सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त समिति की रिपोर्ट शत-प्रतिशत किसानों के पक्ष में : अनिल जे. घनवट
चीफ जस्टिस को एक सितंबर को पत्र लिखकर रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का आग्रह करने वाले समिति सदस्य अनिल जे. घनवट ने यह भी कहा कि समिति तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने का समर्थन नहीं करती जैसा कि प्रदर्शनकारी किसान मांग कर रहे हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए लाए गए तीन नए कानूनों के विरोध के बीच सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त समिति के एक अहम सदस्य ने बुधवार को कहा कि उनकी रिपोर्ट शत-प्रतिशत किसानों के पक्ष में है। सुप्रीम कोर्ट को मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई करनी चाहिए। समिति सदस्य ने माना कि सरकार व सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट जारी होने के बाद पैदा होने वाली कानून-व्यवस्था से जुड़ी स्थितियों पर विचार करना होगा। इसके लिए उन्हें समय की जरूरत होगी, लेकिन वे इसे दरकिनार नहीं कर सकते हैं और उन्हें ऐसा करना भी नहीं चाहिए।
चीफ जस्टिस को एक सितंबर को पत्र लिखकर रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का आग्रह करने वाले समिति सदस्य व शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल जे. घनवट ने खास बातचीत में यह भी कहा कि समिति तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने का समर्थन नहीं करती, जैसा कि प्रदर्शनकारी किसान मांग कर रहे हैं। हालांकि, वह और उनका संगठन यह जरूर मानता है कि कानूनों में कई खामियां हैं, जिनका समाधान होना चाहिए। घनवट ने कहा, 'रिपोर्ट को शीघ्र सार्वजनिक किया जाना चाहिए। अगर वे कल ऐसा करते हैं, तो अच्छा रहेगा.. लोगों को जब रिपोर्ट की सामग्री का पता चलेगा तो वे फैसला कर पाएंगे कि नए कृषि कानून किसानों के पक्ष में हैं या नहीं।'
उन्होंने कहा कि अदालत में रिपोर्ट जमा किए हुए पांच महीने से अधिक समय हो गया है और यह समझ से परे है कि अदालत ने उस पर संज्ञान क्यों नहीं लिया है। उन्होंने अदालत से यथाशीघ्र रिपोर्ट जारी करने का आग्रह किया। चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में घनवट ने कहा था, 'रिपोर्ट में किसानों की सभी आशंकाओं को दूर किया गया है। समिति को विश्वास है कि उसकी सिफारिशें किसान आंदोलन को सुलझाने का रास्ता निकालेंगी।'
क्या पत्र में व्यक्त आपके नजरिये से समिति के दूसरे सदस्य सहमत हैं? इस पर घनवट कहते हैं, 'वास्तव में वे इसका समर्थन करते हैं, लेकिन लिखित रूप में कुछ भी नहीं कहना चाहते। वे खुश हैं कि मैंने मुद्दा उठाया है।' उल्लेखनीय है कि तीन कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाते हुए शीर्ष अदालत ने 12 जनवरी, 2021 को एक समिति का गठन किया था। इसमें घनवट को कृषक समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए सदस्य नामित किया गया था।