कौन हैं भारतीय वायुसेना को दुनिया की ताकतवर फौज बनाने वाले सुब्रतो बनर्जी, जिन्हें कहा गया इंडियन एयरफोर्स का जनक
08 अक्टूबर 1932 में भारतीय वायुसेना अस्तित्व में आई। भारतीय वायुसेना को दुनिया की ताकतवर फौज बनाने वाले सुब्रतो मुखर्जी का नाम आज भी सुनहरे शब्दों में लिखा हुआ है। 01 अप्रैल 1933 को पहली भारतीय वायु सेना स्क्वाड्रन का गठन किया गया तो सुब्रतो को चार अन्य अधिकारियों के साथ पायलट के रूप में शामिल किया गया।1954 में सुब्रतो को भारतीय वायुसेना के कमांडर-इन-चीफ का प्रभारी बनाया गया।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के इतिहास के पन्नों में आज कई शूरवीरों का नाम सुनहरे शब्दों में लिखा हुआ है। इन लोगों ने अपनी कड़ी मेहनत और देश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया था। उन्हीं में से एक नाम सुब्रतो मुखर्जी का है, जिनका जीवन मजबूत इरादे और पूरी तरह से सेवा के हितों के लिए प्रतिबद्धता का मिसाल था।
दरअसल, सुब्रतो मुखर्जी भारतीय वायु सेना में फ्लाइट और स्क्वाड्रन की कमान संभालने वाले पहले भारतीय थे। स्वतंत्र भारत की वायु सेना के पहले भारतीय वायु सेना प्रमुख बने। 08 अक्टूबर, 1932 में भारतीय वायुसेना अस्तित्व में आई। भारतीय वायुसेना को दुनिया की ताकतवर फौज बनाने वाले 'सुब्रतो मुखर्जी' का नाम आज भी सुनहरे शब्दों में लिखा हुआ है।
सुब्रतो मुखर्जी का शुरुआती जीवन
सुब्रतो मुखर्जी का जन्म 5 मार्च, 1911 को बंगाल के एक परिवार में हुआ था। उनका परिवार उस समय एक प्रसिद्ध परिवार हुआ करता था। दरअसल, सुब्रतो के पिता सतीश चंद्र मुखर्जी आईसीएस ऑफिसर थे और उनकी मां चारुलता मुखर्जी के पिता एक प्रसिद्ध डॉक्टर थे। इतना ही नहीं, सुब्रतो के दादा ब्रह्म समाज से जुड़े थे और समाज सुधार में उनका अहम योगदान रहा था।1941 में सुब्रतो की शादी शारदा पंडित से हुई, जो एक प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता थी और बेहद अहम आंदोलन में उनका योगदान रहा है। शारदा पंडित बाद में गुजरात और फिर आंध्र प्रदेश की राज्यपाल बनाई गई थीं।
बचपन से देखा वायु सेना में शामिल होने का सपना
सुब्रतो का शुरुआती जीवन बंगाल के कृष्णानगर और चिनसूरा में गुजरा। उनकी शिक्षा कोलकाता के डायसेशन स्कूल और लॉरेटो कॉन्वेंट से हुई। 1927 में उन्होंने बीरभूम जिले स्कूल से मैट्रिक पास किया। उसके बाद उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज, कलकत्ता में दाखिला लिया और एक साल बाद यूके गए जहां कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में अध्ययन किया। उन्होंने बचपन में ही भारतीय वायुसेना में शामिल होने का सपना देख लिया था।वायुसेना में करियर की शुरुआत
वर्ष 1929 में सुब्रतो मुखर्जी ने क्रैनवेल एंट्रेंस एग्जामिनेशन और लंदन मैट्रिकुलेशन पास किया। चयन के बाद वह रॉयल एयर फोर्स कॉलेज, क्रैनवेल में ट्रेनिंग के लिए गए। 8 अक्टूबर, 1932 को भारतीय वायुसेना का गठन हुआ, जिसमें उनको पायलट के तौर पर कमीशन किया गया। 01 अप्रैल 1933 को पहली भारतीय वायु सेना स्क्वाड्रन का गठन किया गया, तो सुब्रतो को चार अन्य अधिकारियों के साथ पायलट के रूप में शामिल किया गया।
इसके बाद जुलाई 1938 में, उन्हें फ्लाइंग ऑफिसर के पद पर नंबर 1 IAF स्क्वाड्रन की 'B' फ्लाइट की कमान सौंपी गई। 16 मार्च, 1939 को नंबर 1 पर कार्यभार संभालने के बाद वह स्क्वाड्रन की कमान संभालने वाले पहले भारतीय अधिकारी बन गए।