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Lok Sabha Elections: राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग की हिदायत, प्रचार में सिर्फ मुद्दों पर करें बात

लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले सक्रिय हुए चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को इस बात की हिदायत दी कि चुनाव प्रचार में धर्म जाति और गलत बयानबाजी से वह दूर रहें। सिर्फ मुद्दों की ही बात करें। आयोग ने इस दौरान प्रचार के गिरते स्तर पर चिंता भी जताई और कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब तथ्यों के साथ अपनी बात को सही तरीके से रखना होता है।

By Jagran News Edited By: Anurag GuptaUpdated: Fri, 01 Mar 2024 09:37 PM (IST)
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राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग की हिदायत (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले सक्रिय हुए चुनाव आयोग (Election Commission) ने राजनीतिक दलों को इस बात की हिदायत दी है कि चुनाव प्रचार में धर्म, जाति और गलत बयानबाजी से वह दूर रहें। सिर्फ मुद्दों की ही बात करें।

आयोग ने कहा कि इसका पालन न करने पर आदर्श आचार संहिता उल्लंघन को लेकर सख्त कार्रवाई के लिए विवश होना पड़ेगा। आयोग ने इस दौरान राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारकों और प्रत्याशियों से प्रचार के दौरान संयमित होकर बोलने की सलाह दी है।

EC ने प्रचार के गिरते स्तर पर जताई चिंता

आयोग ने इस दौरान प्रचार के गिरते स्तर पर चिंता भी जताई और कहा कि पिछले कुछ चुनावों ने उन्हें यह देखने को मिल रहा था कि राजनीतिक दल मुद्दों की जगह एक-दूसरे के खिलाफ गलतबयानी और समाज में द्वेष फैलाने के लिए भड़काऊ बयानबाजी कर रहे थे, जो ठीक परंपरा नहीं है। आयोग ने कहा,

अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब तथ्यों के साथ अपनी बात को सही तरीके से रखना होता है।

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चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी गलत बयानबाजी पर आयोग की पैनी नजर है। खासकर उन लोगों पर विशेष नजर रखी जा रही है, जिन्हें पिछले चुनावों में गलत बयानबाजी के चलते ही आदर्श आचार संहिता (MCC) के उल्लंघन का दोषी पाया गया है। साथ ही उन्हें इस संबंध में नोटिस भी जारी की गई थी। ऐसे में यदि उन्हें दोबारा ऐसी ही गलती का दोषी पाया जाता है,उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और स्टार प्रचारकों को सलाह

  • मतदाताओं के बीच जाति और सांप्रदायिकता के आधार पर कोई ऐसी बात न की जाए, जो मतभेदों को बढ़ाने वाली और आपसी नफरत पैदा करने वाली हो। जाति, समुदाय, भाषा या धार्मिक आधार पर लोगों के बीच तनाव पैदा कर करने का भी कोई प्रयास नहीं किया जाए। भगवान को लेकर कोई अशोभनीय टिप्पणी न की जाए।
  • मतदाताओं को गुमराह करने वाली बात बिल्कुल भी न की जाए। बगैर तथ्यों के गलत बयानबाजी से बचा जाए।
  • किसी भी दल के नेता और कार्यकर्ता के निजी जीवन का कोई भी पहलू जो कि सार्वजनिक गतिविधियों से जुड़ा न हो, उसकी आलोचना नहीं की जाए। प्रतिद्वंद्वियों के अपमान के लिए व्यक्तिगत हमलों से बचा जाए।
  • मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा या किसी भी पूजा स्थल का उपयोग चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जाए। प्रचार के दौरान महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली बात न की जाए। बगैर जांच-परख के कोई भी भ्रामक विज्ञापन नहीं दिये जायें। आदि सलाह शामिल है।
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