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चुनाव आयोग ने कर्नाटक में मतदाता सूची में धोखाधड़ी मामले में की सख्त कार्रवाई, दो अधिकारियों को किया निलंबित

चुनाव आयोग ने कर्नाटक में मतदाता सूची में धोखाधड़ी मामले में सख्त कार्रवाई की है।आयोग ने शुक्रवार को इस मामले में कार्रवाई करते हुए दो अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दिया। ECI ने BBMP इलाके में निजी संस्थान द्वारा मतदान डेटा संग्रह मामले जांच के आदेश दिया है।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Fri, 25 Nov 2022 10:03 PM (IST)
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चुनाव आयोग ने कर्नाटक में मतदाता धोखाधड़ी के आरोपों पर की सख्त कार्रवाई। फाइल फोटो।
नई दिल्ली, पीटीआइ। चुनाव आयोग ने कर्नाटक में मतदाता सूची में धोखाधड़ी के आरोपों पर सख्त कार्रवाई की है। आयोग ने शुक्रवार को इस मामले में कार्रवाई करते हुए दो अतिरिक्त जिला चुनाव अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दिया। इसके साथ ही आयोग ने अधिकारियों को कर्नाटक में तीन विधानसभा सीटों की मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने की समीक्षा करने का निर्देश दिया है।

जांच का दिया आदेश

ECI ने बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (Bruhat Bengaluru Mahanagara Palike) इलाके में एक निजी संस्थान द्वारा मतदान डेटा संग्रह मामले में कर्नाटक के मुख्य सचिव (Chief Secretary) और मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) को इस मामले में जांच के निर्देश दिया है। आयोग ने 162 शिवाजीनगर, 169 चिकपेट और 174 महादेवपुरा इन तीन इलाकों में मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने मामले में 100 प्रतिशत जांच करने के आदेश दिया है।

कांग्रेस ने की थी जांच की मांग

चुनाव प्राधिकरण ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को 1 जनवरी 2022 के बाद शिवाजीनगर, चिकपेट और महादेवपुरा विधानसभा सीटों की मतदाता सूची में जोड़े और हटाए गए नाम की एक सूची सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ साझा करने का निर्देश दिया, ताकि उन्हें दावे और आपत्तियां दाखिल करने में आसानी हो सके। मालूम हो कि चुनाव आयोग का यह फैसला कांग्रेस के प्राधिकरण से शिकायत करने के एक दिन बाद आया है, जिसमे कांग्रेस ने कर्नाटक में Voter Information Theft Fraud की विस्तृत जांच करने की मांग की थी।

कांग्रेस ने नाम हटाने का लगाया था आरोप

कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि कर्नाटक के तीन विधानसभा क्षेत्र में 27 लाख मतदाताओं के नाम को हटा दिए गए थे और 11 लाख मतदाताओं के नाम को सूची में जोड़ा गया था। कांग्रेस ने दावा किया कि एक निजी कंपनी के कर्मचारियों ने सरकारी अधिकारियों के रूप में मतदाताओं का डेटा एकत्र किया था।

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