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सरकार के लिए जीरो थी पाकिस्‍तान के परमाणु जनक अब्‍दुल कादिर की अहमियत, जानें- कुछ और बातें

पाकिस्‍तान के परमाणु कार्यक्रम के जनत डाक्‍टर अब्‍दुल कादिर का आखिरी कई वर्ष बेहद परेशानी में कटे। उन्‍हें किसी से मिलने नहीं दिया जाता था। उनके बाहर निकलने पर पहरा था। सरकार की निगाह में उनकी कोई अहमियत नहीं थी।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 10 Oct 2021 03:26 PM (IST)
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पाकिस्‍तान के परमाणु कार्यक्रम के जनत डाक्‍टर अब्‍दुल कादिर

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। पाकिस्‍तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक के रूप में पहचाने जाने वाले डाक्‍टर अब्‍दुल कादिर का लंबी बीमारी के बाद रविवार को निधन हो गया। एक समय था जब कादिर की पाकिस्‍तान में तूती बोलती थी, लेकिन फिर बाद में वो दौर भी आया जब इस व्‍यक्ति ने पाकिस्‍तान की सरकार पर खुद को कैद रखने तक का आरोप लगाया था।

सरकार के लिए कोई अहमियत नहीं

डाक्‍टर कादिर की मौजूदा समय में सरकार के लिए कितनी अहमियत थी, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पाकिस्‍तान की सरकार के मुखिया इमरान खान अस्‍पताल में भर्ती इस व्‍यक्ति की कोई सुध नहीं ली थी। न सिर्फ इमरान खान ने बल्कि किसी भी मंत्री ने ये जानने की कोई कोशिश नहीं की कि उन्‍हें परमाणु संपन्‍न राष्‍ट्र का दर्जा दिलाने वाला व्‍यक्ति जिंदा भी है या नहीं। ये बात और है कि अब जबकि कादिर इस दुनिया से रुखसत हो चुके हैं तो उन्‍हें वहां की सरकार के मुखिया और दूसरे मंत्री या लोग याद कर ट्वीट कर रहे हैं।

डाक्‍टर एपीजे कलाम पर कादिर का बेहुदा बयान 

बहरहाल, डाक्‍टर कादिर की गिनती उन लोगों में भी होती है जो भारत और भारत के महान वैज्ञानिकों के लिए बेहुदा बयान देते रहे हैं। डाक्‍टर कादिर ने एक बार भारत के मिसाइल कार्यक्रम के जनक डाक्‍टर एपीजे अब्‍दुल कलाम पर टिप्‍पणी करते हुए कहा था कि उनके कोई खास बात नहीं है।

परमाणु तकनीक दूसरे देशों को बेचने का आरोप

कादिर की खासियत की बात करें तो उनके अंदर चोरी छिपे परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी तकनीक को दूसरे देशों को बेचना बखूबी आता था। उन्‍होंने खुद भी इस बात को स्‍वीकार किया था कि ईरान, लीबिया और उत्‍तर कोरिया को उन्‍होंने परमाणु बमों के लिए समृद्ध यूरेनियम बनाने और हार्डवेयर और सामग्री की आपूर्ति की थी। वैश्विक परमाणु प्रसार में अपनी भूमिका को स्वीकार करने के बाद कादिर को बर्खास्त कर दिया गया था। हालांकि, तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने उन्हें क्षमादान भी दिया था। अंतरराष्‍ट्रीय निगरानी एजेंसी आईएईए ने भी कहा था कि डाक्‍टर कादिर विश्‍व में न्‍यूक्लियर ब्‍लैक मार्केट का एक अहम हिस्‍सा रहे हैं।

सरकार ने एकांतवास में रखा

इसके बाद से उन्‍हें एकांत में ही रखा गया था। इस एकांतवास से परेशान कादिर ने पिछले वर्ष पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाकर आरोप लगाया था कि उन्‍हें सरकार ने कैद करके रखा हुआ है। इतना ही नहीं उन्‍होंने ये भी कहा था कि खुद से जुड़े मामले में उन्‍हें अपनी बात रखने तक का मौका भी नहीं दिया जा रहा है। उन्‍होंने आरोप लगाया कि पहरेदार उन्‍हें स्‍वतंत्र रूप से मिलने नहीं मिलने देते हैं और न ही आजादी के साथ कहीं जाने देते हैं। आपको बता दें कि पाकिस्तान 1998 में अपना पहला परमाणु बम का परीक्षण किया था।

दिल्‍ली को बर्बाद करने का बयान दिया

वर्ष 1996 में पाकिस्‍तान ने जब अपने पहले परमाणु परीक्षण की 18वीं वर्षगांठ मनाई तो उस वक्‍त डाक्‍टर कादिर ने बयान दिया कि पाकिस्तान में इतनी ताकत है कि वो रावलपिंडी के करीब स्थित कहुटा से दिल्ली को पांच मिनट में निशाना बना सकता है। आपको बता दें कि कहुटा रिसर्च लैबोरेटरी (केआरएल) में ही परमाणु बम बनाने के लिए जरूरी यूरेनियम का संशोधन किया जाता है।

भारत ने दिया करारा जवाब

उनके इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने भी करारा जवाब दिया था। उस वक्‍त भारत ने कहा था कि हम महज पांच मिनट में समूचे पाकिस्‍तान को बर्बाद करने की ताकत रखते हैं। डाक्‍टर कादिर ने एक बार कहा था कि पाकिस्‍तान अस्‍सी के दशक में ही परमाणु ताकत बन गया होता। लेकिन उस वक्‍त के राष्‍ट्रपति जनरल जिया उल हक नहीं चाहते थे कि उनके देश को मिलने वाली वित्‍तीय मदद किसी भी वजह से रुक जाए। इसलिए उन्‍होंने ऐसा नहीं होने दिया था। वो ये भी नहीं चाहते थे कि दुनिया पाकिस्तान में किसी भी सूरत में सैन्य हस्तक्षेप करे।

भोपाल में जन्‍मे थे कादिर

गौरतलब है कि अब्दुल कदीर खान का जन्म भारत के भोपाल शहर में साल 1936 में हुआ था। देश के बंटवारे के बाद वो अपने परिवार के साथ पाकिस्‍तान चले गए थे। उनकी शुरुआती शिक्षा कराची के डीजे साइंस कॉलेज से और फिर हायर स्‍टडीज के लिए वो यूरोप चले गए थे। 9 अक्‍टूबर की रात को उनकी तबियत काफी बिगड़ गई थी। इसके बाद उन्‍हें अस्‍पताल ले जाया गया। रविवार सुबह उनका निधन हो गया।