Vande Bharat Accident: टक्कर से टूट जाए, इतना कमजोर क्यों है वंदेभारत का अगला हिस्सा; रेलवे ने बताई वजह
Vande Bharat Express Train Accident भारतीय रेलवे के मुताबिक पूरी तरह से भारत में निर्मित वंदे भारत ट्रेन को यहां की परिस्थितियों चुनौतियों और जरूरतों को ध्यान में रख बनाया गया है। ट्रेन का अगला हिस्सा जिसे नोज कोन कहते हैं उसे बदलना बहुत आसान है।
By Jagran NewsEdited By: Amit SinghUpdated: Sat, 29 Oct 2022 04:37 PM (IST)
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क। Vande Bharat Express Train Accident: वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन एक बार फिर मुंबई में सफर के दौरान जानवर से टक्करा गई। टक्कर से ट्रेन का आगे का हिस्सा फिर टूट गया है। पहले भी सफर के दौरान टक्कर से वंदे भारत ट्रेन का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो चुका है। हर बार दुर्घटनाग्रस्त वंदे भारत की फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगती है। लोग रेलवे और सरकार की खिंचाई करने लगते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वंदे भारत ट्रेन का अगला हिस्सा इतना कमजोर क्यों है? इस संबंध में हमने वंदे भारत प्रोजेक्ट से जुड़े रेलवे अधिकारियों से बात की। जानते हैं क्या है उनका जवाब?
टूटने के लिए ही बना है वंदे भारत का नोज कोन
वंदे भारत प्रोजेक्ट से जुड़े रेलवे के एक बड़े अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इसके अगले हिस्से, जिसे नोज कोन (Nose Cone) भी कहते हैं को टक्कर होने पर टूटने के लिए ही बनाया गया है। ये इसकी डिजाइन में किसी तरह की चूक नहीं, बल्कि योजना का हिस्सा है। रेलवे को पहले से पता था कि इस तरह के हादसे हो सकते हैं। इसीलिए जहां भी वंदे भारत की रैक भेजी जाती है, वहां नोज कोन के अतिरिक्त सेट भी पहले से ही भेजे जाते हैं। ताकि दुर्घटना के बाद इन्हें स्थानीय डिपो में बदला जा सके।
टूटने के लिए क्यों बने हैं नोज कोन
रेलवे अधिकारी के अनुसार नोज कोन को टूटने के लिए डिजाइन करने का मकसद है कि इससे दुर्घटना के असर को कम किया जा सके। ताकि ट्रेन और जिससे वो टकराए, दोनों को कम से कम नुकसान हो। इससे गाड़ी का इंजन, चेचिस (बेसिक ढांचा) और यात्रियों को नुकसान की आशंका बहुत कम हो जाती है। साथ ही क्षतिग्रस्त नोज कोन को मौके पर ही आसानी से हटाकर जल्द से जल्द आगे का सफर शुरू किया जा सकता है।
ट्रेन और यात्रियों को कैसे बचाता है ये नोज कोन
रेलवे अधिकारी के अनुसार वंदे भारत एक्सप्रेस के नोज कोन को इस तरह से डिजाइन किया गया है, ताकि ये टक्कर के असर को कंज्यूम कर उसका असर कम कर सके। टक्कर के बाद ये शॉक एब्जॉर्बर (Shock Absorber) का काम करता है। इसी तकनीक का इस्तेमाल कार में भी किया जाता है, इसीलिए कार का अलगा हिस्सा (बंफर) भी मजबूत प्लास्टिक का होता है।