XDR Tuberculosis: क्यों है सबसे घातक और कैसे इसकी चपेट में आते हैं लोग
WHO की रिपोर्ट के अनुसार एक्सडीआर टीबी के मामले अन्य टीबी की अपेक्षा कम होते हैं लेकिन 2017 तक 117 देशों में एक्सडीआर टीबी के 10800 मामले सामने आए हैं।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Tue, 03 Sep 2019 04:02 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। ‘मल्टी ड्रग रजिस्टेंट टीबी’ (एमडीआर टीबी) के सबसे विकराल रूप को एक्सटेंसिवली ड्रग रजिस्टेंट टीबी (एक्सडीआर टीबी) के नाम से जाना जाता है। यह टीबी बड़े पैमाने पर दवा प्रतिरोधी होती है। ज्यादातर दवाओं का इस पर कोई असर नहीं होता है। टीबी का यह स्तर मरीजों के लिए बहुत ही खतरनाक होता है। इस स्तर पर ज्यादातर टीबी रोधी दवाएं अपना असर नहीं दिखा पाती हैं। दुनियाभर में कई लोग इसकी वजह से अपनी जान गंवा देते हैं। हाल ही में एक बड़ी खोज करते हुए अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन ने एक्सडीआर टीबी के लिए तीन दवाओं का कोर्स तैयार किया है।
इसके इलाज के लिए अमेरिका में हाल ही में नई दवाओं का परीक्षण किया गया है। इस परीक्षण में एक्सडीआर टीबी के 109 मरीजों को शामिल किया गया और पाया गया कि नई दवाओं से उनमें से 90 प्रतिशत का इलाज सफल हुआ। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार एक्सडीआर टीबी के मामले अन्य टीबी की अपेक्षा कम होते हैं, लेकिन 2017 तक 117 देशों में एक्सडीआर टीबी के 10,800 मामले सामने आए हैं। इसमें भारत में ही 2,650 मामले हैं, जो कुल मामलों के लगभग एक चौथाई हैं।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार एक्सडीआर टीबी के दो तिहाई मामले भारत, चीन और रूस में हैं। इन देशों में अन्य प्रकार की टीबी जैसे- एमडीआर/आरआर टीबी के मामले भी दुनियाभर के मामलों का 47 फीसद तक होते हैं। वैश्विक स्तर पर एक्सडीआर टीबी के इलाज में सफलता की दर मात्र 34 फीसद है। यानी इस बीमारी से ग्रसित दुनियाभर के केवल 34 फीसद मामलों में मरीज सही हो पाता है।
क्या है टीबी
टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस को कई नामों से जाना जाता है जैसे इस क्षय रोग, तपेदिक, राजयक्ष्मा, दण्डाणु इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। टीबी एक संक्रामक बीमारी है और इससे ग्रसित व्यक्ति में शारीरिक कमजोरी आ जाती है और इसके साथ ही उसे कई गंभीर बीमारियां होने का भी खतरा रहता है। टीबी सिर्फ फेफड़ों का ही रोग नहीं है, बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों को भी यह प्रभावित करता है।
टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस को कई नामों से जाना जाता है जैसे इस क्षय रोग, तपेदिक, राजयक्ष्मा, दण्डाणु इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। टीबी एक संक्रामक बीमारी है और इससे ग्रसित व्यक्ति में शारीरिक कमजोरी आ जाती है और इसके साथ ही उसे कई गंभीर बीमारियां होने का भी खतरा रहता है। टीबी सिर्फ फेफड़ों का ही रोग नहीं है, बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों को भी यह प्रभावित करता है।
कैसे हो जाता है एक्सडीआर टीबी
एक्सडीआर टीबी केवल दो कारणों से पनपता है। इसमें पहला कारण यह है कि जब कोई टीबी का रोगी उपचार करा रहा होता है और वह एंटी टीबी दवाओं का दुरुपयोग करता है तो एक्सडीआर टीबी पनपता है। दूसरा कारण यह है कि जब कोई ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आता है जिसे पहले से ही एक्सडीआर टीबी है तो दूसरा व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है। एक्सडीआर टीबी भी अन्य टीबी की तरह ही फैलता है। अक्सर निम्न-मध्यम आय वाले देशों में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से एक्सडीआर टीबी का पता नहीं चल पाता है। एड्स से ज्यादा घातक
दुनियाभर में एचआइवी-एड्स से ज्यादा लोग टीबी की वजह से जान गंवाते हैं। 2017 में दुनियाभर में करीब 13 लाख लोगों ने इस बीमारी की वजह से अपनी जान गंवाई है। टीबी के लक्षण
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चार में से हर एक इंसान में टीबी का बैक्टीरिया, दुनिया की एक तिहाई आबादी पर खतरा
एक्सडीआर टीबी केवल दो कारणों से पनपता है। इसमें पहला कारण यह है कि जब कोई टीबी का रोगी उपचार करा रहा होता है और वह एंटी टीबी दवाओं का दुरुपयोग करता है तो एक्सडीआर टीबी पनपता है। दूसरा कारण यह है कि जब कोई ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आता है जिसे पहले से ही एक्सडीआर टीबी है तो दूसरा व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है। एक्सडीआर टीबी भी अन्य टीबी की तरह ही फैलता है। अक्सर निम्न-मध्यम आय वाले देशों में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से एक्सडीआर टीबी का पता नहीं चल पाता है। एड्स से ज्यादा घातक
दुनियाभर में एचआइवी-एड्स से ज्यादा लोग टीबी की वजह से जान गंवाते हैं। 2017 में दुनियाभर में करीब 13 लाख लोगों ने इस बीमारी की वजह से अपनी जान गंवाई है। टीबी के लक्षण
- भूख न लगना, कम लगना और वजन अचानक कम हो जाना।
- बेचैनी एवं सुस्ती छाई रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट रहना व रात में पसीना आना।
- हलका बुखार रहना, हरारत रहना।
- खांसी आते रहना, खांसी में बलगम आना तथा बलगम में खून आना। कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना।
- दो हफ्तों से अधिक समय तक खांसी रहती है, तो डॉक्टर को दिखाएं और बलगम की जांच करवाएं
- बीमार व्यक्ति से दूरी बनाए रखें।
- रोगी से मिलने जा रहे हों तो मास्क पहनें।
- समय पर खाना खाएं।
- आपके आस-पास कोई बहुत देर तक खांस रहा है, तो उससे दूर रहें।
- किसी बीमार व्याक्ति से मिलने के बाद अपने हाथों को जरूर धो लें।
- पौष्टिक आहार लें जिसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन, मिनरल, कैल्शियम, प्रोटीन और फाइबर हों, क्योंकि पौष्टिक आहार हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।
नई दवा हो रही कारगर, टीबी के मरीजों को मिल रहा लाभ Muzaffarpur News
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