'मणिपुर में 1961 के बाद आए लोग किए जाएंगे निर्वासित', मुख्यमंत्री के बयान पर विशेषज्ञों ने उठाए सवाल
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि 1961 के बाद मणिपुर आए और बसे लोगों की पहचान की जाएगी और निर्वासित किया जाएगा। मुख्यमंत्री के बयान पर मंगलवार को विशेषज्ञों ने सवाल उठाए और इस कदम की व्यवहार्यता पर संदेह जताया। सरकार ने पड़ोसी देश म्यांमार के प्रवासियों के एक वर्ग पर समस्या पैदा करने का आरोप लगाया है।
पीटीआई, इंफाल। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि 1961 के बाद मणिपुर आए और बसे लोगों की पहचान की जाएगी और निर्वासित किया जाएगा। मुख्यमंत्री के बयान पर मंगलवार को विशेषज्ञों ने सवाल उठाए और इस कदम की व्यवहार्यता पर संदेह जताया। गत वर्ष मई से पूर्वोत्तर राज्य जातीय हिंसा से जूझ रहा है और सरकार ने पड़ोसी देश म्यांमार के प्रवासियों के एक वर्ग पर समस्या पैदा करने का आरोप लगाया है।
'अवैध प्रवासियों की पहचान स्वागत योग्य कदम'
राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप फंजौबम ने कहा कि अवैध प्रवासियों की पहचान स्वागत योग्य कदम है लेकिन दूसरे देशों द्वारा उन्हें अपने वास्तविक नागरिक के रूप में मान्यता नहीं देने पर उनके निर्वासन में मुश्किल आएगी। यदि दूसरे देश प्रवासियों को अपने नागरिक के रूप में मान्यता नहीं देते हैं तो उन्हें कैसे निर्वासित किया जाएगा?नगा नेता और फोरम फार रीस्टोरेशन आफ पीस के संयोजक अशांग काशर ने कहा कि अकेले मणिपुर सरकार द्वारा निर्वासन नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रवासियों की पहचान जरूरी है। अवैध प्रवासियों के रूप में चिह्नित लोगों को मूल निवासियों को मिलने वाले अधिकार नहीं मिलने चाहिए।
मणिपुर में दो गुटों के बीच गोलीबारी, एक की मौत
मणिपुर के इंफाल पूर्वी जिले में संघर्षरत दो गुटों के बीच गोलीबारी में एक ग्रामीण स्वयंसेवक की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गोलीबारी कांगपोकपी जिले की सीमा से लगे पुखाओ शांतिपुर में हुई। मृतक की पहचान सगोलसेम लोया के रूप में की गई। उसे गंभीर हालत में निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। रविवार रात से पुखाओ और आसपास के पहाड़ी इलाकों में रुक-रुककर गोलीबारी की सूचना आ रही है।