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'तीन नहीं, दो शिवसेना हैं', सीएम फेस, मराठा आरक्षण और रेवड़ी कल्चर पर क्या बोले एकनाथ शिंदे; पढ़ें खास बातचीत

Eknath Shinde Exclusive Interview महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र चुनाव को लेकर दैनिक जागरण से विशेष बातचीत की है जिसमें उन्होंने महायुति के सीएम चेहरे से लेकर मराठा आरक्षण शिवसेना में विभाजन रेवड़ी कल्चर समेत तमाम सियासी मुद्दों पर जवाब दिया है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि चुनाव में महायुति की कितनी सीटें आएंगी। पढ़ें पूरा इंटरव्यू।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Mon, 11 Nov 2024 11:00 PM (IST)
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एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि महायुति की पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनेगी। (File Image)
आशुतोष झा, मुंबई। हरियाणा चुनाव के बाद महाराष्ट्र पर सबकी नजरें हैं। दरअसल सरकार भले ही स्थानीय होगी, पर इसका असर राष्ट्रीय होगा। महायुति ने बाजी मारी तो आईएनडीआईए का कलह इस गठबंधन को तितर बितर कर सकता है। मामला उल्टा हुआ तो दो महीनों में होने वाले दिल्ली चुनाव से लेकर बिहार चुनाव तक भाजपा पर सहयोगी दलों का दबाव भी होगा और फिर से नैरेटिव की जंग होगी।

महायुति की सरकार फिर से लाने, मुख्यमंत्री के रूप में फिर से स्वीकारे जाने और अपनी शिवसेना को ही बालासाहब की असली सेना सिद्ध करने की जंग लड़ रहे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दैनिक जागरण के राजनीतिक संपादक आशुतोष झा से कई मुद्दों पर चर्चा की। पेश हैं इसके प्रमुख अंश।

सवाल- लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र के रूप में एक बड़े राज्य का चुनाव हो रहा है। कई लोगों का भविष्य दांव पर है, मुद्दे क्या हैं?

उत्तर- मैंने तो विकास का ही मुद्दा रखा है। महाविकास आघाड़ी में यह रुका हुआ था। आघाड़ी सरकार के समय में मेट्रो, नागपुर मुंबई समृद्धि, अटल सेतु सबका काम रुका हुआ था। हमारी सरकार ने तेज गति से काम शुरू किया। लोगों की भलाई के लिए काफी कुछ काम किया गया। हमारा ध्यान विकास और जनकल्याण, दोनों पर है। नागपुर-मुंबई में पहले 15-16 घंटे लगते थे, अब सात आठ घंटे में पहुंचते हैं। किसानों की उपज भी अब आसानी से पहुंच रही है। पूरा इकोसिस्टम तैयार हो हा है। विकास के मुद्दे पर तो लोकसभा के भी चुनाव हुए थे।

सवाल- तब से अब तक क्या बदल गया है?

जवाब- लोकसभा का चुनाव विपक्ष फेक नैरेटिव पर लड़ रहा था। विपक्ष की ओर से कुछ अफवाहों को हवा दी गई। जैसे संविधान बदला जाएगा, आदिवासियों का हक जाएगा, मुस्लिमों को डराया गया। जनता भ्रमित हो गई। ऐसा बिल्कुल नहीं था, लेकिन विपक्ष ने एक ऐसा माहौल तैयार किया गया, जैसे राजग 400 पार होता है तो संविधान बदल ही जाएगा, लेकिन यह तो विधानसभा का चुनाव है। इसमें तो चुनाव स्थानीय मुद्दों पर ही लड़े और जीते जाते हैं। आघाड़ी में कोई है जो यह आरोप लगा पाए कि विकास नहीं हुआ है। अगर आरोप लगाते भी हैं तो जनता कहां मानने वाली है। काठ की हांडी बार बार तो नहीं चढ़ सकती है।

सवाल- लेकिन इस बार विपक्ष एक रहोगे तो सेफ रहोगे, बंटोगे तो कटोगे जैसे नारों पर महायुति को घेरने की कोशिश कर रहा है, कहा जा रहा है कि महायुति डरा रहा है?

जवाब - विपक्ष को अपनी स्थिति का अहसास है। वह लोगों को भ्रमित करने के लिए कुछ भी करेगा, लेकिन क्या यह सच्चाई नहीं है कि लोकतंत्र में वोटिंग का प्रतिशत बढ़ना चाहिए। एक होकर वोट करो। यही तो मकसद है। केंद्र सरकार तो सबका साथ, सबका विकास की बात कही है। 2047 तक भारत को कैसे विकसित राष्ट्र बनाना है इसकी बात की है। हमारा पूरा फोकस सिर्फ विकास और जनकल्याण पर है।

सवाल- महाराष्ट्र में बार बार मराठा आरक्षण का मुद्दा उठता रहा है, पिछले चुनाव में इसका असर भी दिखा था, इसका क्या कोई निदान है?

