NEET की जगह पुरानी प्रणाली पर लौटे तो क्या होगी दिक्कत? विशेषज्ञों ने खुलकर बताया
नीट की जगह पुरानी व्यवस्था को बहाल करने की मांग उठने लगी है। इस बीच बिहार तमिलनाडु कर्नाटक और पश्चिम बंगाल ने नीट का विकल्प छोड़ने का प्रस्ताव अपनी विधानसभा में पारित किया है। इन राज्यों में खुद की मेडिकल प्रवेश परीक्षा कराने का प्रस्ताव है। मगर विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य स्तर पर परीक्षाओं में धांधली की संभावना है।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की ओर से मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश की परीक्षा नीट में आमूलचूल बदलाव के लिए कहे जाने के बाद पुरानी व्यवस्था बहाल करने की मांग जोर पकड़ने लगी है, लेकिन कुछ विशेषज्ञ परीक्षा कराने की राज्यों की क्षमता और अधिवास (डोमिसाइल) नियम के अनुपालन को लेकर आशंकित हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से पुरानी समस्याएं पैदा हो जाएंगी जिनकी वजह से उसे खत्म किया गया था।
यह भी पढ़ें: आज देशभर के अस्पतालों में बंद रहेंगी OPD सेवाएं, कोलकाता में डॉक्टर की हत्या के बाद FORDA का एलान
इन राज्यों में अपनी मेडिकल प्रवेश परीक्षा कराने का प्रस्ताव पारित
नीट के अधिवास नियम के मुताबिक, 85 प्रतिशत सीटें राज्य के निवासियों के लिए आरक्षित होती हैं जिन्होंने 12वीं की परीक्षा वहां के स्कूल से उत्तीर्ण की हो। बाकी 15 प्रतिशत सीटें अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों के लिए होती हैं। नीट विवाद के बीच तमिलनाडु, कर्नाटक एवं बंगाल ने अपनी विधानसभाओं में नीट का विकल्प छोड़ने एवं अपनी मेडिकल प्रवेश परीक्षा कराने का प्रस्ताव पारित किया है।पूर्व में विफल रहे राज्य
द्रमुक की सदस्य रानी श्रीकुमार ने लोकसभा में भी इस प्रस्ताव का जिक्र किया था और आरोप लगाया कि नीट ने कई छात्रों के सपनों को तोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने यह प्रस्ताव मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को नहीं भेजा। एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्रा का कहना है कि परीक्षा कराने के राज्यों के अधिकार में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन वे पूर्व में विफल रहे हैं। अगर उन्हें परीक्षा कराने का अधिकार मिले भी तो उन्हें सुनिश्चित करना होगा कि नीट पास करने वालों को 15 प्रतिशत अखिल भारतीय कोटे में प्रवेश मिले।
राज्य स्तर पर परीक्षा में धांधली की संभावना
मिश्रा ने कहा कि इस विचार को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि तब क्या होगा जब दो राज्य एक ही तिथि पर परीक्षा कराने का फैसला करें। दिल्ली मेडिकल काउंसिल के सेकेट्री व रजिस्ट्रार गिरीश त्यागी ने कहा कि राज्य के स्तर पर परीक्षा में धांधली की संभावना ज्यादा है। इसके अलावा राज्यों के लिए प्रश्न-पत्रों में एकरूपता लाना चुनौतीपूर्ण होगा और इससे डॉक्टरों की गुणवत्ता प्रभावित होगी। नीट की एक ऑनलाइन कोचिंग के संस्थापक कपिल गुप्ता ने राज्यों की मांग को धोखा और नौटंकी करार दिया।170 शहरों में दो शिफ्टों में कराई गई नीट-पीजी
मेडिकल के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए नीट-पीजी का रविवार को देश में 170 शहरों के 416 केंद्रों पर दो शिफ्टों में आयोजन किया गया। इसका आयोजन 23 जून को कराया जाना था, लेकिन प्रतियोगी परीक्षाओं पर उठे विवादों के कारण इसके आयोजन में विलंब हुआ। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार परीक्षा में 2,28,540 अभ्यर्थी सम्मिलित हुए। परीक्षा केंद्रों पर 1,950 से अधिक स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ता और 300 उड़नदस्ते के सदस्यों को तैनात किया गया था। साथ ही देशभर में परीक्षा की निगरानी के लिए आठ क्षेत्रीय कमान केंद्रों की स्थापना की गई थी।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में भूस्खलन तो हिमाचल में बादल फटने से तबाही, हरियाणा और राजस्थान में भी हाल बेहाल; IMD ने जारी किया अलर्ट