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Electoral Bonds: सबसे ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टियों ने नहीं बताये नाम, चुनाव आयोग ने सारा ब्यौरा सार्वजनिक किया

जिन पार्टियों को सबसे ज्यादा चुनावी बॉन्ड के जरिए चुनावी चंदा मिला है वो इससे जुड़ी सूचना को सार्वजनिक करने को लेकर उतनी ही ज्यादा आनाकानी कर रही हैं। भाजपा टीएमसी कांग्रेस आप ने यह तो बताया है कि उन्हें कब और कितनी राशि के बॉन्ड्स मिले हैं लेकिन इसे किस कंपनी ने दिया है इससे जुड़ी सूचना उन्होंने नहीं बताई है।

By Jagran News Edited By: Sonu Gupta Updated: Sun, 17 Mar 2024 07:57 PM (IST)
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सबसे ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टियों ने नहीं बताये नाम।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। जिन पार्टियों को सबसे ज्यादा चुनावी बॉन्ड के जरिए चुनावी चंदा मिला है, वो इससे जुड़ी सूचना को सार्वजनिक करने को लेकर उतनी ही ज्यादा आनाकानी कर रही हैं। चुनाव आयोग ने रविवार (17 मार्च, 2024) को चुनावी बॉन्ड और इस बारे में सभी राजनीतिकों से जुड़े पत्र-व्यवहार का ब्यौरा सार्वजनिक किया है जिससे यह साफ होता है कि क्षेत्रीय राजनीतिक दल जैसे द्रमुक, अन्नाद्रमुक, एनसीपी, जनता दल (एस) जैसी गिनी चुनी पार्टियों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश दलों ने यह नहीं बताया है कि उन्हें किस कंपनी या व्यक्ति से चुनावी चंदा मिले हैं।

भाजपा, टीएमसी, कांग्रेस, आप ने यह तो बताया है कि उन्हें कब और कितनी राशि के बॉन्ड्स मिले हैं लेकिन इसे किस कंपनी ने दिया है, इससे जुड़ी सूचना उन्होंने नहीं बताई है। इस बारे में टीएमसी व कांग्रेस ने एसबीआई पर दारोमदार डाल दिया है कि वह उससे मिले बॉन्ड्स की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को उपलब्ध करा सकता है, जबकि भाजपा ने इसका ब्यौरा देने से इनकार करते हुए तर्क पेश किया है कि उसे लोक प्रतिनिधि कानून, 1951 और आयकर अधिनियम, 1960 के तहत जो भी चुनावी चंदा मिला है, उसे सार्वजनिक नहीं करने का अधिकार है।

कोर्ट ने EC को लौटाया था लिफाफा

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चुनाव आयोग ने पूर्व में चुनावी बॉन्ड से मिली सारी जानकारी बंद लिफाफे में कोर्ट को दे दिया था। ये बंद लिफाफे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राजनीतिक दलों ने आयोग को दिया था। बाद में कोर्ट ने इसे चुनाव आयोग को लौटा दिया था और जिसे 17 मार्च को वेबसाइट पर डाला गया है। यह कयास लगाया जा रहा था कि इससे किस कंपनी ने किस पार्टी के पक्ष में चुनावी बॉन्ड्स खरीदा है, यह पता चल जाएगा। ऐसा नहीं हो सका। हालांकि, अप्रैल, 2019 से पहले एक वर्ष के दौरान कितने चुनावी बॉन्ड्स राजनीतिक दलों को जारी किये गये, इसका ब्यौरा इसमें है।

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किसे कितना मिला चंदा

यह ब्यौरा बताता है कि वर्ष 2018 के बाद से अभी तक भाजपा को सबसे ज्यादा 6986.5 करोड़ रुपये का चुनावी चंदा मिला है। टीएमसी दूसरे स्थान पर है और इसे 1396.94 करोड़ रुपये का बॉन्ड्स मिला है, जबकि प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को 1334.35 करोड़ रुपये के बॉन्ड्स मिले हैं।

