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India-Singapore Ministerial Roundtable: पहला भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन आयोजित; मंत्रियों ने फिनटेक, निवेश के अवसरों पर की चर्चा

ISMR में सिंगापुर के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व देश के उप प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने किया जो वित्त मंत्री भी हैं। बैठक के दौरान नेताओं ने उभरते और भविष्य के क्षेत्रों में भारत और सिंगापुर के बीच सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर जोर दिया।

By Shashank MishraEdited By: Updated: Sat, 17 Sep 2022 06:55 PM (IST)
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यह भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन (ISMR) की पहली बैठक थी।
नई दिल्ली, एजेंसी। विदेश मंत्री एस जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को अपने सिंगापुर समकक्षों के साथ मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लिया और दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक ट्वीट में कहा कि दोनों पक्षों ने वित्तीय क्षेत्र के संचालन, फिनटेक, नियामक सहयोग और निवेश के अवसरों सहित कई मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।

यह भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन (ISMR) की पहली बैठक थी, जो आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों के बीच एक नया मंत्रिस्तरीय मंच है। ISMR मौजूदा सहयोग को गहरा करने और नए और उभरते क्षेत्रों में पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग के अवसरों की पहचान करने का प्रयास करता है।

ISMR में सिंगापुर के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व देश के उप प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने किया, जो वित्त मंत्री भी हैं। "बैठक के दौरान, नेताओं ने उभरते और भविष्य के क्षेत्रों में भारत और सिंगापुर के बीच सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर जोर दिया। दोनों पक्षों ने व्यापक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ वित्तीय क्षेत्र के संचालन, फिनटेक, नियामक सहयोग, निवेश के अवसर शामिल थे।

सिंगापुर के प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्री विवियन बालकृष्णन, व्यापार और उद्योग मंत्री गन किम योंग और परिवहन और व्यापार संबंध मंत्री एस ईश्वरन शामिल थे। जयशंकर ने कहा कि आने वाले दशक में हमारे संबंधों की संभावनाओं पर खुली चर्चा हुई।

लॉरेंस वोंग 17 से 21 सितंबर तक भारत में हैं, वह 18 सितंबर, 2022 को गुजरात की यात्रा करेंगे, जहां वह गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल से मुलाकात करेंगे और गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस सिटी का दौरा करेंगे।

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उनके साथ विदेश मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के अधिकारी भी होंगे। आर्थिक और राजनीतिक हितों के अभिसरण पर आधारित भारत और सिंगापुर के बीच घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंध हैं।

1990 के दशक की शुरुआत से भारत में आर्थिक सुधारों ने सिंगापुर के साथ सहयोग के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया, जिससे एक-दूसरे की अर्थव्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण उपस्थिति की संभावनाएं खुल गईं।

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