कर्नाटक में अवैध रूप से रह रहे आठ बांग्लादेशी गिरफ्तार, भारत में रहकर बनवा लिए फर्जी आधार कार्ड
कर्नाटक के के उडुपी जिले में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेश के आठ नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है। वे पिछले तीन वर्षों से बिना वैध पासपोर्ट या वीजा के जिले के हुडे गांव में रह रहे थे। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी। उडुपी के पुलिस अधीक्षक अरुण के अनुसार बांग्लादेशियों की गिरफ्तारी तब हुई जब एक आरोपित जिसकी पहचान मोहम्मद माणिक के रूप में हुई है।
पीटीआई, उडुपी। कर्नाटक के के उडुपी जिले में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेश के आठ नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है। वे पिछले तीन वर्षों से बिना वैध पासपोर्ट या वीजा के जिले के हुडे गांव में रह रहे थे। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी।
उडुपी के पुलिस अधीक्षक अरुण के अनुसार, बांग्लादेशियों की गिरफ्तारी तब हुई जब एक आरोपित, जिसकी पहचान मोहम्मद माणिक के रूप में हुई, ने फर्जी पासपोर्ट का उपयोग करके दुबई भागने का प्रयास किया। उसे दक्षिण कन्नड़ जिले के बाजपे हवाईअड्डे पर गिरफ्तार किया गया।
पूछताछ करने पर माणिक ने बताया कि हुडे गांव में सात अन्य बांग्लादेशी उसके साथ अवैध रूप से रह रहे थे। सूचना उडुपी पुलिस को दी गई, जिसने इलाके में छापेमारी की। पुलिस ने शुक्रवार को सात लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की।
आरोपितों के पास फर्जी आधार कार्ड
जांच में पता चला कि आरोपितों के पास फर्जी आधार कार्ड हैं। यह पता लगाने के लिए जांच चल रही है कि आरोपितों ने ये फर्जी आधार कार्ड कैसे प्राप्त किए और वे बांग्लादेश से भारत में सीमा पार करने में कैसे कामयाब रहे। आठ बांग्लादेशी नागरिक फिलहाल पुलिस हिरासत में हैं और उन्हें स्थानीय अदालत में पेश किए जाने की उम्मीद है।
बेंगलुरु में मिले पाकिस्तानी निवासी
बेंगलुरु पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके अवैध रूप से भारत में रहने के आरोप में मंगलवार को 10 और पाकिस्तानी नागरिकों को गिरफ्तार किया। इन गिरफ्तारियों के साथ हाल के हफ्तों में बेंगलुरु के बाहरी इलाके जिगनी इलाके में हिरासत में लिए गए पाकिस्तानी नागरिकों की कुल संख्या 17 हो गई है।गिरफ्तारियां परवेज की हिरासत के बाद हुईं, जिस पर बेंगलुरु और कर्नाटक के अन्य हिस्सों में 22 पाकिस्तानी नागरिकों को सहायता और शरण देने का आरोप था। परवेज ने कथित तौर पर इन व्यक्तियों को हिंदू नाम रखने में मदद की, जिससे उन्हें इस क्षेत्र में रहते हुए घुलने-मिलने और पहचान से बचने की अनुमति मिली।