'बजट में हर राज्य को दिया जाता है पैसा', दो राज्यों पर मेहरबानी करने के आरोप पर वित्त मंत्री की दो टूक
मोदी 3.0 का बजट आ चुका है। जबसे यह बजट देश के सामने पेश हुआ है तबसे ही विपक्ष के नेता सरकार पर भेदभाव का आरोप लगा रही है। बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश को लेकर हुई घोषणाओं पर विपक्ष सरकार पर निशाना साध रही है। इन्हीं सवालों का जवाब देते हुए निर्मला सीतारमण ने बजट का बचाव किया है।
ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (जो पिछले कई दिनों से संसद में अपने केंद्रीय बजट को लेकर विपक्ष के निशाने पर हैं) आज विपक्ष की शिकायतों की लंबी सूची को संसद में संबोधित किया। जहां विपक्ष ने इस बजट को कुर्सी बचाओ बजट नाम दिया। वहीं, अब वित्त मंत्री ने विपक्ष के सभी आरोपों का भ्रम फैलाने वाला बताया।
वित्त मंत्री कई दिनों से यह कह रही हैं कि बजट भाषण में केवल मुख्य बातें हैं और सभी राज्यों को उनका हिस्सा मिल चुका है। आज उन्होंने एक कदम आगे बढ़कर यूपीए काल के बजट भाषणों का विश्लेषण करके नतीजे पेश किए। उन्होंने कहा, 'मैं 2004-05 से ही बजटों पर नजर रख रही हूं। 2004-05 में बजट भाषण में 17 राज्यों का नाम नहीं था। 2006-07 में 16 राज्यों का नाम नहीं था।'
'पहले के बजट में भी कई राज्यों का जिक्र नहीं'
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पहले के बजट में भी कई राज्यों का जिक्र नहीं किया गया था। 2009 के बजट में सिर्फ 2 राज्यों उत्तर प्रदेश और बिहार का जिक्र किया गया था। कांग्रेस की अगुवाई में यूपीए काल के दौरान हर बजट में कुछ ही राज्यों का जिक्र किया गया था। उन्होंने कहा, 'मैं यूपीए सरकार से पूछना चाहती हूं जिन राज्यों का नाम नहीं लिया गया था क्या उन राज्यों को पैसा नहीं दिया गया।'#WATCH | Union Finance Minister Nirmala Sitharaman replies to budget discussion in Lok Sabha, she says "SBI research report which was released in July 2024 said India created 12.5 crore jobs between 2014 and 2023 compared to only 2.9 crore during the 10 years of the UPA… pic.twitter.com/DKZIy1P7Ib
— ANI (@ANI) July 30, 2024
'बस भ्रम फैलाया जा रहा है'
उन्होंने कहा, 'मैं विनम्रतापूर्वक कहना चाहती हूं कि सभी सदस्य जानते हैं कि यदि किसी राज्य का नाम नहीं लिया गया है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें पैसा नहीं मिलेगा। यह एक भ्रामक अभियान है। मुझे यह जानकर दुख होता है कि वे कह सकते हैं कि यदि आपने किसी राज्य का नाम नहीं लिया है तो उसे कुछ नहीं मिलेगा।'