EWS Reservation: आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 प्रतिशत तक आरक्षण देने के फैसले का फलाफल
EWS Reservation उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश और केंद्र सरकार की नौकरियों में भर्ती में यह आरक्षण मिलता है। इस प्रकार संशोधन के तहत राज्यों को भी आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करने का अधिकार दिया गया है।
By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalUpdated: Tue, 08 Nov 2022 09:15 AM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने तीन-दो के बहुमत से संविधान के 103वें संशोधन को वैध ठहराया है। यह संशोधन जनवरी, 2019 में किया गया था। संशोधन को चुनौती दी गई थी, जिसे अगस्त, 2020 में पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सौंपा गया था। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस एसबी पार्डीवाला ने संविधान के 103वें संशोधन को वैध माना है। इन तीनों जजों ने कहा कि इस संशोधन से संविधान का मूल ढांचा प्रभावित नहीं होता है। जस्टिस एस रविंद्र भट और चीफ जस्टिस यूयू ललित ने संशोधन को वैध नहीं मानते हुए फैसला दिया।
इस आधार पर दी गई थी संशोधन को चुनौती
संविधान के 103वें संशोधन को यह कहते हुए चुनौती दी गई कि इससे संविधान का मूल ढांचा प्रभावित होता है। सुप्रीम कोर्ट ने केशवानंद भारती (1973) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के मूल ढांचे की बात कही थी। इसमें कहा गया था कि संविधान की कुछ बातों को बदला नहीं जा सकता है। संशोधन का विरोध करने वालों की दलील थी कि संविधान में सामाजिक स्तर पर हाशिए पर रह गए वर्गों को विशेष सुरक्षा देने की बात कही गई है, जबकि 103वां संशोधन आर्थिक आधार पर विशेष सुरक्षा का प्रविधान करता है।
यह कहता है संविधान का 103वां संशोधन
103वें संशोधन के तहत संविधान में अनुच्छेद 15 (6) और 16(6) को जोड़ा गया था। इनके तहत गैर पिछड़ा एवं गैर एससी/ एसटी श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 प्रतिशत तक आरक्षण देने की व्यवस्था की गई। दूसरे शब्दों में कहें तो इस संविधान संशोधन के माध्यम से कथित अगड़ी जातियों या सामान्य वर्ग के गरीब तबके के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई।