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Republic Day 2024: दिल्ली की इस जगह पर हुई थी पहले गणतंत्र दिवस की परेड, बेहद रोचक है इतिहास

देश के 75 वें गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ पर भारत ने शौर्य का प्रदर्शन किया। लेकिन देश का पहला गणतंत्र दिवस राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर नहीं बल्कि स्टेडियम में आयोजित किया गया था । 26 जनवरी 1950 की रात राजधानी दिल्ली परीलोक की तरह नजर आ रही थी। दिल्ली की सार्वजनिक इमारतें रोशनी से जगमगा रही थीं ।

By Agency Edited By: Sonu Gupta Updated: Fri, 26 Jan 2024 11:00 PM (IST)
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स्टेडियम में आयोजित हुआ था देश का पहला गणतंत्र दिवस समारोह।

पीटीआई, नई दिल्ली। देश के 75 वें गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ पर भारत ने शौर्य का प्रदर्शन किया। लेकिन देश का पहला गणतंत्र दिवस राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर नहीं, बल्कि स्टेडियम में आयोजित किया गया था। डा. राजेंद्र प्रसाद के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेते ही भारत जश्न में डूब गया था।

स्टेडियम में आयोजित हुआ था देश का पहला गणतंत्र दिवस समारोह

26 जनवरी, 1950 की रात राजधानी दिल्ली 'परीलोक' की तरह नजर आ रही थी। दिल्ली की सार्वजनिक इमारतें रोशनी से जगमगा रही थीं। रेलवे स्टेशन और पार्कों को भी सजाया गया था। देश के पहला गणतंत्र दिवस समारोह स्टेडियम (इरविन एम्फीथियेटर) में आयोजित किया गया था। गूगल आ‌र्ट्स एंड कल्चर वेबसाइट के अनुसार इसका निर्माण 1933 में किया गया था।

भावनगर के महाराजा ने दिल्ली को दिया था गिफ्ट

यह भावनगर के महाराजा की ओर से दिल्ली को उपहार था। इसका नाम भारत के पूर्व वायसराय लार्ड इरविन के नाम पर रखा गया था। इसे राबर्ट टोर रसेल ने डिजाइन किया था। एशियाई खेलों की मेजबानी से ठीक पहले 1951 में इस एम्फीथियेटर का नाम बदलकर नेशनल स्टेडियम कर दिया गया। 2002 में इसका नाम मेजर ध्यानचंद स्टेडियम कर दिया गया।

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26 जनवरी, 1950 की सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर लोकतांत्रिक गणराज्य बना भारत

चार फरवरी 1950 को "बर्थ आफ ए रिपब्लिक" शीर्षक से प्रकाशित फौजी अखबार (अब सैनिक समाचार) के लेख के अनुसार गवर्नमेंट हाउस के दरबार हाल में आयोजित समारोह में गुरुवार, 26 जनवरी, 1950 की सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर भारत को संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया। इसके छह मिनट बाद डा. राजेंद्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। भारतीय गणराज्य के जन्म और इसके पहले राष्ट्रपति के पदासीन होने की घोषणा सुबह 10:30 बजे के तुरंत बाद 31 तोपों की सलामी के साथ की गई।

इस तरह मनाया गया जश्न

शपथ ग्रहण समारोह में सेवानिवृत्त गवर्नर-जनरल, सी राजगोपालाचारी ने भारत गणराज्य की उद्घोषणा पढ़ी। इसके बाद राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने शपथ ली। राष्ट्रपति ने पहले हिंदी में और फिर अंग्रेजी में संक्षिप्त भाषण दिया। इसके बाद देश का पहला गणतंत्र दिवस भव्य तरीके से मनाया गया।

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35 साल पुराने विशेष बग्घी में सवार होकर निकले राष्ट्रपति

राष्ट्रपति दोपहर 2:30 बजे राज्य के सरकारी आवास (अब राष्ट्रपति भवन) से 35 साल पुराने विशेष बग्घी में सवार होकर निकले, जिसे विशेष रूप से इस अवसर के लिए भारत के राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ के साथ पुनर्निर्मित किया गया था। जैसे ही काफिला इरविन एम्फीथियेटर से होकर गुजरा पेड़ों, इमारतों की छतों और हर संभव स्थान पर बैठे लोगों की जय-जयकार के साथ सड़कों पर 'जय जयकार' के नारे गूंजने लगे।

डा. राजेंद्र प्रसाद को माना जाता था जनता का राष्ट्रपति

राष्ट्रपति ने जनता के अभिवादन का गर्मजोशी से और हाथ जोड़कर जवाब दिया। डा. राजेंद्र प्रसाद को जनता के राष्ट्रपति माना जाता था, क्योंकि उनके कार्यकाल में राष्ट्रपति भवन तक आम जनता की पहुंच सुलभ थी। शाम 3:45 बजे इरविन एम्फीथियेटर में राष्ट्रपति का काफिला रुका, जहां सशस्त्र बलों ने परेड में हिस्सा लिया।

कर्तव्य पथ पर हो रहा 1951 के बाद से गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन

15,000 लोगों वाले एम्फीथियेटर में भारत के इतिहास में सबसे शानदार सैन्य परेडों में से एक का आयोजन किया गया। आयोजन स्थल को खूबसूरती से सजाया गया था और स्टैंड लोगों से भरे हुए थे। सशस्त्र बलों और पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले सात सामूहिक बैंडों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद 1951 के बाद से गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर हो रहा है।