FibreNet case: सुप्रीम कोर्ट ने चंद्रबाबू नायडू को दिया जोर का झटका, अग्रिम जमानत की मांग वाली याचिका स्थगित
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू को राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने फाइबरनेट केस में अग्रिम जमानत की मांग करने वाली टीडीपी प्रमुख नायडू की याचिका पर सुनवाई 12 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी। दरअसल कौशल विकास घोटाला मामले में FIR को रद्द करने की मांग करने वाली नायडू की याचिका पर फैसला आने वाला है।
By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Thu, 30 Nov 2023 03:41 PM (IST)
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू को राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने फाइबरनेट केस में अग्रिम जमानत की मांग करने वाली टीडीपी प्रमुख नायडू की याचिका पर सुनवाई 12 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने मामले की सुनवाई की। पीठ ने याचिका को यह कहते हुए टाल दिया कि 371 करोड़ रुपये के कौशल विकास घोटाला मामले में एफआईआर को रद्द करने की मांग करने वाली नायडू की एक अन्य याचिका पर फैसला जल्द ही आने की संभावना है।
नायडू की तरफ से वकील सिद्धार्थ लूथरा पेश हुए
कोर्ट में आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नायडू की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि राज्य पुलिस द्वारा नायडू की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रारंभिक व्यवस्था जारी रहनी चाहिए। वहीं, आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि यह व्यवस्था जारी रहेगी।सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र पुलिस को दिया था आदेश
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले आंध्र प्रदेश पुलिस से कहा था कि वह फाइबरनेट केस में नायडू को तब तक गिरफ्तार नहीं करे जब तक कि वह कौशल विकास घोटाला मामले में टीडीपी सुप्रीमो की याचिका पर अपना फैसला नहीं सुना देती।फाइबरनेट केस में क्या है आरोप?
आंध्र प्रदेश पुलिस ने 13 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वे टीडीपी प्रमुख नायडू को हिरासत में नहीं लेंगे। फाइबरनेट केस आंध्र प्रदेश फाइबरनेट परियोजना के चरण -1 के तहत कार्य आदेश आवंटित करने में कथित टेंडर में हेरफेर से संबंधित है। इसमें अपनी पसंदीदा कंपनी को 330 करोड़ रुपये का टेंडर देने का आरोप है।
आंध्र प्रदेश पुलिस सीआईडी ने आरोप लगाया है कि टेंडर देने से लेकर काम पूरा होने तक परियोजना में अनियमितताएं की गई हैं, जिससे राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ।ये भी पढ़ें: 'मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर वाला स्थानांतरण आदेश तब तक वैध नहीं...', कर्नाटक HC ने बिना तर्क के निचले कैडर की नियुक्ति पर कहा