कहीं 12 तो कहीं 14 साल है सहमति से संबंध बनाने उम्र, भारत में क्यों उठ रही इसे कम करने की मांग
देश में कानूनी तौर पर सहमति से यौन संबंध बनाने की उम्र 18 साल है लेकिन इसको लेकर अभी काफी चर्चा हो रही है। दरअसल आपसी सहमति से संबंध बनाने की उम्र को 18 साल से घटाकर लोग 16 साल करना चाहते हैं। माना जा रहा कि देश में कम उम्र में बहुत से बच्चे संबंध बना लेते है लेकिन इसका खामियाजा एक पक्ष को ही भुगतना पड़ रहा है।
By Shalini KumariEdited By: Shalini KumariUpdated: Sat, 30 Sep 2023 10:00 AM (IST)
ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। देश में कानूनी तौर पर सहमति से शारीरिक संबंध बनाने की उम्र 18 साल है, लेकिन इसको लेकर अभी काफी चर्चा हो रही है। दरअसल, आपसी सहमति से संबंध बनाने की उम्र को 18 साल से घटाकर 16 साल करने की मांग हो रही है। वहीं, विधि आयोग ने इस बात का विरोध किया है।
विधि आयोग ने सरकार को यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा (POCSO) अधिनियम के तहत सहमति से संबंध बनाने की मौजूदा उम्र के साथ छेड़छाड़ न करने की सलाह दी है। साथ ही, 16-18 आयु वर्ग के नाबालिगों की मौन स्वीकृति से जुड़े मामलों में सजा के मामले में निर्देशित न्यायिक विवेक शुरू करने का सुझाव दिया गया।
विधि आयोग ने कानून मंत्रालय को जो POCSO अधिनियम के तहत सहमति की उम्र पर अपनी रिपोर्ट सौंपी है, उसमें सुझाव दिया है कि स्थिति को सुधारने के लिए कानून में संशोधन की आवश्यकता है।
क्या कहता है पोक्सो एक्ट?
POCSO अधिनियम 2012 के तहत, 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे की सहमति का शारीरिक संबंध में कोई महत्व नहीं होता है। ऐसे में यदि कोई भी व्यक्ति 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाता है, तो उसे यौन उत्पीड़न का दोषी माना जाएगा। भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत, 16 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ यौन संबंध बनाना दुष्कर्म माना जाता है, चाहे इसमें लड़की की सहमति शामिल क्यों न हो।
उम्र कम करने पर होगी परेशानी
पैनल का कहना है कि अगर आपसी सहमति से संबंध बनाने की उम्र को कम किया जाएगा, तो इससे आगे चलकर बाल विवाह और बाल तस्करी जैसे मामलों के खिलाफ लड़ाई लड़ने में परेशानी आ सकती है। कहीं न कहीं अगर मौजूदा उम्र में बदलाव किया जाता है, तो इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है। पैनल ने अदालतों को भी सलाह दी है कि उन मामलों में सावधानी बरती जाए, जहां कम उम्र में प्रेम संबंध बन जाते हैं और इससे आपराधिक मामलों में वृद्धि हो सकती है।यह भी पढ़ें: भारत में लागू होगा रोमियो-जूलियट कानून! SC तक पहुंचा मामला; पढ़ें इसके पक्ष में दी गई क्या-क्या दलीलें