EWS Reservations: दुर्बल आय वर्ग को मिले आयु सीमा के साथ शुल्क में भी छूट
वर्ष 2019 में 103वें संविधान संशोधन के तहत ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू किया गया था। इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए कहा गया है कि संविधान के 103वें संशोधन के तहत दिया गया यह आरक्षण संविधान के मूल ढांचे से छेड़छाड़ है।
कैलाश बिश्नोई। केंद्र सरकार का नौ जनवरी 2019 को ऐतिहासिक मांग को स्वीकार करते हुए जनरल कैटेगरी में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सभी सरकारी नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आर्थिक पिछड़ा वर्ग (ईडब्ल्यूएस ) को आरक्षण देने का फैसला एक स्वागतयोग्य तथा सुखद मास्टरस्ट्रोक था। केंद्र सरकार का आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण देने का दांव अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पलटने वाले कानून बनाने के बाद सवर्णों में आई नाराजगी को दूर करने और सवर्णों को मनाने की दिशा में एक बड़ी कोशिश मानी गई थी।
परंतु चिंता की बात यह है कि आर्थिक पिछड़ा वर्ग आरक्षण में आयु सीमा और फीस में छूट का प्रविधान न होने से इस वर्ग का एक बड़ा हिस्सा इसके लाभों से वंचित रह गया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा नौकरियों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग को आयु सीमा में छूट का प्रविधान है। अन्य पिछड़ा वर्ग को अधिकतम उम्र सीमा में तीन साल की और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणी के अभ्यर्थियों को पांच साल की छूट दी जाती है। साथ ही आवेदन पात्रता में निर्धारित अंकों में भी आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को छूट दी जाती है। अच्छी बात है कि कई राज्य सरकारों मसलन गुजरात, राजस्थान महाराष्ट्र एवं जम्मू कश्मीर में इस विसंगतियों को दूर कर ईडब्ल्यूएस आरक्षण में एसटी, एससी एवं ओबीसी आरक्षण की तरह आयु सीमा में छूट दी गई है।
ईडब्ल्यूएस अभ्यर्थियों का मानना है कि केंद्र सरकार की भर्तियों और प्रवेश परीक्षाओं में 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है, लेकिन उम्र सीमा और शुल्क में छूट न मिलने के कारण ईडब्ल्यूएस के तहत आरक्षण सफेद हाथी साबित हो रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार को भी ईडब्ल्यूएस को आयु संबंधित छूट का प्रविधान करना चाहिए। आरक्षण का सही लाभ तभी मिलेगा, जब एससी-एसटी और ओबीसी की तरह सरकारी नौकरियों के लिए उम्र में भी छूट दी जाए और साथ ही शुल्क में भी छूट की जाए। यह आरक्षण तभी प्रासंगिक होगा जब आर्थिक आधार पर पिछड़े छात्रों को आयु सीमा और शुल्क में छूट प्रदान की जाए।
[शोध अध्येता, दिल्ली विश्वविद्यालय]