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कार्बन सूचना को लेकर यूरोपीय संघ सख्त, भारत-ईयू एफटीए वार्ता पर भी असर संभव; स्टील निर्यात पर पड़ेगा असर

भारतीय निर्यातकों को अक्टूबर से ही देनी होगी विस्तार से कार्बन उत्सर्जन की सूचना। कार्बन बार्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म पर अमल की अधिसूचना जारी। भारत के स्टील निर्यात पर असर संभव। बता दें भारत ने वर्ष 2022-23 में ईयू को 7.4 अरब डॉलर के मूल्य के उक्त उत्पादों का निर्यात किया था। ईयू की योजना आगे चल कर सीबीएएम नियम को बिजली फर्टिलाइजर हाइड्रोजन सीमेंट पर भी लागू करने की है।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Wed, 23 Aug 2023 10:58 PM (IST)
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भारत कई देशों के साथ एफटीए पर बात कर रहा है।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारत सरकार की तरफ से यूरोपीय संघ को मनाने की बहुत कोशिश की गई लेकिन वह कार्बन उत्सर्जन को लेकर जारी नई व्यवस्था सीबीएएम (कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मेकेनिज्म) को ना सिर्फ लागू करने पर अडिग है बल्कि उसे इस बात की भी परवाह नहीं है कि इससे भारत के साथ जारी मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर कोई विपरीत असर पड़ सकता है।

यही वजह है कि 17 अगस्त, 2023 को ईयू की तरफ से जो अधिसूचना जारी की गई है उसमें कोई भी राहत देने का संकेत नहीं है। इसके मुताबिक 01 अक्टूबर, 2023 से ईयू को स्टील, अल्यूमियिनम, लौह अयस्क जैसे उत्पादों का निर्यात करने वाले कारोबारियों को अपने उत्पाद से जुड़े डाटा, विवरण और प्रक्रिया के बारे कई सौ जानकारियां उपलब्ध करानी होगी।

बताना होगा निर्माण में कितना हो रहा कार्बन उत्सर्जन 

वैश्विक कारोबार पर शोध करने वाली एजेंसी जीटीआरआइ का आकलन है कि हर निर्यातक को तकरीबन 800 जानकारियां देनी होंगी। वैसे यह व्यवस्था पूरी दुनिया के लिए है और भारत को केंद्र में रख कर नहीं बनाया गया है लेकिन चूंकि उक्त उत्पादों का ईयू को सबसे ज्यादा निर्यात भारत ही करता है इसलिए सबसे ज्यादा असर यहां की कंपनियों पर ही होगा।

सीबीएएम लगाने का मकसद यह है कि यूरोपीय संघ यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उसके यहां जो उत्पाद आयातित होते हैं उनके निर्माण में कितना कार्बन उत्सर्जन हो रहा है, इसका पता चले। वैसे इस बारे में सही तरीके से नियम 01 जनवरी, 2026 से लागू किये जाएंगे, तब यूरोपीय संघ स्टील, अल्यूमिनियम आयात पर उनमें होने वाले कार्बन उत्सर्जन के आधार पर टैक्स वसूलना शुरू करेगा। इस उद्देश्य से ही अक्टूबर, 2023 से उससे जुड़ी सूचनाएं मांगने की व्यवस्था की गई है।

जीटीआरआइ का कहना है कि इस बारे में चूंकि भारत का 27 फीसद लौह अयस्क, अल्यूमिनियम, आयन पेलेट्स, स्टील आदि ईयू को होता है तो इसका असर भी बड़ा होगा। चूंकि भारत के कई छोटे व मझोले स्तर की कंपनियां इन उत्पादो का निर्यात ईयू को करती हैं इसलिए उन्हें बेहतर तरीके से तैयार करने की जरूरत है।

हर तरह के उत्पादों के आयात पर लागू होगा सीबीएएम 

भारत ने वर्ष 2022-23 में ईयू को 7.4 अरब डॉलर के मूल्य के उक्त उत्पादों का निर्यात किया था। ईयू की योजना आगे चल कर सीबीएएम नियम को बिजली, फर्टिलाइजर, हाइड्रोजन, सीमेंट पर भी लागू करने की है।

हालांकि भारत इन उत्पादो का निर्यात ईयू को नहीं करता है। ईयू वर्ष 2026 से इस व्यवस्था के तहत अतिरिक्त टैक्स लगाना शुरू करेगा। वर्ष 2034 से हर तरह के उत्पादों के आयात पर सीबीएएम लागू होगा। भारत और ईयू क बीच अभी मुक्त व्यापार समझौते के लिए बातचीत चल रही है। जानकारों का कहना है कि पिछली बैठकों में भारत की तरफ से सीबीएएम का मुद्दा उठाया गया था।

भारत कई देशों के साथ एफटीए पर बात कर रहा है। जैसे ब्रिटेन के साथ वार्ता काफी तेज रफ्तार से चल रही है लेकिन ईयू के साथ बातचीत की गति सुस्त है। इसके पीछे सीबीएएम जैसे मुद्दे भी हैं जिसको लेकर यूरोपीय संघ के रुख में नरमी नहीं है।