खालिस्तान समर्थक अमृत पाल की बैरक से मिले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जेल प्रशासन पर उठे सवाल
डिब्रूगढ़ जेल में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत बंद कट्टरपंथी संगठन वारिस पंजाब दे (डब्ल्यूपीडी) प्रमुख अमृतपाल और उसके चाचा सहित कई समर्थकों की बैरकों से इलेक्ट्रॉनिक गैजेट बरामद किए गए हैं। इसमें स्मार्ट फोन और खुफिया कैमरा भी शामिल है। यह संगठन खालिस्तान का समर्थन करता है और किसानों के पिछले प्रदर्शन के दौरान चर्चा में आया था।
पीटीआई, गुवाहाटी। बेहद हाइटेक कही जाने वाली डिब्रूगढ़ जेल में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत बंद कट्टरपंथी संगठन वारिस पंजाब दे (डब्ल्यूपीडी) प्रमुख अमृतपाल और उसके चाचा सहित कई समर्थकों की बैरकों से इलेक्ट्रॉनिक गैजेट बरामद किए गए हैं।
इसमें स्मार्ट फोन और खुफिया कैमरा भी शामिल है। यह संगठन खालिस्तान का समर्थन करता है और किसानों के पिछले प्रदर्शन के दौरान चर्चा में आया था। पंजाब के विभिन्न हिस्सों से एनएसए के तहत गिरफ्तार अमृत पाल सहित अन्य उसके समर्थक पिछले साल 19 मार्च से इस जेल में बंद हैं।
पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जीपी सिंह ने कहा है कि खुफिया जानकारी के आधार पर जेल कर्मचारियों द्वारा परिसर की तलाशी ली गई। इस दौरान विभिन्न इलेक्टॉनिक उपकरण मिले। इसमें स्मार्टफोन, कीपैड फोन, एक कीबोर्ड के साथ एक टीवी रिमोट, एक स्पाईकैम पेन, पेन ड्राइव, ब्लूटूथ हेडफोन और स्पीकर शामिल हैं। जेल कर्मचारियों ने इन सभी उपकरणों को जब्त कर लिया है। ये उपकरण कहां से आए और किसने इन्हें उपलब्ध कराया, इसकी जांच की जा रही है।
पुलिस महानिदेशक ने एक्स पर पोस्ट किया कि जेल के एनएसए सेल में संदिग्ध गतिविधियों के बारे में जानकारी मिलने के बाद वहां अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। भविष्य में कैदियों तक इस तरह की वस्तुएं न पहुंच पाएं, इसके पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं।पंजाब से कट्टरपंथी संगठन के सदस्यों के आने के बाद से डिब्रूगढ़ जेल में एक बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था स्थापित की गई थी, जिसमें अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगाना और खराब कैमरों की मरम्मत शामिल था। डिब्रूगढ़ जेल सबसे पुरानी और उच्च सुरक्षा वाली जेलों में से एक है। इसका निर्माण 1860 में अंग्रेजों द्वारा किया गया था।
गौरतलब है कि विगत वर्ष पंजाब पुलिस द्वारा कई सप्ताह तक तलाशी अभियान चलाने के बाद पंजाब के मोगा जिले से गिरफ्तार करने के बाद अमृतपाल को डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल लाया गया था। इसके विरुद्ध एनएसए के तहत कार्रवाई की गई थी। उसके नौ सहयोगियों पर भी एनएसए के तहत कार्रवाई की गई थी। इस जेल में कई उग्रवादी संगठनों के प्रमुख नेताओं को भी रखा गया है। इस लिहाज से यहां की सुरक्षा-व्यवस्था के मानक भी बहुत उच्च रखे गए हैं।