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विदेश मंत्री एस जयशंकर की मास्‍को यात्रा से जगी कई सारी उम्‍मीदें, जानें- इस पर क्‍या है जानकारों की राय

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की मास्‍को यात्रा पर पूरी दुनिया की नजर लगी है। अधिकतर इस मुलाकात को रूस और युक्रेन युद्ध से भी जोड़कर देख रहे हैं। जानकार मान रहे हैं कि इस दौरान कई मुद्दों पर बात होगी।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 07 Nov 2022 05:20 PM (IST)
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एस जयशंकर की मास्‍को यात्रा से बंधी कई उम्‍मीदें
नई दिल्‍ली (एजेंसी)। यूक्रेन से जारी युद्ध के बीच भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की मास्‍को यात्रा अपने आप में बेहद खास हो गई है। इस यात्रा से कई सारी उम्‍मीदें भी जगी हैं। उनकी इस यात्रा पर देश और दुनिया की निगाह लगी है। इस यात्रा के इतना खास होने के पीछे कुछ खास वजह भी हैं। बीते कुछ दिनों में भारत को लेकर रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के जो बयान सामने आए हैं वो भी इस संदर्भ में एक अहम कड़ी माने जा रहे हैं।

भारत की रूस से अपील

आपको बता दें कि भारत वैश्विक मंच पर रूस से इस युद्ध को बंद करने की अपील कर चुका है। यदि पूर्व में हुए घटनाक्रम को याद किया जाए तो अमेरिका और यूक्रेन के राष्‍ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्‍की ने भी भारत से इस युद्ध को रुकवाने में मदद करने की अपील की थी। अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने पीएम नरेन्‍द्र मोदी से कहा था कि वो रूस पर अपने प्रभाव का इस्‍तेमाल करें और इस युद्ध को रुकवाने में मदद करें। यही वजह है कि जानकार भी जयशंकर की इस यात्रा को न केवल दोनों देशों के मजबूत संबंधों को देखकर जोड़ रहे हैं बल्कि इस युद्ध में इसको अहम पड़ाव भी माना जा रहा है।

पूर्व राजदूत की निगाह में ये यात्रा बेहद खास 

आगे बढ़ने से पहले आपको बता दें कि तुर्की ने भी इस युद्ध को रुकवाने की कई बार कोशिश की है, लेकिन कामयाबी हासिल नहीं हुई है। ऐसे में एक बड़ा सवाल है कि भारत क्‍या इसमें सफल हो पाएगा। यूक्रेन में मौजूद भारतीय राजदूत ने भी इस यात्रा को काफी अहम बताया है। रूस में भारत के पूर्व राजदूत वैंकटेश वर्मा का कहना है कि ये यात्रा दोनों देशों के मजबूत संबंधों के लिहाज से काफी खास है। उनका कहना है कि इससे यूक्रेन युद्ध को बंद करने के लिए बातचीत की राह खोलने की उम्‍मीद फिर से बंध गई है। पीएम मोदी खुद कई बार इस बारे में खुलकर अपनी बात रख चुके हैं। जयशंकर की ये यात्रा दोनों देशों के संबंधों को और आगे ले जाने में सहायक होगी।

बातचीत बेहद जरूरी 

यूक्रेन में बतौर अपनी सेवाएं दे चुके पूर्व भारतीय राजदूत वीबी सोनी ने कहा कि रूस और भारत के संबंध हर स्‍तर पर काफी मजबूत हैं। यदि इन संबंधों को और मजबूती देनी है तो बातचीत करते रहना भी बेहद जरूरी होता है। ये दोनों ही तरफ से होता है। कभी रूस में तो कभी भारत में इस तरह की वार्ताएं होती रही हैं। दोनों देशों के बीच बना ये संयुक्‍त आयोग कुछ खास मुद्दों को लेकर होता है जो हर कदम पर बातचीत का गलियारा खुला रखता है। दोनों देश मिलकर भविष्‍य की संभावनाओं को तलाशते हैं और उन पर एक राय बनाकर आगे बढ़ने का काम करते हैं। ये सभी तभी संभव होता है जब दोनो देश एक दूसरे के संपर्क में रहते हैं और बातचीत करते हैं।

कई मुद्दों पर होगी बातचीत 

बता दें कि एस जयशंकर रूस की यात्रा पर विभिन्‍न क्षेत्रों में योगदान को बने इंटर गर्वेनमेंटल कमीशन में हिस्‍सा लेने के लिए वहां गए हैं। ये कमीशन ट्रेड, इकनामिक, साइंटिफिक, तकनीक और आदि के सहयोग से जुड़ा है। इस दौरान रूस के व्‍यापार मंत्री डेनिस मंतुरोव और विदेश मंत्री सर्गी लावरोव भी मौजूद रहेंगे। सोनी ने उम्‍मीद जताई कि ये यात्रा रूस-भारत और अमेरिका के संबंधों को लेकर भी बेहद खास होगी।

अमेरिका और रूस में तनाव 

सोनी के मुताबिक ये बैठक ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका और रूस के बीच जबरदस्‍त तनाव है। भारत इन दोनों का कही बेहद करीबी है। ऐसे में किसी समस्‍या का हल निकलना ही मायने नहीं रखता है बल्कि ये भी मायने रखता है कि दोनों पक्ष एक दूसरे की बात को सुने और समझ भी लें। एएनआई के मुताबिक उन्‍होंने कहा कि वो मानते हैं कि ये बैठक मीडिया में आई अटकलों की बजाए बयानों पर आधारित अधिक होगी। इस बैठक में सभी मुद्दों पर सीधी बात होगी। भारत और रूस के बीच की ये बैठक काफी सकारात्‍मक माहौल में हो रही है। ऐसे में इससे उम्‍मीदें भी काफी हैं।  

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