मानव अस्तित्व बचाने के लिए पर्यावरण सम्मेलन आज से, बाइडन, सुनक समेत 100 से ज्यादा देशों के नेता लेंगे हिस्सा
संयुक्त राष्ट्र के बैनर तले आयोजित होने वाला अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन (COP 27) छह से 18 नवंबर के बीच मिस्त्र के शर्म अल-शेख में होगा। सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव करेंगे। सम्मेलन में 198 देशों और प्रमुख संगठनों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।
By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sun, 06 Nov 2022 04:16 AM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसियां। संयुक्त राष्ट्र के बैनर तले आयोजित होने वाला अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन (COP 27) छह से 18 नवंबर के बीच मिस्त्र के शर्म अल-शेख में होगा। सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव करेंगे। सम्मेलन में 198 देशों और प्रमुख संगठनों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक सहित 100 से ज्यादा देशों के प्रमुखों के हिस्सा लेने के आसार हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सम्मेलन में हिस्सा लेंगे या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है।
हानिकारक गैसों के उत्सर्जन शून्य करने पर होगा विचार
सम्मेलन में हानिकारक गैसों का उत्सर्जन शून्य करने के तरीकों पर विचार होगा। पेरिस समझौते के तहत लिए गए निर्णयों के क्रियान्वयन की भी समीक्षा होगी। भारत इस सम्मेलन में विकासशील देशों की मदद बढ़ाए जाने की मांग करेगा। बताएगा कि विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों में गैसों और कार्बन का कम उत्सर्जन होता है, इसलिए जरूरतमंद देशों को ज्यादा मदद दी जानी चाहिए।
आर्थिक मदद में स्पष्टता की मांग रखेगा भारत
समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक, पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि भारत पर्यावरण सुधार के लिए आर्थिक मदद दिए जाने की व्यवस्था में पारदर्शिता और स्पष्टता की अपेक्षा भी करेगा। पर्यावरण मंत्री यादव ने कहा है कि भारत मांग करेगा कि पर्यावरण सुधार के लिए दी जाने वाली धनराशि को अनुदान या ऋण या छूट के साथ वापस की जाने वाली धनराशि में से क्या माना जा रहा है। कोपेनहेगन में 2015 में हुए सीओपी 15 में 100 अरब डालर की निधि बनाने पर निर्णय हुआ था। 2020 से यह धनराशि प्रतिवर्ष विकासशील देशों को दी जानी थी लेकिन विकसित देश ऐसा करने में विफल रहे। भारत अन्य विकासशील देशों के समर्थन से इस मदद को दिए जाने की लगातार आवाज उठा रहा है।प्राकृतिक आपदाओं के बीच हो रहा सम्मेलन
समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, सम्मेलन में विश्व में बड़े पैमाने पर हो रहे मौसम परिवर्तन पर चर्चा होगी। यह सम्मेलन तब हो रहा है जब बीते महीनों में बांग्लादेश समुद्री तूफानों से त्रस्त हो चुका है, पाकिस्तान वर्षा के बाद आई भयंकर बाढ़ से बदहाल हुआ है, यूरोप गर्मी से बेचैन रहा है, अमेरिका में अप्रत्याशित रूप से तापमान बढ़ा और जंगल में आग लगी, चीन में कुछ नदियां सूख गईं और कुछ में भयंकर बाढ़ आई तथा अफ्रीका सूखे का सामना कर रहा है। इस सबका कारण पृथ्वी और समुद्र के बढ़ रहे तापमान को माना जा रहा है। यह तापमान हानिकारक गैसों के उत्सर्जन से बढ़ रहा है।
अस्तित्व के खतरे से आइएमएफ ने चेताया
मौसम में बदलाव को नियंत्रित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने तीन प्राथमिकताएं निश्चित की हैं। सम्मेलन में इन पर चर्चा होगी। आइएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जियोर्जिएवा ने ब्लाग में लिखा है कि अगर विश्व समुदाय हानिकारक गैसों का उत्सर्जन रोकने में विफल रहा तो आपदाओं की संख्या और उनसे होने वाला विनाश बढ़ता जाएगा। इससे विश्व के कई हिस्से पलायन की समस्या से जूझेंगे और संपन्न देशों में शरणार्थियों की समस्या बढ़ेगी। अगर 2030 तक तापमान को कम करने के उपायों को गंभीरता से क्रियान्वित नहीं किया गया तो फिर वैश्विक तापमान को दो डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होने से नहीं रोका जा सकेगा। इससे प्राकृतिक आपदाओं में और बढ़ोतरी होगी।2050 तक कम करना होगा हानिकारक गैसों का उत्सर्जन
एएनआई के मुताबिर जियोर्जिएवा ने कहा है कि पृथ्वी पर मानव के अस्तित्व को बचाए रखना है तो हमें 2050 तक हानिकारक गैसों का उत्सर्जन पूरी तरह से रोकना होगा, वैश्विक तापमान को कम करने के उपायों को अमल में लाना होगा और गरीब देशों की मदद के लिए अलग से धन की व्यवस्था करनी होगी जिससे वे प्रदूषणकारी कार्यों से दूर रह सकें।