'जंक फूड पैकेट पर स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी का हो उल्लेख', विशेषज्ञ बोले- लोगों को भ्रमित कर रही स्वास्थ्य संबंधी स्टार रेटिंग
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को जंक फूड पैकेट पर चेतावनी का लेबल जारी करना चाहिए क्योंकि स्वास्थ्य संबंधी स्टार रेटिंग लोगों को भ्रमित कर रही है। यह आम उपभोक्ताओं को लाभ के बजाय नुकसान पहुंचा रही है।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Wed, 20 Apr 2022 11:39 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआइ। जंक फूड के दुष्प्रभावों को लेकर जागरूकता के अभियान चलाए जाते रहते हैं। कभी इस संबंध में होने वाले शोधों के निष्कर्ष के आधार पर लोगों को आगाह करने की कोशिश की जाती है तो कभी सरकार की ओर से कुछ कानूनी प्रविधान किए जाते हैं ताकि लोग ऐसे पदार्थों के उपभोग करते समय लोग स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों से वाकिफ रहें। इस क्रम में पदार्थों की स्टार रेटिंग से लेकर सचित्र चेतावनी तक प्रदर्शित की जाती है।
अब विशेषज्ञों ने कहा है कि सरकार को जंक फूड पैकेट पर स्वास्थ्य संबंधी स्टार रेटिंग के बजाय चेतावनी लेबल जारी करना चाहिए। स्वास्थ्य संबंधी स्टार रेटिंग लोगों को भ्रमित कर रही है और उपभोक्ताओं को लाभ के बजाय नुकसान पहुंचा रही है। स्वास्थ्य संबंधी स्टार रेटिंग के तहत एक से पांच स्टार के पैमाने पर पैकेटबंद खाद्य पदार्थों को ग्रेड प्रदान किया जाता है।राजस्थान के निमली में आयोजित राष्ट्रीय सतत खाद्य प्रणाली सम्मेलन में लोक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि अगर सरकार मोटापे व गैर-संचारी रोगों की महामारी को लेकर गंभीर है, तो उपभोक्ताओं को चेतावनी लेबल के जरिये जंक फूड के बारे में सावधान करने की जरूरत है। चीनी, वसा व सोडियम की अधिकता वाले खाद्य पदार्थों को जंक फूड कहा जाता है। सम्मलेन का आयोजन विज्ञान व पर्यावरण केंद्र (सीएसई) द्वारा किया गया था।
सीएसई महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा, 'शक्तिशाली खाद्य उद्योग द्वारा उपभोक्ताओं को भ्रमित करने के लिए स्वास्थ्य स्टार रेटिंग को डिजाइन किया गया है। इन्हें भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) जंक फूड के महिमामंडन का लाइसेंस देगा। यह उसके विपरीत है, जो किया जाना चाहिए।'सम्मेलन में सीएसई की सतत खाद्य प्रणाली के कार्यक्रम निदेशक अमित खुराना, सीयूटीएस इंटरनेशनल राजस्थान के निदेशक जार्ज चेरियन, पब्लिक हेल्थ रिसोर्स नेटवर्क दिल्ली की सामुदायिक बाल रोग विशेषज्ञ वंदना प्रसाद व ग्लोबल हेल्थ एडवोकेसी इनक्यूबेटर इंडिया के प्रमुख सलाहकार संजय पांडे आदि ने प्रतिभाग किया।
वर्ष 2013 में एफएसएसएआइ नीत एक समिति ने सबसे पहले पैकेट में बंद खाद्य पदाथरें पर फ्रंट-आफ-पैक लेबलिंग की सिफारिश की थी। सीएसई इस समिति में शामिल थी। एफएसएसएआइ वर्ष 2018 में प्रारूप नियम लेकर आया था, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की भारत व दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए संस्तुत मानकों के अनुरूप था।