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अरसे बाद भारत व चीन के वित्त मंत्रियों की हुई वार्ता, 2019 के बाद आर्थिक संबंधों पर दोनों देशों ने नहीं की बात

वित्त मंत्रालय की तरफ से बताया गया है दोनों मंत्रियों के बीच जी-20 के वित्तीय एजेंडे पर बात हुई। चीन के वित्त मंत्री ने जी-20 की अध्यक्षता के लिए भारत की भूमिका की सराहना की और कहा कि भारत की भूमिका की वजह से बहुत कुछ हासिल किया जा सका है। उन्होंने भारत की अध्यक्षता में सहस्त्राब्दि लक्ष्यों को तय करने की काफी प्रशंसा की।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Tue, 18 Jul 2023 08:48 PM (IST)
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वित्त मंत्रालय की तरफ से बताया गया है, 'दोनों मंत्रियों के बीच जी-20 के वित्तीय एजेंडे पर बात हुई।
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। लंबे अरसे बाद भारत और चीन के वित्त मंत्रियों की मुलाकात हुई है और इसमें जी-20 से जुड़े मुद्दों के साथ ही द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों पर बात हुई। गांधीनगर में जी-20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के प्रमुखों की बैठक के दौरान मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और चीन के वित्त मंत्री लियू कुन के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई।

लगातार बढ़ रहा चीन के साथ व्‍यापार असंतुलन

मई, 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना के घुसपैठ के बाद उपजे तनाव को दूर करने के लिए दोनों देशों के बीच कूटनीतिक व सैन्य स्तर पर बातचीत तो लगातार हो रही है, लेकिन आर्थिक व वित्तीय संबंधों को लेकर इस दौरान कोई वार्ता नहीं हुई। इसका भारत को ही ज्यादा नुकसान हुआ है क्योंकि इस दौरान चीन से भारत को होने वाले निर्यात में जबर्दस्त वृद्धि का सिलसिला जारी है, लेकिन चीन को यहां से होने वाले निर्यात में कोई खास वृद्धि नहीं हुई है। वर्ष 2022 में पहली बार चीन के साथ भारत का व्यापार असंतुलन 100 अरब डालर को पार कर गया था।

दोनों मंत्रियों के बीच जी-20 के वित्तीय एजेंडे पर हुई बात

वित्त मंत्रालय की तरफ से बताया गया है, 'दोनों मंत्रियों के बीच जी-20 के वित्तीय एजेंडे पर बात हुई। चीन के वित्त मंत्री ने जी-20 की अध्यक्षता के लिए भारत की भूमिका की सराहना की और कहा कि भारत की भूमिका की वजह से बहुत कुछ हासिल किया जा सका है। उन्होंने भारत की अध्यक्षता में सहस्त्राब्दि लक्ष्यों को तय करने की काफी प्रशंसा की।

वित्त मंत्री सीतारमण ने चीन को धन्यवाद दिया कि उसने सतत विकास से जुड़े मुद्दों को तय करने के लिए गठित समिति की सह-अध्यक्षता की। दोनों वित्त मंत्रियों के बीच अपने-अपने देश की आर्थिक स्थिति, मुद्रास्फीति, कारोबार और आर्थिक वृद्धि व विकास के लिए अच्छे माहौल की जरूरत पर भी बात की।'

लद्दाख में चीनी घुसपैठ से पहले दोनों देशों के बीच उठता रहा है व्यापार असंतुलन का मुद्दा

इंटरनेट मीडिया पर दी गई इस छोटी सी जानकारी से यह स्पष्ट नहीं है कि भारत ने बढ़ते कारोबारी घाटे का मामला चीनी दल के सामने उठाया या नहीं।भारत पूर्वी लद्दाख में चीनी घुसपैठ से पहले चीन के साथ द्विपक्षीय वार्ताओं में बढ़ते व्यापार असंतुलन का मुद्दा काफी उठाता रहा है। अक्टूबर, 2019 में मामल्लपुरम (तमिलनाडु) में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई दूसरी अनौपचारिक वार्ता में आर्थिक सहयोग पर विस्तार से बात हुई थी।

यह दोनों नेताओं के बीच अंतिम द्विपक्षीय वार्ता थी। इसमें कारोबार व आर्थिक मुद्दों पर बात करने के लिए वित्त मंत्री सीतारमण और चीन के उप-प्रधानमंत्री हू चुंगहुआ की अध्यक्षा में एक समिति गठित करने का फैसला किया गया था। बताया गया था कि चीन के राष्ट्रपति ने कारोबार असंतुलन पर भारत की चिंताओं को दूर करने का आश्वासन दिया था। लेकिन मई, 2020 में चीनी सेना की घुसपैठ ने स्थिति बदल दी। इस समिति की कभी बैठक नहीं हुई।

2019 में हुई थी आख‍िरी रणनीतिक आर्थिक वार्ता

दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग के लिए वर्ष 2010 में भारत के योजना आयोग (मौजूदा नीति आयोग) और चीन की एनडीआरसी के बीच एक रणनीतिक आर्थिक वार्ता की शुरुआत की गई थी। इसकी अंतिम बैठक सितंबर, 2019 में हुई थी।

बीजिंग की तरफ से जारी ताजा आंकड़े बताते हैं कि जनवरी-जून, 2023 के दौरान भारत का चीन को होने वाला निर्यात 9.49 अरब डालर का रहा जो जनवरी-जून, 2022 में 9.55 अरब डालर का था, जबकि चीन से आयात 57 अरब डालर का रहा। पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 56.53 अरब डालर का था।

चीन से आयात घटाने को भारत ने उठाए कई कदम

भारत और चीन ब्रिक्स और एससीओ जैसे संगठनों के भी सदस्य हैं जिनके वित्त मंत्रियों की हर वर्ष बैठकें होती हैं। भारत सरकार ने चीन से आयात घटाने के लिए कई कदम उठाए हैं जिसका असर अगले कुछ वर्षों में दिखाई दे सकता है। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत व चीन के वित्त मंत्रियों की यह बातचीत तब हुई है जब अमेरिका ने भी तल्खी के बावजूद हाल ही में अपने वित्त मंत्री को चीन भेजा था।