धोखेबाज चीनी एप कंपनियों के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई; ईडी के बाद एसएफआइओ भी एक्टिव, राज्यों को किया सतर्क
केंद्रीय एजेंसियों ने चीन की मोबाइल एप कंपनियों पर कार्रवाई करनी शुरू कर दी है। ये कंपनियां आम भारतीयों के साथ वित्तीय धोखाधड़ी में शामिल थीं। बीते एक हफ्ते से हरियाणा दिल्ली आंध्र प्रदेश बिहार समेत देश के कई राज्यों में अभियान चलाया जा रहा है।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sun, 11 Sep 2022 07:58 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चीन की मोबाइल एप कंपनियों द्वारा आम भारतीयों के साथ पहले वित्तीय धोखाधड़ी करने और बाद में उन्हें मानसिक व शारीरिक तौर पर प्रताड़ित करने के खिलाफ अब राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत हो गई है। पिछले एक हफ्ते से हरियाणा, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, बिहार समेत देश के कई राज्यों में इन कंपनियों के चीनी अधिकारियों और उनके भारतीय कर्मचारियों के खिलाफ व्यापक अभियान चलाया जा रहा है।
कंपनियों के प्रवर्तकों के विरुद्ध जांच
इस काम में वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के बीच भी लगातार विमर्श हो रहा है कि किस तरह स्थानीय जांच एजेंसियों के साथ मिलकर धोखेबाज चीनी कंपनियों को शिकंजे में लिया जाए। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के बाद अब कंपनी मामलों के मंत्रालय की जांच एजेंसी एसएफआइओ (गंभीर अपराध जांच संगठन) भी इन कंपनियों के प्रवर्तकों के विरुद्ध जांच में जुट गया है।
डोरेट्स को किया गिरफ्तार
रविवार को वित्त मंत्रालय की तरफ से इस बात को उजागर किया गया कि एसएफआइओ ने जिलियन कंसल्टेंट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नामक एक चीनी कंपनी के प्रवर्तक डोरेट्स को गिरफ्तार किया है जो पिछले कुछ दिनों से भागकर बिहार के किसी गांव में छिपा हुआ था। वह वहां से नेपाल भागने की कोशिश कर रहा था।कानूनों की आंख में धूल झोंकने की देता था ट्रेनिंग
डोरेट्स को भारत में नाम बदलकर काम करने वाली चीनी मुखौटा (शेल) कंपनियों का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। उसका न सिर्फ स्थानीय स्तर पर नेटवर्क था, बल्कि कई चीनी शेल कंपनियों को निदेशकों की आपूर्ति भी करता और फिर उन्हें भुगतान की व्यवस्था करता था। वह उन्हें भारतीय कानूनों की आंख में धूल झोंकने की ट्रेनिंग भी देता था। उसके पास कई नकली दस्तावेज भी मिले हैं।
कमाई को अवैध तरीके से चीन भेजने में मदद
एक दस्तावेज के मुताबिक उसने खुद को हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले का निवासी बता रखा है। वह शेल कंपनियों को भारतीय कंपनी रजिस्ट्रार के यहां पंजीयन कराने और फिर भारत में कमाई को अवैध तरीके से चीन भेजने में मदद करता था। चीन की मोबाइल एप कंपनियों के खिलाफ देश की जांच एजेंसियों को पिछले दो वर्षों से लगातार शिकायतें मिल रही हैं, लेकिन स्पष्ट नियमन नहीं होने की वजह से इनके खिलाफ कार्रवाई होने में अभी तक ढिलाई होती रही है।आरबीआइ ने भी शुरू की सख्ती
हाल ही में आरबीआइ ने सख्ती करनी शुरू की है कि डिजिटल एप के जरिये लेन-देन सिर्फ पंजीकृत एजेंसियां को ही करने की अनुमति होगी। लेकिन अभी भी आरबीआइ के पास इन मोबाइल एप कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार नहीं है। जमीनी तौर पर कार्रवाई स्थानीय जांच एजेंसियों की तरफ से ही होती है।