'अनुशासनात्मक मामलों को समय से निपटाएं'; CVC ने सरकारी विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों को दिया निर्देश
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने सरकारी विभागों सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों से सुनिश्चित करने को कहा है कि अनुशासनात्मक मामलों को निर्धारित समय सीमा के भीतर बिना किसी देरी के निपटाया जाए। सीवीसी के आदेश में कहा गया है कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और सीवीसी ने समय-समय पर दिशानिर्देश जारी कर अनुशासनात्मक कार्यवाही समय पर पूरा करने के लिए कहा है
पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने सरकारी विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों से सुनिश्चित करने को कहा है कि अनुशासनात्मक मामलों को निर्धारित समय सीमा के भीतर बिना किसी देरी के निपटाया जाए।
निर्देश के बाद भी होती है देरी
सीवीसी के आदेश में कहा गया है कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और सीवीसी ने समय-समय पर दिशानिर्देश जारी कर अनुशासनात्मक कार्यवाही समय पर पूरा करने के लिए कहा है, इसके बावजूद कई मौकों पर मामलों को निपटाने में अत्यधिक देरी होती है, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है और अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के उद्देश्य को विफल करता है।
जांच अधिकारियों को दिया जाना चाहिए प्रशिक्षण
सीवीसी ने यह भी कहा कि जांच समय पर पूरा करने के लिए जांच अधिकारियों (आइओ) को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। यह आदेश सभी केंद्रीय सरकारी विभागों के सचिवों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को जारी किया गया है।स्थानांतरण या पदोन्नति के बाद भी जांच जारी रखें आइओ
सीवीसी ने एक अन्य आदेश में कहा कि आइओ को जांच पूरी करने और रिपोर्ट सौंपने के लिए छह महीने की समय सीमा निर्धारित की गई है। हालांकि कई मामलों में जांच पूरी होने और जांच रिपोर्ट जमा करने में छह महीने से अधिक समय लग रहा है। इसका कारण स्थानांतरण, पदोन्नति, सेवानिवृत्ति आदि के कारण आइओ का बार-बार बदलना है। विभागीय जांच समय पर पूरा करने के लिए स्थानांतरण या पदोन्नति के बाद भी उसी आइओ को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने तक जांच जारी रखनी चाहिए।
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आइओ के स्थानांतरण के मामले में या तो स्थानांतरण आदेश जांच रिपोर्ट पेश करने के बाद लागू हो या विभागीय जांच जारी रखने के लिए वीडियो-कान्फ्रेंसिंग का उपयोग किया जा सकता है। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि जो सेवानिवृत्त होने वाला है (एक वर्ष की अवधि के भीतर) उसे आइओ के रूप में नियुक्त नहीं किया जाए। यदि किसी कारण विभागीय जांच में देरी होती है और आइओ जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले सेवानिवृत्त हो जाता है, तो उसे सेवानिवृत्ति के बाद भी आइओ के रूप में जारी रखने पर विचार किया जाए।
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