'जाको राखे साइयां मार सके न कोई', बेटी ने की खिड़की पर बैठने की जिद; बच्ची का लड़कपन बना दोनों का जीवन रक्षक
ओडिशा ट्रेन हादसे में कई लोगों की जान चली गई है लेकिन वहीं कई लोगों की जिंदगियां बच गई हैं। उन्हीं में से एक देब और उनकी बेटी की जिंदगी है। बच्ची की जिद की वजह से इस हादसे में बाप-बेटी की जिंदगी बच गई।
By Jagran NewsEdited By: Shalini KumariUpdated: Sun, 04 Jun 2023 03:04 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण डेस्क। ओडिशा ट्रेन हादसे में जिन लोगों की जान बच गई है, उनके लिए ये दूसरे जन्म से कम नहीं है। इस दर्दनाक हादसे से ऐसी कई कहानियां सुनने को मिल रही है, जिससे लोगों का कलेजा छन्नी हो जा रहा है। वहीं, इसमें इस घटना ने साबित कर दिया कि 'जाको राखे साइयां मार सके न कोई'।
दरअसल, एक पिता अपनी 8 साल की बच्ची के साथ उस कोच में बैठे थे, जो पूरी तरह दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी और उसमें मौजूद ज्यादातर लोगों की मौत हुई। हादसे से ठीक पहले बाप और बेटी ने सीट की अदला-बदली की थी, जिस कारण दोनों ने मौत को मात दे दी।
बेटी का इलाज करने के लिए जा रहे थे देब
पिता (दबे) और उनकी बेटी खड़गपुर से ट्रेन में सवार हुए थे और कटक जा रहे थे। शनिवार (3 जून) को पिता-बेटी का एक डॉक्टर के साथ अपॉइंटमेंट था, जिस सिलसिले में यह लोग सफर कर रहे थे। दबे ने बताया कि उन्होंने थर्ड एसी कोच में सफर करने की टिकट लिया था, लेकिन उनकी आठ साल की बेटी ने जिद शुरू कर दी कि उसे खिड़की वाली सीट पर बैठना है।दो यात्री ने की सीट अदला-बदली
बेटी की जिद पूरी करने के लिए देब ने ट्रेन के टीटी से बात की और खिड़की वाली सीट की डिमांड की। चेक करने के बाद टीटी ने देब को बताया कि उस ट्रेन ने खिड़की वाली एक भी सीट खाली नहीं है। वो किसी अन्य यात्री से अनुरोध कर के अपनी सीट की अदला-बदली कर सकते हैं। इसके लिए देब ने अपने कोच के बाद वाली दूसरी कोच में एक यात्री से बात की और उन्होंने देब का प्रस्ताव मंजूर कर लिया।