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Export Case of Tuna Fish: टूना मछली के निर्यात मामले में सांसद के रिश्तेदार के खिलाफ दर्ज हो सकती है प्राथमिकी

Export Case of Tuna Fish आरोप है कि लक्षद्वीप केजनप्रतिनिधि का एक रिश्तेदार विदेश में स्थित कंपनी का प्रतिनिधि है। उक्त जनप्रतिनिधि केप्रभाव के कारण एलसीएमएफ ने टूना मछली खरीद कर कोलंबो स्थित एक कंपनी एसआरटी जनरल मर्चेंट्स को बेची।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Tue, 28 Jun 2022 09:58 PM (IST)
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एलसीएमएफ के जरिये स्थानीय मछुआरों से खरीदी गई टूना मछली का श्रीलंका की कंपनी ने नहीं किया भुगतान

नई दिल्ली, प्रेट्र। श्रीलंका की कंपनी द्वारा टूना मछली की खरीद में जनता के पैसे के दुरुपयोग से जुड़े मामले में सीबीआइ एक लोकसभा सदस्य के रिश्तेदार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर सकती है। इस मामले में कंपनी पर सहकारी संस्था लक्षद्वीप सहकारी विपणन संघ (LCMF) को भुगतान न करने का आरोप है।

टूना मछली की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत लगभग 400 रुपये प्रति किलोग्राम

आरोप है कि लक्षद्वीप केजनप्रतिनिधि का एक रिश्तेदार विदेश में स्थित कंपनी का प्रतिनिधि है। उक्त जनप्रतिनिधि केप्रभाव के कारण एलसीएमएफ ने टूना मछली खरीद कर कोलंबो स्थित एक कंपनी एसआरटी जनरल मर्चेंट्स  को बेची। इसका प्रतिनिधित्व रज्जाक करते हैं। इस मामले में राकांपा के स्थानीय सांसद और रज्जाक के रिश्तेदार मोहम्मद फैजल भी सीबीआइ जांच के घेरे में आ सकते हैं। निर्यात की गई टूना मछली की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत लगभग 400 रुपये प्रति किलोग्राम है।

घोटाले से जुड़े कागजात भी हैं शामिल

सीबीआइ ने केंद्र शासित लक्षद्वीप के सतर्कता विभाग के साथ मिलकर किए गए औचक निरीक्षण के दौरान कई दस्तावेज जब्त किए थे, जिसमें घोटाले से जुड़े कागजात भी शामिल हैं।

25 अधिकारियों के दल ने द्वीप समूह में डेरा डालकर जांच की

अधिकारियों के अनुसार, डीआइजी रैंक के एक अधिकारी के साथ 25 अधिकारियों के दल ने द्वीप समूह में डेरा डालकर जांच की। इसमें पता चला कि जन प्रतिनिधियों और अफसरों ने मिलकर टूना मछली के निर्यात में सहायता की।

निर्यात की मंजूरी निविदा प्रक्रिया को किया गया दरकिनार

अधिकारियों के अनुसार, जांच एजेंसी को पता चला है कि मछली के निर्यात की मंजूरी निविदा की प्रक्रिया को दरकिनार कर जनप्रतिनिधि और अफसरों के प्रभाव के चलते दी गई। एसआरटी जनरल मर्चेंट्स ने एलसीएमएफ को कोई भुगतान नहीं किया। इस कारण स्थानीय मछुआरों और एलसीएमएफ को भारी नुकसान उठाना पड़ा।

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