Encounter Specialist: कहानी उन वर्दीवालों की जिनके नाम से छूट जाते हैं बदमाशों के पसीने, सुपरकॉप जो कहलाए एनकाउंटर स्पेशलिस्ट
Encounter Specialist 2003 की शुरुआत तकपुलिस ने 1200 कथित अपराधियों को मार डाला था। इन हत्याओं में शामिल मुंबई पुलिस के सदस्यों को व्यापक रूप से एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में जाना जाता है। एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की इस लिस्ट में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र पुलिस का दबदबा है।
By Babli KumariEdited By: Updated: Fri, 16 Sep 2022 08:34 PM (IST)
नई दिल्ली, आनलाइनडेस्क। एक एनकाउंटर को ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है कि जब एक गैंगस्टर को घेर लिया जाता है और उसे आत्मसमर्पण करने के लिए कहा जाता है, तो जाहिर तौर पर वो पुलिस पर हमला करता है या भागने की कोशिश करता है, और जवाबी कार्रवाई में पुलिस उस पर गोली चला देती है। इस परिभाषा को समझना आसान हो सकता है लेकिन यह 'नियम' हमेशा ही विवाद और बहस का मुद्दा बन रहा है। जहां कुछ लोग 'एनकाउंटर स्पेशलिस्ट' को हीरो मानते हैं, तो वहीं कुछ उन्हें मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले के रूप में देखते हैं।
पुलिस हमारी सुरक्षा के लिए होती है और समाज तथा देश को सुरक्षित बनाए रखने के लिए पुलिस हर वो काम करती है जो सही और देशहित में होता है। कई बार पुलिस को कानून से ऊपर उठकर खूंखार अपराधियों का एनकाउंटर करना पड़ता है। हमारे देश में ऐसे बहुत सारे पुलिस ऑफिसर्स हैं जिन्होने समय-समय पर खतरनाक अपराधियों का एनकाउंटर करके समाज को सुरक्षित किया है।Shopian Encounter: शोपियां में सुरक्षाबलों ने LeT के आठ दिन पुराने आतंकी को किया ढेर
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)ने अपनी 2018-19 की वार्षिक रिपोर्ट में खुलासा किया कि उस साल पुलिस मुठभेड़ों में 164 मौतें हुईं। सााल 2013-14 से 2018-19 तक के पांच सालों में सालाना मुठभेड़ में मरने वालों की संख्या क्रमश: 137, 188, 179, 169 और 164 थी।NHRC के रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में पुलिस मुठभेड़ में सबसे ज्यादा (23) मौतें हुईं, इसके बाद असम (23), महाराष्ट्र (11), मेघालय (7), और मणिपुर (5) में मौतें हुईं। जहां कथित पुलिस मुठभेड़ में हुई मौतों पर 158 मामले दर्ज किए गए थे, वहीं एनएचआरसी की जांच के बाद केवल 98 को ही मुठभेड़ माना गया था।
इसके अलावा, NHRC ने मानवाधिकार उल्लंघन (मुठभेड़ में हुई मौतों सहित) के केवल 25 मामलों में पुलिस कर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है और किसी भी कर्मियों के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया है।ये भी पढ़ें- Nowgam Encounter: नौगाम में दो आतंकी ढेर, Tral में सीआरपीएफ बंकर पर ग्रेनेड से हमला
ये बताता है कि हमारे देश में कानून के ज़रिए लंबे और थकाउ इंसाफ पर तुरंत और हिंसक न्याय ज्यादा प्रभावी होती जा रही है। एक तरफ तो हमें कुछ मामलों में एनकाउंटर देखकर खुशी होती है तो कुछ मामलों मे देखकर संविधान और न्याय प्रक्रिया का गला घोटते देख निराशा सी होती है। पर इसमें भी देश की जनता का दोष नहीं है वो देश की न्यायिक व्यवस्था में भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए कुछ जघन्य मामलों में एनकाउंटर के ज़रिए त्वरित करवाई से उन्हें भरोसा कायम रखने में मदद मिलती।
आज हम भारत के ऐसे ही 10 जाबांज पुलिस एनकाउंटर और एनकाउंटर करने वाले ऑफिसर्स के बारे में जानेंगे जिन्हे 'एनकाउंटर स्पेशलिस्ट' भी कहा जाता है।