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क्या आने वाले दिनों में देश में बढ़ सकता है खाद्यान्न संकट?, सरकार ने लोगों की आशंकाओं का किया समाधान

उपभोक्ता मामले खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने कहा कि गेहूं और चावल की खुदरा और थोक कीमतों में कमी दर्ज की गई। पिछले सप्ताह के दौरान आटे की कीमतें स्थिर रहीं है। सरकार ने कहा कि उसने कीमतों में और वृद्धि से बचने के लिए कई कदम उठाए हैं।

By AgencyEdited By: Arun kumar SinghUpdated: Sun, 02 Oct 2022 04:51 PM (IST)
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देश में पर्याप्त खाद्यान्न भंडार उपलब्ध है गेहूं, आटा और चावल की कीमतें नियंत्रण में हैं।
नई दिल्ली, एएनआई। सात महीने से जारी रूस- यूक्रेन युद्ध के बीच पूरी दुनिया में खाद्यान्न संकट गहरा गया है। दुनिया में खाद्यान्न और ईंधन की कीमतों में बड़ा उछाल आया है। यह दुनिया के समक्ष बड़ी चुनौती है। इस बीच केंद्र सरकार ने रविवार को लोगों की आशंकाओं का समाधान करते हुए कहा कि देश में पर्याप्त खाद्यान्न भंडार उपलब्ध है गेहूं, आटा और चावल की कीमतें नियंत्रण में हैं। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने कहा कि सरकार नियमित रूप से आवश्यक वस्तुओं की कीमतों की निगरानी करती है और जब भी आवश्यक हो, सुधारात्मक उपाय भी करती है। युद्ध और महामारी के दौर में भी भारत ने ऐसे संकट के समय भी अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, यमन और कई अन्य देशों को खाद्यान्न की आपूर्ति की।

तीन महीने बढ़ाई गई प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को तीन महीने के लिए दिसंबर 2022 तक बढ़ा दिया है1 इससे यह सुनिश्चित होगा कि त्योहारों के मौसम में गरीबों और जरूरतमंदों को किसी भी कठिनाई का सामना न करना पड़े। मंत्रालय ने कहा कि गेहूं और चावल की खुदरा और थोक कीमतों में कमी दर्ज की गई और पिछले सप्ताह के दौरान आटे की कीमतें स्थिर रहीं है। सरकार ने कहा कि उसने कीमतों में और वृद्धि से बचने के लिए कई कदम उठाए हैं। गेहूं और चावल के मामले में निर्यात के लिए नए नियम लागू किए गए हैं।

एमएसपी में वृद्धि के अनुरूप बढ़ी हैं गेहूं और चावल की कीमतें

इसमें कहा गया है कि पिछले 2-3 वर्षों के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि के अनुरूप गेहूं और चावल की कीमतें कमोबेश बढ़ी हैं। 2021-22 के वित्तीय वर्ष के दौरान, कीमतें तुलनात्मक रूप से कम थीं क्योंकि कीमतों को नियंत्रित करने के लिए एक खुले बाजार बिक्री योजना के माध्यम से लगभग 80 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न खुले बाजार में उतार दिया गया था।

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