Film Adipurush: सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली 'आदिपुरुष' के निर्देशक को राहत, तत्काल सुनवाई से किया इनकार
आदिपुरुष फिल्म को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाइ कोर्ट के आदेश के मामले में तत्काल सुनाई करने से इनकार कर दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदिपुरुष के निर्माता निर्देश और फिल्म के डॉयलॉग राइटर को 27 जुलाई को कोर्ट के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट में फिल्म को लेकर जनहित याचिका दायर किया गया है।
By AgencyEdited By: Piyush KumarUpdated: Wed, 12 Jul 2023 03:04 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआइ। आदिपुरुष फिल्म के निर्देशक ओम राउत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में पेशी के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाइ कोर्ट के आदेश के मामले में तत्काल सुनाई करने से इनकार कर दिया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदिपुरुष के निर्माता, निर्देश और फिल्म के डायलॉग राइटर को 27 जुलाई को कोर्ट के समक्ष पेश होने काेनिर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने फिल्म के निर्देश के ओर से पेश वकील से गुरुवार को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए।
इलाहाबाह हाई कोर्ट ने किया फिल्म से जुड़े लोगों को तलब
कुछ दिनों पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट में फिल्म को लेकर जनहित याचिका दायर किया गया है। कोर्ट ने फिल्म पर बैन लगाने वाले याचिकाओं पर सुनवाई की। बता दें कि ये याचिका कुलदीप तिवारी और नवीन धवन द्वारा दायर किया गया।याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फिल्म के निर्देशक ओम राउत, निर्माता भूषण कुमार, और डॉयलॉग राइटर मनोज मुंतशिर को तलब किया। याचिकाकर्ताओं का मानना है कि इस फिल्म के भद्दे डॉयलॉग का इस्तेमाल किया गया है, जिससे लोगों के धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा है।
फिल्म बनाते समय निर्देशक ने जनभावना का ख्याल नहीं रखा: हाई कोर्ट
कोर्ट ने इस फिल्म के खिलाफ तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि निर्देशक ने फिल्म बनाते समय जनभावना का ख्याल नहीं रखा, जिससे जनता की भावनाओं को ठेस पहुंची है। इसके अलावा, कोर्ट ने केंद्र सरकार को फिल्म पर अपना विचार देने के लिए पांच सदस्यीय समिति गठित करने का भी निर्देश दिया है। वहीं भारत सरकार को फिल्म को सार्टिफिकेट देने के फैसले की समीक्षा करने का भी निर्देश दिया।कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी दिए निर्देश
हाई कोर्ट ने कहा था कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अध्यक्ष अपने व्यक्तिगत हलफनामे दाखिल करेंगे और बताएंगे कि सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए फिल्म के प्रमाणन के लिए दिशानिर्देशों का पालन किया गया है या नहीं।