जिले स्तर पर बनेगा एक्सपोर्ट हब, E-Commerce निर्यात जोन की भी होगी स्थापना
वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय शुक्रवार को नई विदेश व्यापार नीति की घोषणा करने जा रहा है। कोरोना महामारी की वजह से विदेश व्यापार नीति की घोषणा में तीन साल की देरी हो चुकी है। पांच साल के लिए विदेश व्यापार नीति बनाई जाती है।
By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Wed, 29 Mar 2023 10:22 PM (IST)
राजीव कुमार, नई दिल्ली। नई विदेश व्यापार नीति में निर्यात के दायरे को बढ़ाने के लिए सरकार जिला स्तर पर एक्सपोर्ट हब की स्थापना करने की घोषणा कर सकती है। ताकि निर्यात से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी दूर हो सके। वहीं, ई-कॉमर्स के माध्यम से होने वाले निर्यात के प्रोत्साहन के लिए अलग से ई-कॉमर्स जोन की स्थापना का भी एलान हो सकता है।
कोविड की वजह से विदेश व्यापार नीति में देरी
वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय शुक्रवार को नई विदेश व्यापार नीति की घोषणा करने जा रहा है। कोरोना महामारी की वजह से विदेश व्यापार नीति की घोषणा में तीन साल की देरी हो चुकी है। पांच साल के लिए विदेश व्यापार नीति बनाई जाती है। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक फिलहाल 50 जिलों में निर्यात हब स्थापित करने की घोषणा हो सकती है। बाद में इसकी संख्या बढ़ाई जाएगी।
जिला निर्यात हब के लिए कैबिनेट की मंजूरी ली जाएगी
इस काम के लिए वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से जिला स्तर पर वित्तीय सहायता मुहैया कराई जाएगी। सूत्रों के मुताबिक विदेश व्यापार नीति की घोषणा के बाद जिला निर्यात हब के लिए कैबिनेट की मंजूरी ली जाएगी। सरकार वन डिस्टि्रक्ट वन प्रोडक्ट की पहचान का काम पहले ही पूरा कर चुकी है। जिला स्तर पर निर्यात सुविधा विकसित होने से उस जिले के उत्पाद को आसानी से निर्यात किया जा सकेगा।विशेष जोन की हो सकती है स्थापना
मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक अभी कुछ चुनिंदा राज्य व जिले ही निर्यात में अपनी भागीदारी रखते हैं। नए प्रयास से सभी राज्यों को निर्यात में हिस्सेदार बनने का मौका मिलेगा और वहां रोजगार में भी बढ़ोतरी होगी। सूत्रों के मुताबिक ई-कॉमर्स से होने वाले निर्यात की बढ़ोतरी में भारी गुंजाइश को देखते हुए विशेष जोन की स्थापना हो सकती है।
ई-कॉमर्स का निर्यात में 25 अरब डॉलर का योगदान
इस जोन में सिर्फ ई-कॉमर्स निर्यातक अपनी यूनिट लगाएंगे जहां कस्टम क्लीयरेंस से लेकर सभी प्रकार की लॉजिस्टिक व निर्यात संबंधी सुविधाएं जोन में मौजूद होंगी। अभी ई-कॉमर्स का निर्यात में 25 अरब डॉलर का योगदान है जिसे अगले पांच साल में 200 अरब डॉलर तक ले जाने की कोशिश होगी। सूत्रों के मुताबिक विदेश व्यापार नीति में कुछ चुनिंदा वस्तुओं के उत्पाद व उनके बाजार पर विशेष फोकस करने की घोषणा की जा सकती है।वैश्विक सुस्ती की वजह से वस्तुओं के निर्यात में गिरावट
इसका लाभ यह मिलेगा कि कुछ खास बाजार में ये चुनिंदा वस्तुएं अन्य देशों की वस्तुओं को मात देंगी और इनके निर्यात में भारी बढ़ोतरी हो सकेगी। फिलहाल वैश्विक सुस्ती की वजह से वस्तुओं के निर्यात में गिरावट चल रही है, लेकिन भारत का कुल निर्यात वस्तु व सेवा मिलाकर चालू वित्त वर्ष में 750 अरब डॉलर के आंकड़ों को पार कर गया है।
वस्तु निर्यात में गिरावट के बावजूद चालू वित्त वर्ष 2022-23 में वस्तु निर्यात में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में पांच फीसद से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज होने की उम्मीद है। चालू वित्त वर्ष में वस्तुओं का निर्यात 440-450 अरब डॉलर के बीच रह सकता है।