भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करेगा ईयू, हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के दखल को लेकर जताई चिंता
यूरोपीय संघ (ईयू) ने भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए एक व्यापक रणनीतिक एजेंडा जारी किया है। इस न्यू स्ट्रेटेजिक ईयू-इंडिया एजेंडा में व्यापार रक्षा सहयोग और मुक्त व्यापार समझौते जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ईयू ने भारत को एक महत्वपूर्ण साझेदार बताया है और 2025 तक एफटीए को अंतिम रूप देने की बात कही है।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। यूरोपीय संघ (ईयू) ने आज भारत के साथ अपने दीर्घकालिक द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा करने के लिए एक व्यापक रणनीतिक एजेंडा जारी किया है। इस ''न्यू स्ट्रेटेजिक ईयू-इंडिया एजेंडा'' नाम के घोषणा पत्र में कारोबार, रक्षा सहयोग, मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) और रूस-यूक्रेन विवाद जैसे मुद्दों पर विशेष फोकस किया गया है। ईयू ने भारत को दुनिया की सबसे बड़ी लोकतंत्र और सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में एक महत्वपूर्ण साझेदार बताया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। वैसे इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि रूस के साथ भारत के मौजूदा ऊर्जा व कारोबार को लेकर उसकी आपत्तियां हैं। लेकिन ईयू भारत के उदय को वैश्विक शक्ति के रूप में स्वागतयोग्य मानता है, जो दोनों पक्षों के लिए अवसर पैदा करता है। 2025 के अंत तक भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप देने को लेकर प्रतिबद्धता जताई गई है और इस समझौते को आपसी संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर के तौर पर चिन्हित किया गया है।
अमेरिका चीन की बढ़ती ताकत को लेकर चिंतित
यूरोपीय संघ का एजेंडा तब जारी किया गया है जब वैश्विक अनिश्चितता चरम पर है। दुनिया की सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका चीन की बढ़ती ताकत को लेकर चिंतित है। यूक्रेन-रूस युद्ध और मध्य एशिया के हालात लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को लेकर यूरोपीय संघ भी चिंतित है और अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है।
ईयू आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने सोशल मीडिया पर कहा है कि, “यह समय साझा हितों और मूल्यों पर आधारित साझेदारियों को दोगुना करने का है।'' इस प्रपत्र में वैश्विक स्तर पर भारत की कई क्षेत्रों में हासिल की गई उपलब्धियों का जिक्र है। जैसे शांति रक्षक मिशनों में आगे रहने, दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में तीसरा सबसे बड़े देश के तरौ पर भारत की प्रशंसा की गई है। इसमें द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने पर काफी ध्यान दिया गया है।
ईयू हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग पर दोहराई प्रतिबद्धता
ईयू और भारत वैश्विक जीडीपी और आबादी का लगभग एक चौथाई हिस्सा प्रतिनिधित्व करते हैं। वर्तमान में द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब यूरो से अधिक है जिसमें कई गुणा वृद्धि की संभावनाएं हैं। ईयू ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के साथ गहन, व्यापक और समन्वित सहयोग को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। साथ ही चीन पर परोक्ष तौर पर निशाना भी लगाया है। इसमें कहा गया है कि साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं और जैसे ताइवान स्ट्रेट, साउथ चाइना सी और रेड सी में तनाव के कारण दोनों क्षेत्रों की सुरक्षा और समृद्धि खतरे में है। इस क्रम में हिंद प्रशांत क्षेत्र में ईयू भारत के साथ एक ऐसे संबंध की आकांक्षा रखता है जो नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूत करे और क्षेत्रीय तनावों का मुकाबला करे।
ईयू भारत के साथ सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाना चाहता है
ईयू भारत के साथ सहयोग को प्राकृतिक माना है और लोकतांत्रिक मूल्यों व संप्रभुता के परस्पर सम्मान पर आधारित साझेदारी विकसित करने की बात कही है। रक्षा क्षेत्र में ईयू भारत के साथ सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाना चाहता है। इस सहयोग को हिंद-प्रशांत की सुरक्षा चुनौतियों का सीधे समाधान के तौर पर चिन्हित किया गया है। एजेंडा में स्पष्ट रूप से रक्षा साझेदारी को प्राथमिकता दी गई है।
सनद रहे कि जून 2025 में ब्रुसेल्स में पहली ईयू-भारत रणनीतिक वार्ता हुई थी। ईयू भारत के साथ जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के समान एक सुरक्षा और रक्षा साझेदारी समझौते की दिशा में काम करना चाहता है। इसमें संयुक्त नौसेना अभ्यास को बढ़ाया जाएगा। साथ ही इसमें दोनों के आपसी रणनीतिक हितों के लिए जरूरी समुद्री मार्गों में साझा परियोजनाओं की शुरुआत की जाएगी ताकि महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित हो। रक्षा उद्योग पर सूचना साझा करने और संयुक्त परियोजनाओं का विकास और तकनीकी हस्तांतरण पर फोकस होगा।
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