Move to Jagran APP

Covid-19 Update: एक्‍सपर्ट्स ने कहा - भारत में हालात अलग, फिलहाल कोविड रोधी टीके की चौथी खुराक की जरूरत नहीं

विशेषज्ञों का कहना है कि इसके लिए एक ढांचागत और व्यवस्थित प्रतिक्रिया की जरूरत है। चीन में वृद्धि के बाद कोविड एक बार फिर रडार पर है और लोग भारत में संक्रमण की एक और लहर की आशंका को लेकर चिंतित है।

By AgencyEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Wed, 28 Dec 2022 07:00 PM (IST)
Hero Image
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में अभी चौथी खुराक की जरूरत नहीं है।

नई दिल्ली, पीटीआई। चीन सहित दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक बार फिर वायरस लोगों को डरा रहा है। कोविड-19 की ताजा लहर से लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। जिसे देखते हुए भारत भी सतर्क हो गया है और कोविड के खिलाफ अपनी लड़ाई फिर से शुरू कर दी है। वहीं कई देश अपने नागरिकों को कोविड रोधी टीके की तीसरी और यहां तक कि चौथी एहतियाती (बूस्टर) खुराक दे रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में अभी चौथी खुराक की जरूरत नहीं है।

क्या कहना है विशेषज्ञों का

उल्लेखनीय है कि कोविड के खिलाफ दोनों टीके लगवा चुके कई लोगों ने भी अब तक एक भी एहतियाती खुराक नहीं ली है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके लिए एक ढांचागत और व्यवस्थित प्रतिक्रिया की जरूरत है। चीन में वृद्धि के बाद कोविड एक बार फिर रडार पर है और लोग भारत में संक्रमण की एक और लहर की आशंका को लेकर चिंतित है। ऐसे में क्या सरकार को दो टीकों की सुरक्षा में वृद्धि के लिये दूसरी एहतियाती खुराक की अनुमति देनी चाहिए इस पर कुछ वैज्ञानिक जमीनी स्तर पर हालात परखने का आह्वान करते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि कोविड रोधी टीके की चौथी खुराक इस समय अनुचित है क्योंकि देश में अधिकांश लोगों को अभी तक तीसरी खुराक नहीं मिली है और वर्तमान में उपयोग किए जा रहे टीकों को दूसरी एहतियाती खुराक के तौर पर दिए जाने की उपयोगिता पर कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा, भारत में बड़ी संख्या में लोग वायरस के संपर्क में आ चुके हैं और उन्हें टीका भी लगाया गया है, ऐसे में स्थिति काफी अलग है।

IISER पुणे में शिक्षण कार्य से जुड़े सत्यजीत रथ ने बताया

भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), पुणे में शिक्षण कार्य से जुड़े सत्यजीत रथ ने कहा, 'यह उम्मीद करने का कोई कारण नहीं है कि चीनी स्थिति भारत के लिये कुछ भविष्यवाणी करेगी। चीन में हालात विशेष रूप से देश द्वारा लगभग तीन वर्षों से अपनाई जा रही शून्य-कोविड नीतियों की वजह से है।' चीन में पिछले कुछ सप्ताह में प्रतिदिन हजारों मामले सामने आ रहे हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि बुधवार को, भारत ने 0.14 प्रतिशत की दैनिक संक्रमण दर और 0.18 प्रतिशत की साप्ताहिक संक्रमण दर के साथ कोरोना वायरस संक्रमण के 188 नए मामले दर्ज किए। रथ ने 'पीटीआई' से कहा, 'टीकाकरण के अलावा व्यापक वास्तविक संक्रमण के साथ भारतीय स्थिति काफी अलग है। और कोरोना वायरस आखिरकार फैल रहा है और इसलिए केवल चीन में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के समुदायों में उत्परिवर्तित हो रहा है, इसलिए हर जगह नए स्वरूप (वेरिएंट) उभर रहे हैं।'

IISER पुणे से प्रतिरक्षा विज्ञानी विनीता बल ने कहा-

IISER पुणे से ही प्रतिरक्षा विज्ञानी विनीता बल ने कहा, 'करीब एक साल पहले ही भारत में ओमिक्रोन लहर आई थी। अगर इस संक्रमण की वजह से पर्याप्त ओमीक्रोन प्रतिरक्षा नहीं बनी तो भारत में फिलहाल उपलब्ध कोई भी टीका और सुरक्षा प्रदान नहीं करेगा।' अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश पूरी तरह से टीकाकृत व्यक्तियों को तीसरी और चौथी बूस्टर खुराक के साथ-साथ प्रतिरक्षा में अक्षम लोगों को अतिरिक्त खुराक दे रहे हैं।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जे.ए. जयलाल ने मंगलवार को कहा कि आईएमए ने एक बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कर्मियों को चौथी खुराक दिए जाने पर विचार करने का आग्रह किया। यह बैठक चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड जैसे देशों में बढ़ते मामलों की पृष्ठभूमि में हुई थी। हालांकि, बल चौथी खुराक दिए जाने के विचार से इत्तिफाक नहीं रखतीं और उनका मानना है कि कई कारणों से फिलहाल इसकी आवश्यकता नहीं है।

आईआईएसईआर, पुणे से जुड़ीं बल ने 'पीटीआई' को बताया, '18 वर्ष से अधिक आयु के अधिकांश भारतीयों को पहली खुराक मिल चुकी है, लेकिन बहुत बड़ी संख्या में लोगों को दूसरी या तीसरी खुराक नहीं मिली है। इसलिए अगर डॉक्टर अतिरिक्त बूस्टर खुराक की मांग कर रहे हैं, तो यह वास्तविकता की जांच के बिना घबराहट की प्रतिक्रिया है।' सरकारी आंकड़ों के अनुसार, लगभग 22.35 करोड़ एहतियाती खुराक दी गई है, जो तीसरी खुराक के लिए पात्र कुल जनसंख्या का 27 प्रतिशत है।

दैनिक मामलों की जरुरी है निगरानी

बड़ी आबादी को अब भी एहतियाती खुराक दी जानी बाकी है। बल का कहना है कि दैनिक मामलों की निगरानी की जानी चाहिए। शुरू में हवाईअड्डे पर लैंड करने वाले यात्रियों की रैंडम जांच की जानी चाहिए और अगर मामले बढ़ते हैं तो उनकी नियमित जांच होनी चाहिए। रथ ने बल के विचारों से सहमति जताते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि अधिकारियों ने सभी को तीसरी 'एहतियाती' खुराक देने के लिए कोई बड़ा प्रयास नहीं किया है। रथ के विचार में, गंभीर कोविड बीमारी की किसी भी बड़ी राष्ट्रव्यापी 'लहर' का संकेत देने के लिए अभी तक कोई सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार और समाज दोनों यह पहचानने में विफल रहे हैं कि महामारी अब भी जारी है और दीर्घकालिक व्यवस्थित सार्वजनिक स्वास्थ्य-उन्मुख और सुगठित प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।

यह भी पढ़ें- आईआईटी मद्रास का अध्ययनः पीएम 2.5 में क्लोराइड की अधिक मात्रा से कम होती है विजिबिलिटी

यह भी पढ़ें- Fact Check: रीवा मामले में युवक व युवती दोनों एक ही समुदाय के, घटना को सांप्रदायिक रंग देकर गलत दावा वायरल