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Lumpy Skin Disease: तीन साल पहले अफ्रीका से आया था वायरस, अब देश में महामारी के रूप में फैला

Lumpy Skin Diseaseआयात करने की वजह से यह वैक्सीन मंहगी होगी ऐसे में पशु-पालक अपने गो-वंश को बारिश के पहले गोट व शीप पाक्स की वैक्सीन लगवाकर बचाव कर सकते हैं। इसके लिए सभी राज्य केंद्र सरकार से आग्रह कर सकते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 04 Aug 2022 01:43 PM (IST)
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Lumpy Skin Disease: डा. गेरा बीते 18 साल से गो-संवर्धन पर काम कर रहे हैं।
नेशनल डेस्क, नई दिल्ली: Lumpy Skin Disease देश के कई राज्यों से लंपी वायरस की वजह से बड़ी संख्या में गो-वंश के मौत की खबर आ रही है। राजस्थान के 11 जिलों में फैलने की खबर आ रही है। साढ़े तीन हजार गो-वंश की मौत हो चुकी है। पंजाब से भी इस बीमारी के फैलने की खबर आ रही है। यह वायरस कहां से आया और रोकथाम के लिए क्या उपाय है, इस बारे में दैनिक जागरण ने हिसार स्थित लाला लाजपत राय वेटनरी यूनिवर्सिटी आफ एनिमल साइंस (लुवास) के पूर्व डायरेक्टर डीन डा. संदीप गेरा से चर्चा की। 

क्या है लंपी पाक्स

लंपी पाक्स वायरस जनित त्वचा रोग है, जो गो-वंश में ही फैलता है। इसमें चिकन पाक्स की तरह गो-वंश के शरीर पर दाने उभर आते हैैं। उसमें मवाद भर जाता है और फिर मौत हो जाती है।

यह कैसे फैलता है?

यह मच्छर या खून पीने वाले कीड़ों से फैलता है। आम तौर पर गाय या भैैंस के तबेलों में पड़े रहने वाला खाद और दूषित पानी में पनपने वाले मच्छरों से ही यह वायरस फैलने का खतरा रहता है।

सबसे पहले कहां पाया गया लंपी वायरस?

यह वायरस लगभग 30-35 साल पहले अफ्रीका में पाया गया था। बीते 10-15 सालों में इसने दक्षिण अफ्रीका के घाना सहित अन्य इलाकों में महामारी का रूप ले लिया था। तीन साल पहले यह वायरस पहली बार भारत में पाया गया। अब इसने महामारी का रूप ले लिया है। अब यह बरसात के मौसम से पहले हर साल ही फैलेगा।

रोकथाम के क्या उपाय हैं?

तीन तरह की वैक्सीन उपलब्ध है। गोट पाक्स, शीप पाक्स और लंपी पाक्स। गोट पाक्स (बकरियों में होने वाला पाक्स) और शीप पाक्स (भेड़ों में होने वाला पाक्स ) की वैक्सीन भारत में उपलब्ध है, जबकि लंपी पाक्स की वैक्सीन भारत में अभी नहीं बनी है। कीनिया ने इसकी वैक्सीन तैयार कर ली है। भारत को यह आयात करना पड़ेगा। 

यह वैक्सीन कैसे काम करती है

गो-वंश में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली बी और टी सेल होती है। इस वैक्सीन के जरिये पशुओं की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा दी जाती है तो वायरस का असर कम हो जाता है, ठीक कोरोना वैक्सीन की तरह।