जवाब - हमने तो इसकी राह निकाली है। यह कहा था कि किसी ओबीसी वर्ग को परेशान होने की जरूरत नहीं है, उनका नुकसान नहीं होगा। हम मराठा को आरक्षण देंगे। अभी तक की सरकारों ने कुनबी को ओबीसी में ही जोड़ दिया था, जबकि उनके लिए अलग से आरक्षण होना चाहिए। हमने यह कर दिया। दस प्रतिशत मराठा आरक्षण का भी काम किया लेकिन विपक्ष का रुख सही नहीं है।

सवाल- महायुति में मुख्यमंत्री पद को लेकर अलग अलग तरह की बातें चल रही हैं, अगर आप सरकार में आते हैं तो कौन बनेगा मुख्यमंत्री?

जवाब - यह कोई समस्या नहीं है। हमारे यहां महाविकास आघाड़ी की तरह लड़ाई नहीं चल रही है। साथ बैठेंगे और सब कुछ तय हो जाएगा। जितने सामंजस्य के साथ हम चुनाव लड़ रहे हैं, उसी तरह आपको मुख्यमंत्री का नाम भी पता चल जाएगा।

सवाल- आपको क्या लगता है, फॉर्मूला कैसा होना चाहिए- क्या यह संख्या बल के आधार पर होना चाहिए या फिर लोकप्रियता इसका आधार होना चाहिए?

जवाब - इसमें मुझे लगने जैसी कोई बात नहीं है। अभी तो हमारा पूरा ध्यान केवल इस पर है कि महायुति जीते। अब कौन लोकप्रिय है कौन नहीं, यह सब लोग जानते हैं।

सवाल- शिवसेना आज के दिन तीन हिस्सों में है- शिंदे सेना, उद्धव सेना और उससे पहले मनसे, क्या ऐसा समय भी आ सकता है कि शिवसेना फिर से एक हो जाए?

जवाब - नहीं दो ही शिवसेना है। मनसे तो पहले ही हो चुका था। देखिए हम लोग बाहर इसीलिए तो निकले कि शिवसेना ने बाला साहेब के विचार को त्याग दिया था। हम तो गठबंधन में लड़े थे, लेकिन सरकार बन गई कांग्रेस, एनसीपी और उद्धव जी की। बाला साहेब को तो यह कभी मंजूर नहीं था। इसीलिए हम अलग हुए। बाला साहेब के विचारों की रक्षा के लिए। जनता ने भी जता दिया है कि हम बाला साहेब के सच्चे अनुयायी हैं। लोकसभा में हमारी पार्टी और उद्धव जी की पार्टी 13 स्थानों पर आमने-सामने थी। हमने सात पर जीत हासिल की। उद्धव के मुकाबले हमें दो लाख साठ हजार ज्यादा वोट मिले। उन्हें 42 फीसद मिला, हमें 47 फीसद। फिर क्या बचता है। हम बढ़ते रहेंगे और बाला साहेब के विचार को आगे बढ़ाते रहेंगे।

सवाल- तो क्या आपको लगता है कि इस चुनाव में उद्धव सेना के लिए अस्तित्व का सवाल खड़ा हो सकता है?

जवाब - जनता क्या सोच रही है उसे समझिए न। शिवसेना का वोट हमारे पास है, वह तो कांग्रेस के वोट से जीते है। वह तो परजीवी हो गए हैं।

सवाल- इस चुनाव में आप महायुति के लिए कितनी सीटों पर जीत के लिए आश्वस्त हैं?

जवाब - कम से कम 170 सीटें आ रही हैं।

सवाल- यह सच है कि महाराष्ट्र की इकोनॉमी बड़ी है, लेकिन अगर रेवड़ी बंटनी शुरू होगी तो क्या देर सबेर कर्नाटक की तरह ही महाराष्ट्र की आर्थिक स्थिति नहीं खराब हो सकती है?

सवाल - महाराष्ट्र के पास कितना पोटेंशियल है उसे देखिए तो सही। हमारी इकोनॉमी बहुत तेजी से बढ़ेगी। मोदी जी देश के लिए 5 ट्रिलियन का लक्ष्य रखा है। महाराष्ट्र के लिए हमने 1 ट्रिलियन का सोच रखा, लेकिन नीति आयोग कहता है कि 1.5 ट्रिलियन की क्षमता तो केवल मुंबई और एमएमआर में है। महायुति सरकार जिस तरह इन्फ्रास्टक्चर पर खर्च कर रही है, उसे समय पूरा कर रही है, उसमें हमारी गति बहुत होगी। जनकल्याण सरकार की जिम्मेदारी है, हम उसे पूरा करेंगे और दोनों काम साथ साथ चलेगा।