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FIFA 2022 बन रहा भारत-कतर रिश्‍तों को और मजबूत करने का जरिया, जानें- दोनों देश एक दूसरे पर कितना हैं निर्भर

FIFA 2022 Qatar football world cup कतर और भारत के मजबूत संबंध 5 दशक पुराने हैं। दोनों देश एक दूसरे पर काफी हद तक निर्भर भी हैं। भारत की ऊर्जा जरूरतों में कतर की भूमिका काफी अहम रही है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 20 Nov 2022 12:21 PM (IST)
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कतर और भारत के कूटनीतिक रिश्‍तों को होने वाले हैं 5 दशक पूरे
नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। कतर और भारत का साथ 5 दशक से भी अध‍िक पुराना है। इस मजबूत संबंधों का एक उदाहरण ये भी है कि कतर जहां भारत की ऊर्जा जरूरत को पूरा करने में सबसे बड़ा योगदान देता है, वहीं कतर के लिए भारत वहां की फूड सिक्‍योरिटी के लिए बेहद खास है। दोनों ही देश वर्ष 2024 में अपने मजबूत कूटनीतिक संबंधों के 5 दशक पूरा करने वाले हैं। ऐसे में दोनों देशों के बीच मजबूती और बढ़ाने के लिए कतर में हो रहा फीफा फुटबाल वर्ल्‍ड कप 2022 भी एक जरिया बन रहा है।

वर्ल्‍ड कप के आयोजन में भारत भी आमंत्रित 

दरअसल, इस वर्ल्‍ड कप के आगाज के तौर पर होने वाले रंगारंग कार्यक्रम के लिए कतर के सुल्‍तान ने भारत को भी आमंत्रित किया है। भारत की तरफ से उप-राष्‍ट्रपति के जगदीप धनकड़ के साथ एक प्रतिनिधिमंडल इसमें शामिल हो रहा है। पीएम नरेन्‍द्र मोदी ने अक्‍टूबर में कतर के अमीर तमीम बिन हमद अल थानी से बात की थी जिसमें उन्‍होंने फीफा वर्ल्‍ड कप के सफल आयोजन की बधाई दी थी। गौरतलब है कि पीएम मोदी वर्ष 2016 और 2019 में कतर का दौरा कर चुके हैं।

भारतीयों से होगी उप-राष्‍ट्रपति की मुलाकात 

अपने दो दिवसीय दौरे पर उप-राष्‍ट्रपति की मुलाकात कतर के सुल्‍तान के अलावा वहां के दूसरे मंत्रियों और कारोबारियों से भी होगी। इस लिहाज से ये मौका दोनों देशों के बीच संबंधों को एक नई ऊंचाई देने का तो है साथ ही व्‍यापारिक दृष्टि से भी बेहद खास है। आपको बता दें कि कतर और भारत के बीच व्‍यापार कई क्षेत्रों में किया जाता है। इनमें ऊर्जा सबसे खास है। भारत अपनी जरूरत का सबसे अधिक तेल कतर से ही खरीदता है। इसके अलावा सुरक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, संस्‍कृति, शिक्षा समेत कई दूसरे क्षेत्र में भी दोनों के बीच आदान-प्रदान होता है।

15 अरब डालर का व्‍यापार 

आपको बता दें कि पिछले वर्ष दोनों देशों के बीच 15 अरब डालर का व्‍यापार हुआ था। कतर की अर्थव्‍यवस्‍था में काफी लंबे समय से भारतीयों का योगदान महत्‍वपूर्ण रहा है। मौजूदा समय में भी कतर में करीब साढ़े आठ लाख भारतीय रहते हैं। कतर में रहने वाले भारतीयों से उपराष्‍ट्रपति जगदीप धनकड़ की मुलाकात भी होगी।

1973 में हुई थी कूटनीतिक संबंधों की शुरुआत 

आपको बता दें कि कतर और भारत के बीच कूटनीतिक रिश्‍तों की शुरुआत 1973 में हुई थी। वर्ष 2015 में कतर के मौजूदा अमीर ने भारत का दौरा भी किया था। इस दौरान हुई बातचीत में जिन मुद्दों पर बातचीत हुई थी उनमें दोनों देशों की जेलों में बंद एक दूसरे के नागरिकों पर भी अहम समझौता हुआ था। इससे पहले कतर के अमीर 1999, 2005, 2012 में भी भारत आ चुके हैं। वर्ष 2008 में जब पहली बार पीएम मोदी ने कतर का दौरा किया था उस वक्‍त दोनों देशों के बीच हुआ रक्षा समझौता अपने आप में बेहद खास माना जाता है। इसमें दोनों देशों की नेवी के बीच एक्‍सरसाइज पर खास तवज्‍जो दी गई थी।

भारत-कतर के बीच नेवल एक्‍सरसाइज 

इस वर्ष दोहा में India-Qatar Joint Committee on Defence Cooperation की भी बैठक हुई थी। इसके बाद हर दो-तीन वर्षों में इसकी बैठक भारत और कतर में होती है। भारत और कतर के बीच हुए रक्षा समझौते की ही बदौलत दोनों देशों के बीच नवंबर 2019 में Za’ir-Al-Bahr नाम से दोनों देशों की नेवी का संयुक्‍त अभ्‍यास कतर में आयोजित किया था। ये अभ्‍यास मुख्‍य रूप से समुद्री सुरक्षा को बेहतर बनाने और आतंकवाद से लड़ने की दिशा में एक कारगर कदम था।

भारत कतर के बीच व्‍यापार 

भारत और कतर के बीच यदि व्‍यापार की बात करें तो ये हर वित्‍तीय वर्ष के दौरान बढ़ा ही है। वर्ष 2008 में कतर ने भारत भारत के एनर्जी सेक्‍टर में 5 बिलियन डालर निवेश करने पर समझौता हुआ था। दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों को का एक उदाहरण ये भी है कि भारत की ऊर्जा जरूरत को देखते हुए कतर ने वर्ष 2016 में भारत को बेची जाने वाली गैस के दामों के 12-13 डालर तक की कमी की थी। इसके अलावा कतर ने और दूसरे फायदे भी भारत को उपलब्‍ध करवाए थे। बता दें कि कतर काफी बड़ी मात्रा में भारत से मशीन, इलेक्‍ट्रानिक इक्‍यूपमेंट्स और दूसरी चीजें खरीदता है।

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