Free Electricity: कम होता नुकसान बन रहा मुफ्त बिजली की ढाल, राज्यों की डिस्काम पर बकाये की राशि हुई आधी
बिजली मंत्री आरके सिंह ने बताया कि अधिकांश डिस्काम समय पर अपने बकाये का भुगतान करने लगी हैं। डिस्काम नई बिजली खरीद का भी समय पर भुगतान करने लगी हैं और इन पर जो पुराने बकाये थे उसका भी किस्तों में भुगतान कर अपना बोझ घटा रही हैं। 20 जून 2023 तक देश की सभी डिस्काम पर संयुक्त तौर पर सिर्फ 44486 करोड़ रुपये का बकाया है।
क्या है इसकी वजह?
क्या कहते हैं आंकड़े?
वर्ष 2018-19 में अगर ग्रामीण भारत में चौबीस घंटों में औसतन 20.7 घंटे की बिजली दी जा रही थी तो वर्ष 2022-23 में यह अवधि 20.6 घंटे की रही है। पूरे देश के आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले पांच वर्षों से लगातार शहरी क्षेत्र में 23.8 घंटे की बिजली आपूर्ति दी जाती रही है। ये आंकड़े बिजली मंत्री आरके सिंह ने ही लोकसभा में 27 जुलाई को पेश किए हैं।क्या कुछ बोले बिजली मंत्री?
बिजली मंत्री ने बताया,अधिकांश डिस्काम समय पर अपने बकाये का भुगतान करने लगी हैं। डिस्काम नई बिजली खरीद का भी समय पर भुगतान करने लगी हैं और इन पर जो पुराने बकाये थे, उसका भी किस्तों में भुगतान कर अपना बोझ घटा रही हैं।
कितने राज्यों की डिस्काम पर है सबसे ज्यादा बकाया?
24 जुलाई, 2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक,कर्नाटक सरकार ने 200 यूनिट तक की बिजली उपभोग करने वाले ग्राहकों से कोई भी शुल्क नहीं लेने का फैसला किया है। राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने 01 जून, 2023 से सौ यूनिट तक के उपभोग को मुफ्त किया है। जाहिर है कि इन दोनों राज्यों की बिजली स्थिति पर क्या असर होता है, इसका पता कुछ महीनों बाद चलेगा।महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक की डिस्काम पर हमेशा से सबसे ज्यादा राशि बकाया होती है। इसकी वजह इन राज्यों का औद्योगिकीकरण और ज्यादा बिजली खपत होने को बताया जाता है।जिन पांच राज्यों की डिस्काम पर सबसे ज्यादा बकाया है, उनमें मुफ्त बिजली की राजनीति आम तौर पर नहीं हुई है। ये राज्य हैं तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान और जम्मू व कश्मीर। इनमें कर्नाटक में मई, 2023 विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस सरकार ने मुफ्त बिजली का एजेंडा अब लागू किया है।
अपने बजट में राज्य करते हैं सब्सिडी का इंतजाम
राज्य में मुफ्त बिजली के बावजूद उस राज्य की बिजली स्थिति पर कोई फर्क नहीं पड़ने की एक वजह यह भी है कि अब राज्यों को बिजली सब्सिडी की राशि का इंतजाम अपने बजट में ही करना पड़ता है। इस बारे में आरबीआई का स्पष्ट दिशा-निर्देश है।इस वित्त वर्ष में उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने बजट में 1500 करोड़ रुपये का इंतजाम किया है ताकि राज्य के 14 लाख किसानों के बिजली बिल का भुगतान हो सके। पिछले वित्त वर्ष के दौरान इस मद में 2,000 करोड़ का इंतजाम किया गया था। इस तरह से डिस्काम को समय पर भुगतान मिल रहा है जिससे वह बिजली उत्पादक संयंत्रों को भी समय पर पैसे का भुगतान कर पा रही हैं।बिजली बिलिंग की स्थिति में हुआ सुधार
एक वजह यह भी है कि अधिकांश राज्यों में बिजली बिलिंग की स्थिति में सुधार हुआ है, बिजली की चोरी पहले के मुकाबले कम हुई है।बिजली मंत्रालय का ही आंकड़ा बताता है कि वर्ष 2021-22 में ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन से होने वाली हानि घटकर 17 प्रतिशत रह गई है जोकि एक वर्ष पहले 22 प्रतिशत थी। नतीजा यह है कि वर्ष 2022-23 में देश में बिजली खपत में 9.5 प्रतिशत की रिकार्ड वृद्धि के बावजूद बिजली आपूर्ति को लेकर कोई बड़ी समस्या पैदा नहीं हुई है।राज्य | वर्ष 2018-19 (ग्रा.आपूर्ति- श.आपूर्ति) |
वर्ष 2020-21 (ग्रा.आपूर्ति- श.आपूर्ति) |
वर्ष 2022-23 (ग्रा.आपूर्ति- श.आपूर्ति) |
यूपी | 19.10--23.97 | 16.28--23.47 | 16.15--23.54 |
बिहार | 21.22--उपलब्ध नहीं | 21.90--23.41 | 20.10--23.40 |
पंजाब | 23.27--23.78 | 21.33--23.50 | उपलब्ध नहीं--23.68 |
मध्य प्रदेश | 23.33--23.70 | 19.62--23.94 | 20.66--23.60 |
हरियाणा | 19.62-23.28 | 17.12--23.62 | 19.40--23.63 |
बंगाल | 18.18--23.97 | 22.97--23.77 | 23.33--23.85 |
पूरे देश में | 20.7--23.8 | 20.5--23.8 | 20.6--23.8 |