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इलेक्टोरल बॉन्ड से राजनीतिक दलों को अब तक मिले 16,000 करोड़; भाजपा के पास सर्वाधिक हिस्सेदारी, जानिए क्या है अन्य का हाल

लोकसभा चुनाव से पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड या कहें चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया। साथ ही कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को सूचना का अधिकार कानून और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करार दिया है। आंकड़ों से पता चलता है कि विभिन्न राजनीतिक दलों को अब तक चुनावी बॉन्ड से 16 हजार करोड़ रुपये से अधिक का योगदान मिला है।

By Agency Edited By: Anurag GuptaUpdated: Thu, 15 Feb 2024 06:06 PM (IST)
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इलेक्टोरल बॉन्ड भाजपा को सर्वाधिक पैसे मिलने का अनुमान (फाइल फोटो)
पीटीआई, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इलेक्टोरल बॉन्ड या कहें चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया। साथ ही कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को सूचना का अधिकार कानून (RTI) और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करार दिया है। शीर्ष अदालत के इस आदेश के बाद राजनीतिक दलों की विभिन्न टिप्पणियां सामने आ रही हैं। इस बीच, अनुमान जताया जा रहा है कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) को चुनावी बॉन्ड से सबसे ज्यादा पैसे मिले होंगे।

आंकड़ों से पता चलता है कि विभिन्न राजनीतिक दलों को अब तक चुनावी बॉन्ड से 16 हजार करोड़ रुपये से अधिक का योगदान मिला है, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा भाजपा को मिलने का अनुमान है।

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चुनाव आयोग और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना की शुरुआत से, जो अब रद्दो हो चुकी है, पिछले वित्त वर्ष तक सभी राजनीतिक दलों को कुल मिलाकर 12,000 करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त हुए, जिसमें भाजपा को तकरीबन 55 फीसद या 6,565 करोड़ रुपये मिले। हालांकि, 2023-24 के आंकड़े अभी सामने नहीं आए हैं।

एडीआर ने मार्च 2018 और जनवरी 2024 के बीच चुनावी बॉन्ड की बिक्री के माध्यम 16,518.11 करोड़ रुपये राशि उपलब्ध हुई है। माना जा रहा है कि राजनीतिक दलों को मिले कुल पैसे का आधे से अधिक हिस्सा इन बॉन्डों से प्राप्त हुआ है। हालांकि, कुछ क्षेत्रीय दलों, जो राज्यों में सत्ता में हैं, के मामले में यह 90 फीसद से अधिक है। भाजपा के मामले में भी चुनावी बॉन्ड की हिस्सेदारी उसकी कुल आय से आधे से अधिक है।

भाजपा ने कांग्रेस को पछाड़ा

संप्रग-2 के आखिरी साल के बाद भाजपा ने कांग्रेस को पछाड़ते हुए देश की सबसे अमीर पार्टी होने का दर्जा हासिल किया। वित्त वर्ष 2013-14 में भाजपा की कुल आय 673.8 करोड़ रुपये, जबकि कांग्रेस की 598 करोड़ रुपये थी। बीच के कुछ सालों को छोड़ दिया जाए तो तब से लेकर अब तक भाजपा की आय में लगातार इजाफा हुआ है, जबकि कांग्रेस की आय में गिरावट दर्ज की गई।

वर्ष 2018-19 में चुनावी बॉन्ड की शुरुआत के बाद भाजपा की आय दोगुनी से अधिक होकर 2,410 करोड़ रुपये, जबकि कांग्रेस की 918 करोड़ रुपये हो गई। पिछले वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भाजपा की कुल आय 2,360 करोड़ रुपये थी, जिसमें से लगभग 1,300 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड के जरिये मिले थे। उसी समय पर कांग्रेस की कुल आय गिरकर 452 करोड़ रुपये हो गई, जिसमें से 171 करोड़ रुपये पार्टी को चुनावी बॉन्ड से प्राप्त हुए।

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वित्त वर्ष 2022-23 में चुनावी बॉन्ड से किसे कितना मिला?

पार्टी पैसा
तृणमूल कांग्रेस (TMC) 325 करोड़ रुपये
भारत राष्ट्र समिति (BRS) 529 करोड़ रुपये
डीएमके 185 करोड़ रुपये
बीजद 152 करोड़ रुपये
टीडीपी 34 करोड़ रुपये
वहीं, पिछले वित्त वर्ष में चुनावी बॉन्ड से समाजवादी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल को कुछ भी नहीं मिला। जिसका मतलब है कि इन पार्टियों को चुनावी बॉन्ड से शून्य योगदान प्राप्त हुआ है। चुनावी बॉन्ड में लगभग आधा पैसा कॉरपोरेट्स से आता है, जबकि शेष धन 'अन्य स्रोतों' से प्राप्त होता है।