द्रमुक को 656.5 करोड़ रुपये, वाइएसआर कांग्रेस को 442.8 करोड़ रुपये, बीजेडी को 944.5 करोड़ रुपये, टीडीपी को 181.35 करोड़ रुपये का चुनावी चंदा अप्रैल, 2018 से लेकर अभी तक मिला है। जिस तरह से द्रमुक, एनसीपी जैसी पार्टियों ने उन्हें दान देने वाली कंपनियों के नाम सार्वजनिक किये हैं उससे यह भी साफ हो जाता है कि अगर दूसरे राजनीतिक दल चाहते तो वह भी ऐसा कर सकते थे, क्योंकि चुनावी बॉन्ड संबंधित कानून के तहत एसबीआई के जरिए चुनावी बॉन्डस जारी करने की व्यवस्था सभी राजनीतिक दलों के लिए एक समान है।

द्रमुक ने सामने रखी स्पष्ट तरीके से जानकारी

बहरहाल, द्रमुक उन दलों में है जिसने सारी जानकारी बहुत ही स्पष्ट तरीके से सामने रखी है। इसे सबसे ज्यादा 509 करोड़ रुपये का चुनावी चंदा विवादास्पद कंपनी फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज लिमिटेड कंपनी ने दिया है। 14 मार्च, 2024 को जब चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों की जो सूची सार्वजनिक की थी उसमें फ्यूचर गेमिंग सबसे ऊपर थी।

लाटरी किंग के नाम से प्रसिद्ध सैंटियागो मार्टिन इस कंपनी के प्रवर्तक हैं। इसने कुल 1368 करोड़ रुपये का चुनावी चंदा देश के राजनीतिक दलों को दिया है। चेन्नई इसके संचालन का प्रमुख केंद्र रहा है। ऐसे में तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी को भारी-भरकम चुनावी चंदा देना मौजूदा चुनावी साल में खासा रंग दिखा सकता है।

मेघा इंजीनियरिंग ने दक्षिण की सभी पार्टियों को दिया है चंदा

डीएमके को मेघा इंजीनियरिंग ने भी 85 करोड़ रुपये का चंदा दिया है। चुनावी चंदा देने में मेघा इंजीनियरिंग का स्थान देश में दूसरा है और इसने कुल 966 करोड़ रुपये राजनीतिक दलों को दिए हैं। दक्षिण की हर पार्टी को मेघा इंजीनियरिंग ने चंदा दिया है। जिन क्षेत्रीय दलों ने चुनावी चंदा देने वाली कंपनियों के जो नाम सार्वजनिक किया है उससे यह भी साफ होता है कि जिनकी राज्यों में सरकारें हैं उन्हें चंदा वहां की स्थानीय कंपनियों की तरफ से ज्यादा दिया गया है।

CSK ने इस पार्टी को दिया चंदा

एनसीपी को वर्ष 2019 में टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस पूनावाला ने अलग अलग मौकों पर कुल 3.75 करोड़ रुपये की राशि दी है। एआईएडीएमके को चेन्नई सुपरकिंग (CSK) की तरफ से चंदा दिया गया है। जेडीएस को इंफोसिस, एम्बेसी ग्रूपस व बायकान जैसी बेंगलुरू की बड़ी कारपोरेट कंपनियों ने चुनावी चंदा दिया है।

चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के साथ 12 अप्रैल, 2019 में सुप्रीम कोर्ट के एक निर्देश के बाद हुए पत्र व्यवहार का ब्यौरा सार्वजनिक किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को तब चुनावी बॉन्ड्स से प्राप्त राशि और इसे किस खाते में जमा कराया गया है, इसकी सूचना चुनाव आयोग को देने को कहा था। इसमें टीएमसी और कांग्रेस की तरफ से चुनाव आयोग को लिखे गये पत्र भी हैं। इन दोनों पार्टियों ने एसबीआई के साथ इस बारे में हुए पत्राचार का ब्यौरा दिया है।

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टीएमसी व कांग्रेस ने SBI से क्या कहा?

टीएमसी व कांग्रेस ने एसबीआई को कहा है कि वह उन्हें चुनावी बॉन्डस देने वाली कंपनियों के नाम सीधे चुनाव आयोग को सौंप दे। दूसरी तरफ भाजपा की तरफ से 09 मई, 2019 को लिखे गये पत्र में लिखा है कि आयकर अधिनियम, 1961 के तहत इलेक्टोरल बॉन्डस से प्राप्त धनराशि के बारे में कोई भी सूचना को देने से छूट है।

इसी तरह से पार्टी ने लोक प्रतिनिधि कानून, 1951 की धारा 29सी के तहत भी राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड्स के जरिए प्राप्त धन के बारे में चुनाव आयोग को कोई जानकारी देना जरूरी नहीं है।

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