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Rajendra Singh Birthday: वाटरमैन ऑफ इंडिया, जिन्होंने बदल दी हजारों गांव की तस्वीर; नदियों को किया पुनर्जीवित

भारत के जलपुरुष के नाम से मशहूर पर्यावरण कार्यकर्ता राजेन्द्र सिंह का आज जन्मदिन है। 6 अगस्त (August) 1959 को जन्मे भारत के जलपुरुष राजेन्द्र सिंह आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। उन्होंने अपने जीवन के 46 साल जल संरक्षण के काम में लगा दिए। उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि करीब एक हजार गांवों को पानी मुहैया कराया गया।

By Mohd FaisalEdited By: Mohd FaisalUpdated: Sun, 06 Aug 2023 12:05 AM (IST)
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India's Waterman Rajendra Singh Birthday:भारत के जलपुरुष के नाम से मशहूर पर्यावरण कार्यकर्ता राजेन्द्र सिंह का जन्मदिन (फोटो जागरण ग्राफिक्स)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। कहते हैं कि अगर कोई भी शख्स किसी काम को सच्ची लगन और मेहनत के साथ करे तो उस काम में आई अड़चनों से पार पाया जा सकता है। इसलिए कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो अपने से ज्यादा समाज के लिए सोचते हैं और उनके बेहतर जीवन के लिए हर एक चुनौतियों से पार पा लेते हैं। ऐसे ही एक शख्स हैं राजेन्द्र सिंह, जिन्हें भारत का जलपुरुष कहा जाता है।

भारत के जलपुरुष के नाम से मशहूर पर्यावरण कार्यकर्ता राजेन्द्र सिंह (Rajendra Singh Birthday) का आज जन्मदिन है। 6 अगस्त (August) 1959 को जन्मे भारत के जलपुरुष राजेन्द्र सिंह (India's Waterman Rajendra Singh) आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। उन्होंने अपने जीवन के 46 साल जल संरक्षण के काम में लगा दिए। उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि करीब एक हजार गांवों को पानी मुहैया कराया गया।

हालांकि, राजेंद्र सिंह को उनके सराहनीय कार्य के लिए लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित भी किया गया। आइये जानते हैं भारत के जलपुरुष के नाम से मशहूर पर्यावरण कार्यकर्ता राजेन्द्र सिंह के बारे में।

कौन हैं 'जलपुरुष' राजेंद्र सिंह?

दरअसल, राजेंद्र सिंह का जन्म यूपी के बागपत जिले के डौला गांव में हुआ था। उन्होंने शुरुआती पढ़ाई अपने गांव से ही की। हालांकि, उन्होंने हिंदी से एमए किया और भारतीय ऋषिकुल आयुर्वेदिक महाविद्यालय से आयुर्वेद की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने छात्र राजनीति में भी कदम रखे। कॉलेज के दिनों में वह छात्र युवा संघर्ष वाहिनी से भी जुड़े। इसके बाद जब जयप्रकाश नायारण के नेतृत्व में देशभर में आंदोलन चरम पर था तो वह इससे काफी प्रभावित हुए। हालांकि, कुछ समय बाद साल 1980 में उन्हें सरकारी नौकरी मिल गई। जिसके बाद वह नौकरी करने के लिए जयपुर चले गए।

जब 'जल' को बचाने मैदान में उतरे राजेंद्र सिंह

  • राजेंद्र सिंह की शादी को डेढ़ साल ही हुए थे कि उन्होंने अपनी नौकरी को छोड़ दिया। उन्होंने पानी की समस्या को हल करने का बीड़ा उठाया।
  • बता दें कि साल 1975 में तरुण भारत संघ की नींव राजेंद्र सिंह ने रखी थी। इसने करीब एक हजार गांवों को पानी भी मुहैया कराया।
  • इसके बाद राजेंद्र सिंह ने जल नीति में सुधार की मांग, गंगा को निर्मल कर गंगत्व बचाने, गंगा व श्वेत पत्र जारी करने, जल साक्षरता और जंगल बचाओ-जीवन बचाओ जैसे अभियान चलाए।
  • वह राजस्थान में अलवर के भीकमपुरा गांव में पर्यावरण के लिए काम करने वाली तरुण भारत संघ संस्था चलाते हैं।

  • राजेंद्र सिंह ने अपने जीवन के 46 साल जल संरक्षण के लिए लगा दिए।
  • उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि राजस्थान में 11800 जल संरचनाएं बनवाई गईं।
  • इसके अलावा उन्होंने देशभर में अरवरी, रुपारेल, सरसा, भगानी, महेश्वरा, साबी, तबिरा, सैरनी, जहाजवाली, अग्रणी, महाकाली व इचनहल्ला समेत 12 नदियों को पुनर्जीवित किया।
  • साथ ही उन्होंने 60 देशों में जल संरक्षण के लिए यात्रा भी की।

हजारों गांवों की बदली तस्वीर

राजेंद्र सिंह ही थे, जिन्होंने प्राचीन भारतीय तकनीक से गांव की तस्वीर को बदल दिया। उन्होंने बारिश के पानी को रोकने के लिए छोटे-छोटे तालाब बनाए थे। जिससे गांवों में होने वाली पानी की कमी को दूर किया जा सका। उनके इस काम की तारीफ पूर्व राष्ट्रपति के.आर. नारायणन ने भी की थी। इसके बाद उन्हें भारत का जलपुरुष कहा जाने लगा।

इन पुरस्कारों से सम्मानित हुए राजेंद्र सिंह

उल्लेखनीय है कि राजेंद्र सिंह को उनके काम के लिए राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया। साल 2001 में उन्हें वाटर-हार्वेस्टिंग और जल प्रबंधन में समुदाय-आधारित प्रयासों के लिए रैमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा 2005 में ग्रामीण विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के लिए जमनालाल बजाज पुरस्कार दिया गया।

साल 2008 में द गार्जियन ने उन्हें 50 लोगों की सूची में शामिल किया था, जो पृथ्वी को बचा सकते हैं। इसके साथ ही 2015 में स्टॉकहोम वॉटर प्राइज, 2018 में हाउस ऑफ कॉमन्स, यूनाइटेड किंगडम में अहिसा सम्मान और साल 2019 में अमेरिका सियटल से अर्थ रिपेयर और नई दिल्ली में पृथ्वी भूषण सम्मान था।