एस जयशंकर ने भगवान कृष्ण और हनुमान को बताया दुनिया का सबसे बड़ा राजनयिक, कहा- रणनीतिक धैर्य दिखाने की जरुरत
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जिस तरह पांडव अपने संबंधियों का चयन नहीं कर पाए थे उसी तरह भारत भी अपने पड़ोसियों को नहीं चुन सकता। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े राजनयिक भगवान कृष्ण और हनुमान थे। फाइल फोटो।
By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sun, 29 Jan 2023 05:14 AM (IST)
पुणे, एजेंसियां। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि जिस तरह पांडव अपने संबंधियों का चयन नहीं कर पाए थे, उसी तरह भारत भी अपने पड़ोसियों को नहीं चुन सकता। जयशंकर ने एक सवाल के जवाब में यह बात कही। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े राजनयिक भगवान कृष्ण और हनुमान थे। विदेश मंत्री ने कहा कि अगर हम भगवान हनुमान को देखें तो वे कूटनीति से परे थे। वे एक मिशन से आगे बढ़े और सीता से संपर्क किया और लंका में भी आग लगा दी। उन्होंने भगवान कृष्ण और भगवान हनुमान को अब तक के महानतम राजनयिक बताया।
भगवान कृष्ण द्वारा शिशुपाल को क्षमा करने का दिया उदाहरण
मालूम हो कि जयशंकर अपनी अंग्रेजी पुस्तक ''द इंडिया वे : स्ट्रैटेजीज फार एन अनसर्टेन वर्ल्ड'' के विमोचन के लिए पुणे में थे, जिसका मराठी में 'भारत मार्ग' के नाम से अनुवाद किया गया है। जयशंकर की पुस्तक के मराठी अनुवाद का विमोचन महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किया। जयशंकर ने कहा कि हमें रणनीतिक धैर्य दिखाने की जरूरत है। उन्होंने इस संबंध में कई बार भगवान कृष्ण द्वारा शिशुपाल को क्षमा करने का उदाहरण भी दिया। कृष्ण ने वचन दिया कि वह शिशुपाल की 100 गलतियों को माफ कर देंगे, लेकिन 100वीं के अंत में वह उसे मार डालेंगे।
बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा भारत
जयशंकर ने कहा कि भारत ने पिछले आठ-नौ वर्षों में बहुत बड़ा परिवर्तन देखा है और 'आत्मनिर्भर' बनने के बाद देश एक अग्रणी शक्ति होगा। विदेश मंत्री ने कहा कि हमारा उद्देश्य लोगों को देश की विदेश नीति से जोड़ना है। केवल शक्तिशाली नौकरशाहों भाषण सुनाना नहीं।पीएम मोदी ने बनाई मजबूत नीति
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इस अवसर पर फडणवीस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिना किसी दबाव में आए मजबूत विदेश नीति बनाई है। उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के दृढ़ संकल्प की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जयशंकर ने अपनी पुस्तक में विदेश नीति की तीन प्रमुख बातों का जिक्र किया है। पहली, भारत का विभाजन, जिसने हमें कमजोर कर दिया। दूसरी, चीन के मुकाबले भारत ने 15 वर्ष देरी से वित्तीय विकास का शुभारंभ किया और तीसरी परमाणु नीति।
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