'अवास्तविक नहीं है तीसरे विश्व युद्ध की आशंका', भारत के दौरे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस बोले
भारत के दौरे पर आये फ्रांसिस का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र का मौजूदा स्वरूप को विश्व की बदलती जरूरतों के मुताबिक नहीं है और इसमें सुधार नितांत आवश्यक है। फ्रांसिस ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी द्विपक्षीय बैठक की और उसके बाद प्रेस कांफ्रेंस में अपनी बात रखी। फ्रांसिस ने कहा कि लाल सागर की स्थिति एक खतरनाक मोड़ ले सकती है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पहले यूक्रेन-रूस युद्ध और हाल ही में लाल सागर की तनावपूर्ण स्थिति। ये दोनों वैश्विक घटनाक्रम खतरनाक रहे हैं। खास तौर पर लाल सागर में अभी जिस तरह से तनाव बढ़ रहा है वह क्षेत्रीय युद्ध में और बड़े वैश्विक युद्ध में भी तब्दील होने का खतरा पैदा कर सकता है। यह बात संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कही है।
भारत के दौरे पर आये फ्रांसिस का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र का मौजूदा स्वरूप को विश्व की बदलती जरूरतों के मुताबिक नहीं है और इसमें सुधार नितांत आवश्यक है। फ्रांसिस ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी द्विपक्षीय बैठक की और उसके बाद प्रेस कांफ्रेंस में अपनी बात रखी। फ्रांसिस ने कहा कि लाल सागर की स्थिति एक खतरनाक मोड़ ले सकती है। स्थिति अभी बहुत ही तनावपूर्ण है। ऐसा लग रहा है कि लाल सागर में हुतियों की कार्रवाई में तीसरे देश से मदद मिल रही है।
'पहले के मुकाबले ज्यादा खतरनाक हथियार का हो रहा उपयोग'
इस हालात का क्षेत्रीय युद्ध में विस्तार कोई नहीं चाहता क्योंकि ऐसा होने से हालात और बिगड़ेंगे। ऐसे में विश्व युद्ध की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी चेतावनी की आज की तारीख में दुनिया में पहले के मुकाबले ज्यादा खतरनाक हथियार हैं जो युद्ध की स्थिति को ज्यादा बिगाड़ सकते हैं। यूएन में सुधार को लेकर उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद दूसरे विश्व युद्ध के बाद के हालात की स्थिति को दर्शाता है। अब यह स्थिति नहीं है। वैश्विक हालात की मौजूदा स्थिति संयुक्त राष्ट्र में अब दिखाई नहीं देती है।सुधार की बात से कोई भी सदस्य नहीं कर सकता इनकार
इसको लोकतांत्रिक बनाने की सख्त जरूरत है। फ्रांसिस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की बात से कोई भी सदस्य इनकार नहीं कर सकता। लेकिन इसका काम धाम इसके स्थाई सदस्यों के बीच राजनीतिक विभेद की वजह से प्रभावित होता है। फ्रांसिस का यह बयान तब आया है जब भारत की तरफ से यूएनएससी में सुधार की मांग भारत की तरफ से लगातार हो रही है।
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