जंगल में जाएंगे, बर्फ में जाएंगे, हेलिकॉप्टर से जाएंगे, हाथी-घोड़े से जाएंगे; 'अंतिम मतदाता' तक पहुंचने के लिए चुनाव आयोग ने कसी कमर
चुनाव आयोग की इस पूरी कवायद के पीछे यही सोच है कि एक भी वोटर अपने मताधिकार से वंचित न रह जाए। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के अनुसार मतदान दल को ईवीएम लेकर सबसे दूर कठिन और दुर्गम इलाकों से गुजरना पड़ता है। इसके पीछे मकसद यही है कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी मतदाता न छूटे।
पीटीआई, नई दिल्ली। लोकसभा चुनावों में मतदान प्रक्रिया को संपन्न कराने के लिए चुनाव आयोग अपनी तैयारियों में जुटा हुआ है। गिर के जंगलों से लेकर ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों और जंगलों के बीच स्थित गांवों में मतदान कराने के लिए चुनाव आयोग और मतदान कर्मियों को काफी मशक्कत का सामना करना पड़ता है। इसके लिए चुनाव आयोग की टीमें जंगलों और बर्फ से ढके पहाड़ों को पार करते हुए, लाइफ जैकेट पहनकर नदियों को पार करते हुए, मीलों तक ट्रैकिंग करते हुए और घोड़ों और हाथियों पर ईवीएम लेकर सुदूर कोने और सबसे दुर्गम स्थान पर पहुंचती हैं।
चुनाव आयोग की इस पूरी कवायद के पीछे यही सोच है कि एक भी वोटर अपने मताधिकार से वंचित न रह जाए। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के अनुसार, मतदान दल को ईवीएम लेकर सबसे दूर, कठिन और दुर्गम इलाकों से गुजरना पड़ता है। इसके पीछे मकसद यही है कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी मतदाता न छूटे। इसी महीने उन्होंने चुनावों का एलान करते हुए कहा, "हम अतिरिक्त मील चलेंगे ताकि मतदाताओं को ज्यादा न चलना पड़े। हम बर्फीले पहाड़ों और जंगलों में जाएंगे। हम घोड़ों और हेलीकाप्टरों और पुलों पर जाएंगे और यहां तक कि हाथियों और खच्चरों पर भी सवारी करेंगे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हर वोटर अपना वोट डाल सके।"
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मणिपुर में 94 विशेष मतदान केंद्र
लोकसभा चुनावों में मणिपुर के आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिए राहत शिविरों में मतदान करने के लिए कुल 94 विशेष मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे। पिछले साल मई से मणिपुर में मैतेयी और आदिवासी कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष में 200 से अधिक लोगों की जान चली गई है। 50 हजार से ज्यादा विस्थापित लोग इन बूथों पर मतदान करने के पात्र होंगे जो राहत शिविरों में या उसके निकट स्थापित किए जाएंगे।
ताशीगंग में सबसे ऊंचा मतदान केंद्र
चुनाव आयोग के रिकार्ड के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति में ताशीगंग में दुनिया का सबसे ऊंचा मतदान केंद्र है। इस मतदान केंद्र की ऊंचाई समुद्र तल से 15,256 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। चुनाव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, गांव के सभी 52 मतदाता कड़ाके की ठंड के बावजूद 12 नवंबर, 2022 को अपने वोट का प्रयोग करने आए। हिमाचल प्रदेश में 65 मतदान केंद्र 10,000 से 12,000 फीट की ऊंचाई पर थे और 20 मतदान केंद्र समुद्र के लेवल से 12,000 फीट की ऊंचाई पर थे।नाव ही एकमात्र साधन
मेघालय के पश्चिमी जैंतिया हिल्स जिले के कामसिंग गांव में नदी के किनारे बने मतदान केंद्र पर मतदान कर्मियों को लाइफ जैकेट पहननी पड़ी और गोताखोरों के साथ जाना पड़ा। सुपारी की खेती और सौर ऊर्जा पर निर्भर रहने वाले इस गांव में मेघालय का सबसे दूरस्थ मतदान केंद्र है जहां गाड़ी से नहीं पहुंचा जा सकता है। यह जोवाई में जिला मुख्यालय से 69 किमी दूर और तहसील कार्यालय अमलारेम से 44 किमी दूर स्थित है।
चुनाव आयोग के अनुसार, इस गांव तक केवल छोटी देशी नावों द्वारा ही पहुंचा जा सकता है। वहीं भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित एक गांव तक पहुंचने में एक घंटे का लंबा सफर तय करना पड़ता है। गांव में रहने वाले 23 परिवारों के 35 मतदाताओं, 20 पुरुष और 15 महिलाओं के लिए गांव में एक मतदान केंद्र स्थापित किया गया था। मतदान कर्मियों को लाइफ जैकेट पहननी पड़ी और उनके साथ कुछ गोताखोर भी थे।यह भी पढ़ें: Chunavi Kisse: जब एक सीट पर एक ही नाम के 11 उम्मीदवारों ने लड़ा चुनाव, चौंक गए थे मतदाता; कुछ ऐसा आया था परिणाम