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एलन मस्क के आते ही पर्यावरणविदों ने बड़े पैमाने पर 'एक्स' छोड़ा, लेखकों ने कहा- नीतियां नहीं बदली तो...

अमेरिकी अरबपति एलन मस्क के ट्विटर को खरीदने के बाद से छह महीने के अंदर दुनिया भर के पर्यावरणविदों ने एक्स हो चुके इस प्लेटफार्म को छोड़ दिया है। अनुसंधानकर्ताओं ने 3.80 लाख पर्यावरण केंद्रित यूजर्स के समूह पर किए अध्ययन में पाया कि पर्यावरण समर्थक चर्चाओं में सक्रिय संरक्षण समुदाय पर्यावरण परिवर्तन और जैव विविधता जैसे विषयों पर चर्चा बंद कर दी है।

By AgencyEdited By: Anurag GuptaUpdated: Wed, 16 Aug 2023 10:03 PM (IST)
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अब एक्स के नाम से जाना जाता है ट्विटर (फोटो: रायटर)
नई दिल्ली, पीटीआई। अमेरिकी अरबपति एलन मस्क (Elon Musk) के ट्विटर को खरीदने के बाद से छह महीने के अंदर दुनिया भर के पर्यावरणविदों ने 'एक्स' हो चुके इस प्लेटफार्म को छोड़ दिया है।

अनुसंधानकर्ताओं ने नए शोध में पाया कि जैव विविधता, पर्यावरण परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं से उबरने जैसे विषयों पर जनता को जोड़ने के अभियान को गहरा झटका लगा है।

इन विषयों पर बंद हुई चर्चा!

अनुसंधानकर्ताओं ने 3.80 लाख पर्यावरण केंद्रित यूजर्स के समूह पर किए अध्ययन में पाया कि पर्यावरण समर्थक चर्चाओं में सक्रिय संरक्षण समुदाय पर्यावरण परिवर्तन और जैव विविधता जैसे विषयों पर चर्चा बंद कर दी है। पिछले छह महीने में इनमें से केवल 52.5 प्रतिशत यूजर्स ही मस्क के माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफार्म पर सक्रिय हैं। यूजर्स को तभी सक्रिय (एक्टिव) माना जाता है जब वह 15 दिनों के अंतराल पर कम से कम एक पोस्ट करें।

पर्यावरणविदों में आई खासी कमी

रिपोर्ट में कहा गया है कि आम राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करने वालों के मुकाबले पर्यावरणविदों में खासी कमी आई है। अनुसंधानकर्ताओं के संपर्क में आए पर्यावरणविद लेखकों ने बताया,

ट्विटर ने अपनी नीतियां नहीं बदलीं तो वह जल्द ही 'मास्टोडोन' या 'थ्रेड' जैसे दूसरे समकक्ष इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर चले जाएंगे।

खतरे में एक्स का भविष्य

उनका कहना है कि लोगों तक पहुंच बनाने और अनुसंधान को लेकर ट्विटर से एक्स बने प्लेटफार्म का भविष्य खतरे में है।

उल्लेखनीय है कि एलन मस्क ने ट्विटर को अक्टूबर, 2022 में खरीद लिया था जो कि पर्यावरण के मुद्दे पर सर्वाधिक चर्चा करने के लिए प्रमुख इंटरनेट मीडिया मंच पर प्रख्यात रहा है। इस शोध को 'ट्रेंड्स इन इकोलाजी एंड इवोल्यूशन फाउंड' जरनल में प्रकाशित किया गया है।