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सांप्रदायिक हिंसा की आग में सबसे पहले जला था भारत का यह शहर, एक पोस्टर की वजह से बरपा था हंगामा

हरियाणा के नूंह में दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प में 6 लोगों की मौत हो गई। इस हिंसा पर लगाम लगाने के लिए प्रशासन को काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। नूंह हिंसा की आग गुरुग्राम से लेकर फरीदाबाद तक फैल गई। आइए जानते हैं कि आखिर इस हिंसा के पीछे की क्या कहानी है और इससे पहले देश में कब-कब भीषण सांप्रदायिक हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया गया।

By Piyush KumarEdited By: Piyush KumarUpdated: Wed, 02 Aug 2023 06:17 PM (IST)
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देश के रिकॉर्ड में दर्ज पहला सांप्रदायिक हिंसा 17 अक्टूबर, 1851 को भड़का था। (फोटो सोर्स: जागरण)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। देश की राजधानी से सिर्फ 85 किलोमीटर दूर हरियाणा का नूंह जिला सांप्रदायिक हिंसा की आग में जल रहा है। विश्व हिंदू परिषद की धार्मिक यात्रा के दौरान हुई हिंसा और बवाल के बाद अब तक 6 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं, 60 लोग घायल हो चुके हैं।

हिंसा को अंजाम देने वाले लगभग 116 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है। इंटरनेट सेवा बंद है। अब तक हिंसा के खिलाफ 41 एफआईआर दर्ज किए जा चुके हैं। इस हिंसा पर लगाम लगाने के लिए प्रशासन को काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। नूंह हिंसा की आग गुरुग्राम से लेकर फरीदाबाद तक फैल गई।

अफवाह की वजह से फैली हिंसा

सोशल मीडिया पर फैले अफवाहों की वजह से नूह में हिंसा भड़क उठी। दरअसल, सोशल मीडिया पर यह खबर चलाई गई कि विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित इस रैली में मोहित यादव उर्फ मोनू मानेसर भी हिस्सा लेगा। मोनू पर इस साल फरवरी में नासिर और जुनैद की मौत मामले में एफआईआर दर्ज किया गया है।

एक वीडियो में देखा गया कि मोनू ने कहा था कि वो यात्रा में शामिल होने वाला है। इसके बाद यह खबर सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई कि मोनू इस यात्रा में शामिल होगा। विहिप ने मोनू मानेसर को यात्रा में शामिल होने से मना कर दिया। लेकिन, तब तक काफी देर हो चुकी थी।

देश की पहली सांप्रदायिक हिंसा कब हुई? 

First Communal violence in India: देश के रिकॉर्ड में दर्ज पहली सांप्रदायिक हिंसा 17 अक्टूबर, 1851 को भड़की थी। दरअसल, पारसी समुदाय और मुस्लिम समुदाय आपस में भिड़ गए थे। यह हिंसा एक अखबार 'चित्र ज्ञान दर्पण' (Chitra Dynan Darpan) की वजह से भड़क उठी थी। अखबार में मोहम्मद साहब की एक तस्वीर छापी गई थी। वहीं, अखबार का पन्ना मुंबई की जामा मस्जिद की दीवार पर चिपकाया गया था।

जब मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज पढ़कर बाहर आए तो लोगों ने दीवार पर तस्वीर देखी। तस्वीर देखकर लोग भड़क उठे क्योंकि इस्लाम धर्म में मोहम्मद साहब का चित्र किसी भी रूप में दिखाने पर पाबंदी है। गौरतलब है कि अखबार के संपादक बायरामजी कर्सेटजी, पारसी थे। अखबार के मालिक ने जब माफी मांगी तो मुस्लिम समुदाय के लोगों का गुस्सा शांत हुआ।

देश की सबसे भीषण सांप्रदायिक हिंसा कब हुई? 

Most Horrific Communal Tension In India: साल 1946 में 16 से लेकर 19 अगस्त तक कलकत्ता (कोलकाता) में चार दिनों तक बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। दो समुदायों के बीच इस हिंसा में तकरीबन 10 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे और लगभग 15,000 से ज्यादा घायल हो गए थे। इस हिंसा को 'ग्रेट कलकत्ता किलिंग' का नाम दिया गया। पाकिस्तान की मांग को लेकर मुस्लिम लीग ने 16 अगस्त को डायरेक्ट एक्शन डे की घोषणा की थी।

इस एक्शन के तहत बंगाल और बिहार राज्य में हिंसा भड़क उठी। वहीं, डायरेक्ट एक्शन प्लान का जवाब देने के लिए हिंदू महासभा ने निग्रह-मोर्चा बनाया था। 72 घंटे के अंदर ही छह हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इस हिंसा को रोकने के लिए महात्मा गांधी दिल्ली से नोआखली गए थे और उन्होंने अनशन किया था।

साल 1984 की हिंसा

Anti Sikh Violence: इस दंगे की शुरुआत तब हुई जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों ने हत्या कर दी। दोनों अंगरक्षक सिख थे। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली के सिख रिहायशी इलाकों में हिंसा भड़क उठी। कई दिनों तक हिंसा होती रही। इस हिंसक घटना में तीन हजार से ज्यादा सिखों की हत्या कर दी गई।

गुजरात दंगे की मुख्य वजह क्या है? 

Gujarat 2002 Violence: गुजरात के गोधरा शहर में 27 फरवरी के दिन  साबरमती एक्सप्रेस के कोच एस-6 को समुदाय विशेष के कुछ लोगों ने आग के हवाले कर दिया था। इस घटना में 59 कारसेवकों की जलकर मौत हो गई। इस घटना के बाद राज्य में सांप्रदायिक हिंसा की शुरुआत हो गई। इस हिंसा में तकरीबन 2000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। वहीं, 2,500 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। 

महिलाओं के लिए दिल्ली सबसे असुरक्षित

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा 2021 क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं की सुरक्षा के मामले में सबसे ज्यादा सुरक्षित शहर कोलकाता है। वहीं, देश में महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित शहर दिल्ली है।