बजट में नाम पर बवाल, राज्यों के साथ भेदभाव के आरोपों पर क्या बोलीं निर्मला सीतारमण?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को राज्यसभा में बजट को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब दिया। इस दौरान वित्त मंत्री ने विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे राज्यों के साथ भेदभाव के आरोपों के सिरे से खारिज करते हुए कहा कि किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया है और इस साल राज्यों को ज्यादा बजट आवंटित किया गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में राज्यों को कम आवंटन अथवा उनके साथ भेदभाव के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए बताया कि राज्यों को इस वर्ष 22.91 लाख रुपये दिए जाने हैं और यह राशि पिछले साल के मुकाबले 2.49 लाख करोड़ रुपये ज्यादा है।
वित्त मंत्री ने रेखांकित किया कि कृषि, ग्रामीण विकास, शहरी विकास, शिक्षा, रोजगार, कौशल प्रशिक्षण, स्वास्थ्य-सभी सेक्टरों पर आवंटन बढ़ा है। उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के समय इन सभी क्षेत्रों को दिए गए पैसों से तुलना करते हुए बताया कि मोदी सरकार में सामाजिक क्षेत्र और कल्याणकारी योजनाओं में खर्च बढ़ता ही जा रहा है।
'जिक्र न होने का मतलब भेदभाव नहीं'
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों को इस बार 1.52 लाख करोड़ रुपये दिए गए हैं। यह पिछले साल के मुकाबले 8000 करोड़ रुपये अधिक है, जबकि संप्रग सरकार ने 2013-14 के बजट में कृषि को केवल 30,000 करोड़ रुपये दिए थे। वित्त मंत्री ने दोहराया कि बजट भाषण में किसी राज्य का जिक्र नहीं होने का यह मतलब नहीं होता कि उसे आवंटन नहीं किया गया।उन्होंने संप्रग सरकार की अवधि में दस सालों के दौरान पेश किए गए बजटों को याद करते हुए बताया कि एक बार 26 राज्यों के नाम नहीं लिए गए थे। गौरतलब है कि विपक्ष ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने बजट में केवल बिहार और आंध्र प्रदेश पर ही ध्यान दिया है, क्योंकि उसके लिए जदयू और तेलुगु देसम पार्टी का समर्थन महत्वपूर्ण है और इन दलों को खुश करने की कोशिश की गई है।
भेदभाव के आरोपों को बताया बेबुनियाद
गैर भाजपा दलों के शासन वाले राज्यों के साथ सौतेले व्यवहार के आरोप को पूरी तरह बेबुनियाद बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अतिरिक्त ऋण देने के मामले में भेदभाव की केरल सरकार की शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार के पक्ष को सही ठहराते हुए कहा था कि केरल सरकार अपने आरोपों को साबित नहीं कर सकी। राज्यसभा में वित्त मंत्री का जवाब लोकसभा (लगभग पौने दो घंटे) में उनके संबोधन के मुकाबले करीब आधे घंटे लंबा था औऱ इसमें मुख्य रूप से आर्थिक सवालों के जवाब अधिक थे।वित्तीय घाटे पर विपक्षी नेताओं की चिंता का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार 2025-26 तक घाटे को 4.5 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य हासिल करने की राह पर है। सीतारमण के अनुसार बजट में विकास, रोजगार, कल्याणकारी खर्च, पूंजीगत निवेश और खजाने के प्रबंधन के बीच बेहतरीन संतुलन कायम किया गया है। संप्रग सरकार के दस सालों में पूंजीगत खर्च के लिए आवंटन 13.19 लाख करोड़ रुपये था, जबकि मोदी सरकार के दस वर्षों में यह 43.82 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।