तिहाड़ जेल में गूंजती हैं 'किलकारियां'
नई दिल्ली [पवन कुमार]। द्वापर युग में जब जेल में जन्माष्टमी पर माता देवकी ने भगवान कृष्ण को जन्म दिया था, तो लोगों ने कामना की थी कि भविष्य में फिर कोई गर्भवती महिला जेल में न जाए और इस तरह से कठिनाईयों के बीच बच्चे को जेल में जन्म न दे। मगर, आज कलियुग में इस तरह की घटना की बार-बार पुनरावृति होती है। अपराध में लिप्त
By Edited By: Updated: Mon, 26 Aug 2013 09:04 AM (IST)
नई दिल्ली [पवन कुमार]। द्वापर युग में जब जेल में जन्माष्टमी पर माता देवकी ने भगवान कृष्ण को जन्म दिया था, तो लोगों ने कामना की थी कि भविष्य में फिर कोई गर्भवती महिला जेल में न जाए और इस तरह से कठिनाईयों के बीच बच्चे को जेल में जन्म न दे। मगर, आज कलियुग में इस तरह की घटना की बार-बार पुनरावृति होती है। अपराध में लिप्त बहुत सी गर्भवती महिलाएं जेल में जाती हैं और जेल में ही बच्चों को जन्म देती हैं।
तिहाड़ के कैदी तो 3 लाख का पैकेज जन्म लेने वाले अबोध मासूम मां की कोख रूपी कैद से आजाद होकर दुनिया में तो आते हैं, मगर मां के साथ जेल में ही कैद होकर रह जाते हैं। जेल में जन्म लेने वाले ऐसे अभागे मासूम अपने बचपन के कुछ शुरुआती साल मां के पापों की सजा जेल में ही मां के साथ रहकर काटते हैं। ऐसी माताओं और बच्चों की दिल्ली की तिहाड़ जेल में भी कमी नहीं है। तिहाड़ की जेल संख्या 6 इस बात की प्रमुख गवाह है। तिहाड़ जेल में औसतन हर ढाई महीने में एक गर्भवती महिला की डिलीवरी होती है। ये वे महिलाएं होती हैं, जो आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी के समय गर्भवती होती हैं और उन्हें जेल रहते हुए ही अपने बच्चे को जन्म देना पड़ता है। इस चौंकाने वाले तथ्य का खुलासा स्वयं तिहाड़ जेल प्रशासन ने सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र शर्मा द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में किया है।
तिहाड़ जेल से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई थी कि पिछले पांच साल में यहां बंद महिला कैदियों में से कितनी महिला कैदियों की डिलीवरी हुई और कितने बच्चों ने जन्म लिया। महिला कारागर की जनसूचना अधिकारी ने इसके जवाब में बताया है कि तिहाड़ की जेल नंबर 6 में मई 2008 से मई 2013 के बीच पांच साल में 24 बच्चों ने जन्म लिया है। यहां पर कितनी महिलाओं की डिलीवरी हुई। इसका जवाब उन्होंने यह कहते हुए देने से इंकार किया है कि यह बात गोपनीयता की श्रेणी में आती है। छह साल तक जेल में मां के साथ रहते हैं बच्चे
अधिवक्ता मनीष भदौरिया के मुताबिक कानूनन बच्चे की उम्र छह साल की होने तक उसे उसकी मां से अलग नहीं किया जा सकता। यही, कारण है कि तिहाड़ जेल में जन्म लेने वाले बच्चों को उनकी मां के साथ ही जेल में रहना होता है। छह साल की उम्र होने के बाद कानून के अनुसार बच्चों को मां से अलग कर उसे महिला कैदी के परिजनों के पास भिजवा दिया जाता है। जिससे कि वह अपनी पढ़ाई पूरी कर सके। बच्चों की जरूरतों के लिए काम करता है जेल का अलग विंग तिहाड़ जेल के प्रवक्ता सुनील गुप्ता ने बताया कि जेल में जन्मे बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के लिए तिहाड़ जेल में एक अलग विंग काम करता है। यह बच्चों के लिए खिलौने, झूले व खाने-पीने की अन्य वस्तुओं की पूर्ति करता है। जेल प्रशासन द्वारा इस बात का ध्यान रखा जाता है कि बच्चे को मां के साथ रहते हुए कैद में होने का अहसास न हो। उसे ऐसा लगे कि वह अपने घर पर है। इसके अतिरिक्त जेल में बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा की व्यवस्था की जाती है। अगर किसी महिला कैदी के बच्चे की जिम्मेदारी लेने वाला कोई परिजन नहीं होता तो ऐसे बच्चों का दाखिला बोर्डिग स्कूल में स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से कराया जाता है।
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