बजट में ग्रामीण विकास की मनरेगा जैसी योजना की मदद ली जा सकती है। मनरेगा में सूचीबद्ध कार्यो में 46 केवल जल संरक्षण से जुड़े हुए हैं।

पीएमकेएसवाई के तहत वर्ष 2019-19 में कुल 11.58 लाख हेक्टेयर भूमि में सूक्ष्म सिंचाई की सुविधा पहुंचा दी गई थी। जबकि वर्ष 2019-20 में इसका लक्ष्य 14 लाख हेक्टेयर निर्धारित किया गया है। इसमें स्पि्रंकल और ड्रिप इरिगेशन शामिल होगी। आगामी वित्त वर्ष के लिए संसद में पेश होने वाले आम बजट में सिंचाई के लिए विशेष प्रावधान की उम्मीद लगाई गई है, जिसमें जल संरक्षण भी होगा।