7 अक्टूबर के बाद देश भर में हो सकती है SIR की शुरुआत, चुनाव आयोग की तैयारी पूरी
चुनाव आयोग पूरे देश में एक साथ एसआईआर शुरू करने की तैयारी में है जिसकी घोषणा सात अक्टूबर के बाद हो सकती है। आयोग के निर्देश पर राज्यों ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। 2003-04 के बाद हुए एसआईआर में शामिल लोगों को दस्तावेज नहीं देने होंगे। आयोग का मुख्य ध्यान मृत मतदाताओं स्थानांतरित मतदाताओं और दो जगह नाम दर्ज कराने वालों पर होगा।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने यह तो पहले ही संकेत दे दिया था कि पूरे देश में एक साथ एसआइआर होगा, संभव है कि सात अक्टूबर के बाद इसकी औपचारिक घोषणा भी हो जाए। चुनाव आयोग इसकी कभी भी शुरूआत कर सकता है।
वैसे भी आयोग के निर्देश के बाद सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने एसआइआर से जुड़ी तैयारियां पूरी कर दी है। जिसमें वर्ष 2003-04 या उसके बाद हुए एसआइआर में जिन लोगों के नाम शामिल थे, उनकी सूची तैयार कर ली गई है। इन सभी से एसआइआर के दौरान किसी भी तरह के दस्तावेज नहीं लिए जाएंगे।
किन लोगों को दस्तावेज की जरूरत नहीं?
आयोग से जुड़े सूत्रों के अधिकांश राज्यों की मौजूदा मतदाता सूची में करीब 60 प्रतिशत ऐसे मतदाता पाए गए है, जिनके नाम पिछले SIR में थे। ऐसे में इन 60 प्रतिशत लोगों को दस्तावेज जुटाने की कोई जरूरत नहीं है। अब एसआइआर में सिर्फ उन लोगों पर फोकस होगा,जिनके नाम पुराने एसआइआर में नहीं थे।
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ऐसे लोगों को चिन्हित कर लिया गया है और उनकी सूची भी बना ली है। ऐसे में सभी लोगों को अब सिर्फ एसआइआर शुरू होने का इंतजार है। जो संकेत दिए जा रहे है, उसमें सात अक्टूबर को बिहार के एसआइआर पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद आयोग इस पर फैसला लेगा।
आयोग के मुताबिक राजनीतिक दलों की ओर से मतदाता सूची में गड़बड़ी के जिस तरह से आरोप लगाए जा रहे है उसमें वह बिहार में इसकी शुरूआत के साथ ही इसे देश भर में कराने की घोषणा कर चुका है। एसआइआर के दौरान आयोग का मुख्य फोकस मृत मतदाताओं, स्थाई रूप से स्थानांतरित हो चुके मतदाताओं , दो जगहों से नाम दर्ज कराने वाले और घुसपैठी विदेशियों मतदाताओं की पहचान करना है। गौरतलब है कि बिहार एसआइआर के दौरान आयोग ने 65 लाख से अधिक ऐसे लोगों की पहचान की है। इनमें करीब 22 लाख अकेले मृत मतदाता ही थे।
SIR के साथ वंशावली अपडेट कर बिहार ने राज्यों को दिखाई राह
SIR के साथ ही बिहार में मतदाताओं ने अपनी वंशावली को भी अपडेट करने का एक बडा काम किया है। माना जा रहा है कि इससे आने वाले दिनों में एसआइआर और राजस्व से जुड़े विवादों को सुलझाने में मदद मिलेगी। इसके लिए उसे कोई अलग से अभियान नहीं चलाना पड़ा बल्कि बीएलओ की मदद से इसे भी पूरा कर लिया।
चुनाव आयोग ने हाल ही सभी राज्यों के साथ बिहार में एसआइआर के दौरान किए गए जिन कामों का जिक्र किया है, उनमें इसे भी प्रमुखता से जगह दी है। साथ ही बताया है कि आने वाले दिनों में यह एसआइआर में भी मदद देगी। आयोग ने दूसरे राज्यों से भी इससे अपनाने की सुझाव दिया। मौजूदा समय में राज्यों में वंशावली को परिवार रजिस्ट्रर, कुटुंब रजिस्ट्रर जैसे नामों से संबोधित किया जाता है। अधिकांश राज्यों में यह अपडेट नहीं है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।