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Lok Sabha Election 2024: अतिरिक्त समय ने कम किया भाजपा और शिअद पर दबाव, दोनों दलों की रणनीति पर है कांग्रेस की नजर

पंजाब में सभी की नजर इस पर है कि भाजपा व शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के गठबंधन की घोषणा कब होगी। दरअसल पंजाब में चुनाव अंतिम चरण यानी एक जून को होने के कारण दोनों ही दल किसी जल्दबाजी में नहीं हैं। दोनों ही दलों को उम्मीद है कि आचार संहिता लागू होने के बाद अब किसान संगठन शंभू और खनौरी बार्डर पर से अपना धरना समाप्त कर सकते हैं।

By Jagran News Edited By: Versha Singh Updated: Tue, 19 Mar 2024 08:27 AM (IST)
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Lok Sabha Election 2024: अतिरिक्त समय ने कम किया भाजपा और शिअद पर दबाव
ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। Lok Sabha Election 2024: पंजाब में सभी की नजर इस पर है कि भाजपा व शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के गठबंधन की घोषणा कब होगी। दरअसल, पंजाब में चुनाव अंतिम चरण यानी एक जून को होने के कारण दोनों ही दल किसी जल्दबाजी में नहीं हैं।

दोनों ही दलों को उम्मीद है कि आचार संहिता लागू होने के बाद अब किसान संगठन शंभू और खनौरी बार्डर पर से अपना धरना समाप्त कर सकते हैंधरना खत्म होने पर ही गठबंधन की घोषणा की जाए तो ठीक रहेगा। वहीं, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी इसी बात का इंतजार कर रही है।

शिअद किसानों के मुद्दे पर ही भाजपा से अलग हुआ था। अतः गठबंधन से पहले वह आश्वस्त हो जाना चाहता है कि गांवों में उसका खोया जनाधार वापस आ जाएगा। शिअद की परेशानी यह है कि शहरी क्षेत्र उसके लिए हमेशा ही कमजोर कड़ी रहे हैं। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में यही स्थिति भाजपा की है। भाजपा शहरों में तो बेहतर प्रदर्शन करती है। मगर गांव में उसका प्रदर्शन खराब हो जाता है।

ऐसे में अकाली दल से गठबंधन के दौरान शिअद ग्रामीण और भाजपा शहरी क्षेत्रों की राजनीति करती थी। अकाली दल से गठबंधन टूटने और तीन कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने के बाद भाजपा ने गांव में जाने की राह तो बनाई, लेकिन बीती 13 फरवरी को किसान संगठनों द्वारा पुनः संघर्ष शुरू करने से भाजपा की परेशानी बढ़ गई।

हालांकि, किसान संगठनों को 2020 के मुकाबले पंजाब में समर्थन नहीं मिला, लेकिन भाजपा कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती। इसलिए गठबंधन को लेकर वह अभी और इंतजार के मूड में है। भाजपा चाहती है कि गठबंधन होने पर ग्रामीण क्षेत्रों में शिअद के माध्यम से पार्टी को आधार मिल जाए।

इस बार शिअद ने अब तक घोषित नहीं किए प्रत्याशी

गठबंधन की संभावनाओं को देखते हुए ही शिअद ने अभी तक अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। अन्यथा शिअद पंजाब में पहला ऐसा दल होता था, जो सबसे पहले अपने प्रत्याशियों की घोषणा करता था।

शिअद के इतिहास पर अगर नजर डालें तो चुनाव की घोषणा से दो-दो माह पहले ही वह अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर देता था, लेकिन इस बार तस्वीर बदली हुई है। पंजाब में केवल आम आदमी पार्टी (आप) ही है, जिसने 13 में से आठ लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा की है। अन्य पांच पर भी वह जल्द ही घोषणा करने जा रही है।

शिअद-भाजपा की रणनीति पर कांग्रेस की नजर

शिअद और भाजपा जहां अनुकूल समय का इंतजार कर रहे हैं तो कांग्रेस की नजर इन दोनों पार्टियों पर लगी हुई हैंकांग्रेस इस बात का इंतजार कर रही है कि शिअद-भाजपा की रणनीति कैसी रहती है।

कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग का कहना है 'दोनों पार्टियों का तो गठबंधन हो ही चुका है।' वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बताते हैं, 'चुनाव अंतिम चरण में हैं। इसलिए अभी इंतजार करना ही बेहतर है।'

कांग्रेस के सामने यह भी परेशानी है कि उसकी पार्टी में टूट का क्रम जारी है। पहले बस्सी पठाना से पूर्व विधायक गुरप्रीत जीपी गए और बाद में चब्बेवाल के विधायक डॉ. राजकुमार चब्बेवाल।

वहीं, सत्तारूढ़ पार्टी की नजर फिरोजपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के एक नेता पर टिकी हुई है। कांग्रेस टिकटों के आवंटन से पहले आश्वस्त हो जाना चाहती है कि नेताओं द्वारा पार्टी छोड़ने का सिलसिला थम जाए।

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